वाराणसी: कहते हैं कि किस्मत जब बदलती है तो इंसान अर्श से फर्श पर पहुंच जाता है. ठीक ऐसा ही कुछ धर्म अध्यात्म नगरी काशी की गलियों में घूमने वाली दो फीमेल डॉग के साथ हुआ है. वाराणसी की गलियों में घूमने वाले दो स्ट्रीट डॉग को जिन्हें कोई पूछने वाला नहीं था, उन्हें अब विदेश जाने का मौका मिल गया. इतना ही नहीं इन्हें विदेश ले जाने के लिए पासपोर्ट भी तैयार किया गया. इन दोनों का नाम है जया और मोती. इन दोनों की स्थिति कभी ऐसी थी कि कोई भी अपने घर न ले जाए, लेकिन किस्मत का खेल ऐसा कि दोनों अब विदेश में रहेंगी.
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अस्सी घाट पर घायल मिली थी मोती: संदलीप सेन ने बताया कि मोती इटली की रहने वाली वीरा को अस्सी घाट पर घायल अवस्था में मिली थी. मोती और जया का वैक्सीनेशन कराया जाना था. मोती का भी वैक्सीनेशन कराया गया था, जिससे दिल्ली जाने के बाद गोद लेने वालों को इंटरनेशनल सर्टिफिकेट के साथ एनओसी मिले. दिल्ली में क्वारंटाइन ऑफिस से वह काम भी पूरा हो गया था. इसके बाद वीरा मोती को लेकर इटली चली गईं. उन्होंने बताया कि मोती को ले जाने के लिए उनकी तरफ से सभी पेपर वर्क किए गए थे.
जया को ले जाने की प्रक्रिया जारी: संदलीप सेन गुप्ता ने बताया कि दूसरी स्ट्रीट डॉग जया को भी नीदरलैंड भेजने का का प्रोसेस चल रहा है. इसके लिए लगभग पेपर वर्क पूरे हो चुके हैं. अभी उसका ब्लड सैंपल भेजना है, जिससे यह पता किया जा सके कि उसे रैबीज है या नहीं. यह सैंपल नीदरलैण्ड में ही भेजा जाना है. जब यह प्रोसेस पूरा हो जाएगा तो जया को दो महीने के लिए क्वारंटाइन रखना पड़ेगा. इसके बाद वही प्रक्रिया की जाएगी, जैसे मोती को भेजा गया था. इस पूरी प्रक्रिया को होने में कम से कम दो महीने का समय लग जायेगा.
जया और मोती दोनों को डॉग लवर्स ने बचाया: संदलीप सेन ने बताया कि दोनों के साथ एक सी ही दिक्कत थी. दोनों रास्ते में भटक रहे थे. एक कॉमन चीज ये भी है कि डॉग लवर्स की नजर इन दोनों पर पड़ी थी. वीरा ने मोती को और मीरल ने जया को देखा था. जया को दूसरे कुत्ते दौड़ाकर काट रहे थे. जैसे ही मीरल की नजर उसपर पड़ी तो उसने हमें तुरंत फोन किया. इसी दिन उसकी फ्लाइट भी थी. उन्होंने जया को रेस्क्यू किया. इसके बाद मीरल ने जया को अपने साथ ले जाने की इच्छा जताई थी. मोती को अपने घर ले जाने वाले कपल राइटर हैं, जो कल्चर पर काम करते हैं.
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