वाराणसी: जिले के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में अब प्राचीन खगोलीय यंत्र विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध होंगे. जी हां, बक्से से 40 साल बाद खगोलीय यंत्रों को परिसर के पंडित मुरारी लाल शर्मा स्मृति संग्रहालय में रखा गया है. जहां ज्योतिष के विद्यार्थी इसका प्रयोग कर सकेंगे.
40 वर्ष पुराना है ये खगोलीय यंत्र
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजा राम शुक्ल ने बताया कि 40 वर्ष पूर्व भारत सरकार के द्वारा विश्वविद्यालय को यह यंत्र प्रदान किए गए थे. विश्वविद्यालय के द्वारा इस परंपरा का संरक्षण किया जा रहा है, जो प्रेरणादायक है. उन्होंने बताया कि ज्योतिषशास्त्र लोकोपकारी शास्त्र है. यह शास्त्र यंत्रों से युक्त विज्ञान है और ज्योतिष इसके माध्यम से ग्रह, नक्षत्रों के ऊपर अनुसंधान और प्रयोग सफलता पूर्वक कर सकता है. उन्होंने बताया कि यहां मौजूद सभी यंत्र आज भी क्रियाशील अवस्था में विद्यमान हैं. मैं विश्वविद्यालय के सभी अनुसंधाताओं एवं अन्य अन्य जिज्ञासुओं से ये निवेदन करता हूं कि वो इस यंत्रालय के विशेष महत्व को समझें व इसका उपयोग करें.
25 से अधिक खगोलीय यन्त्र है संरक्षित
बता दें कि, इस यंत्रशाला में 4 इंच एवं 8 इंच के दो दूरवीक्षक यंत्र, यंत्र राज दूरदर्शन यंत्र टेलिस्कोप, सेलीस्टियल, ग्लोब समेत 25 से अधिक यंत्र संरक्षित रखे गए हैं. जो अब आधुनिक वेधशाला प्राचीन एवं अर्वाचीन खगोलीय गणना पद्धति को गति प्रदान करेगी.
इंतजार खत्म, विद्यार्थियों को मिलेंगे अति प्राचीन खगोलीय यंत्र - उत्तर प्रदेश खबर
वाराणसी जिले के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में अब प्राचीन खगोलीय यंत्र विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध होंगे. यह जानकारी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजा राम शुक्ल ने दी.
वाराणसी: जिले के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में अब प्राचीन खगोलीय यंत्र विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध होंगे. जी हां, बक्से से 40 साल बाद खगोलीय यंत्रों को परिसर के पंडित मुरारी लाल शर्मा स्मृति संग्रहालय में रखा गया है. जहां ज्योतिष के विद्यार्थी इसका प्रयोग कर सकेंगे.
40 वर्ष पुराना है ये खगोलीय यंत्र
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजा राम शुक्ल ने बताया कि 40 वर्ष पूर्व भारत सरकार के द्वारा विश्वविद्यालय को यह यंत्र प्रदान किए गए थे. विश्वविद्यालय के द्वारा इस परंपरा का संरक्षण किया जा रहा है, जो प्रेरणादायक है. उन्होंने बताया कि ज्योतिषशास्त्र लोकोपकारी शास्त्र है. यह शास्त्र यंत्रों से युक्त विज्ञान है और ज्योतिष इसके माध्यम से ग्रह, नक्षत्रों के ऊपर अनुसंधान और प्रयोग सफलता पूर्वक कर सकता है. उन्होंने बताया कि यहां मौजूद सभी यंत्र आज भी क्रियाशील अवस्था में विद्यमान हैं. मैं विश्वविद्यालय के सभी अनुसंधाताओं एवं अन्य अन्य जिज्ञासुओं से ये निवेदन करता हूं कि वो इस यंत्रालय के विशेष महत्व को समझें व इसका उपयोग करें.
25 से अधिक खगोलीय यन्त्र है संरक्षित
बता दें कि, इस यंत्रशाला में 4 इंच एवं 8 इंच के दो दूरवीक्षक यंत्र, यंत्र राज दूरदर्शन यंत्र टेलिस्कोप, सेलीस्टियल, ग्लोब समेत 25 से अधिक यंत्र संरक्षित रखे गए हैं. जो अब आधुनिक वेधशाला प्राचीन एवं अर्वाचीन खगोलीय गणना पद्धति को गति प्रदान करेगी.