वाराणसी : पूर्वांचल के एम्स के नाम से विख्यात काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सर सुंदरलाल अस्पताल के पैथोलॉजी को प्राइवेट कर दिया गया है. बीएचयू के छात्र इसका विरोध कर रहे हैं. सोमवार काे छात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बीएचयू के कुलगुरु प्रोफेसर वीके शुक्ला से मुलाकात की. उन्हें पत्र सौंपकर निजीकरण का फैसला वापस लेने की मांग की. कहा कि इस पर विचार नहीं किया गया तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे.
छात्रों ने आरोप लगाया कि पैथोलॉजी के निजीकरण से कुछ लोगों काे व्यक्तिगत लाभ हो सकता है. इससे वित्तीय अनियमितता भी हो सकती है, गाइड लाइन के खिलाफ कार्य किया गया है. जो लोग भी इसमें दोषी हैं, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए. छात्रों ने 3 सूत्रीय मांग पत्र भी सौंपा. बता दें कि बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में 1 दिन की ओपीडी में लगभग 7000 लोग डॉक्टर का परामर्श लेते हैं. पूर्वांचल सहित बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और नेपाल तक के मरीज भी आते हैं.
बीएचयू के छात्र डॉ. अवनींद्र राय ने बताया कि सर सुंदरलाल अस्पताल में जितने भी जांच लैब हैं, उनका निजीकरण किया जा रहा है. लखनऊ की एक प्राइवेट कंपनी को सभी पैथोलॉजी का अनुबंध किया गया है. विश्वविद्यालय प्रशासन और अस्पताल प्रशासन के कुछ लोग मिलकर कमीशन के चक्कर में इस तरह के कार्य कर रहे हैं. विश्वविद्यालय में अस्पताल की स्थापना मानवीय मूल्यों के तहत हुई थी. मकसद था कि यहां पर गरीब और वंचित लोगों का कम खर्च में इलाज हो सके. इसके पूर्व में भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने तमाम पैथोलॉजी को प्राइवेट करने का प्रयास किया था. छात्रों के आंदोलन के बाद फैसले को टाल दिया गया था. अब दोबारा से निजीकरण का राग छेड़ दिया गया है. इसे जल्द खत्म किया जाए.
यह भी पढ़ें : वाराणसी में 6 अप्रैल से चलेगा ये अभियान, 9 दिनों में एक करोड़ घरों में जाने का रखा लक्ष्य