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गली के कुत्ते पहुंचे विदेश, अब ऐशो-आराम में कटेगी जिंदगी, जानिए कैसे मिला पासपोर्ट? - स्ट्रीट डॉग को विदेश में आशियाना

वाराणसी की गलियों में घूमने वाले दो फीमेल स्ट्रीट डॉग को विदेश में आशियाना मिल गया है. एक इटली पहुंच चुकी है, जबकि दूसरी फीमेल डॉग को नीदरलैंड ले जाने का प्रोसेस चल रहा है.

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बनारस के स्ट्रीट डॉग पहुंचे विदेश
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Published : Jul 15, 2023, 9:11 PM IST

बनारस के स्ट्रीट डॉग ने रचा इतिहास, सात समुंदर पार बना आशियाना

वाराणसी: कहते हैं कि किस्मत जब बदलती है तो इंसान अर्श से फर्श पर पहुंच जाता है. ठीक ऐसा ही कुछ धर्म अध्यात्म नगरी काशी की गलियों में घूमने वाली दो फीमेल डॉग के साथ हुआ है. वाराणसी की गलियों में घूमने वाले दो स्ट्रीट डॉग को जिन्हें कोई पूछने वाला नहीं था, उन्हें अब विदेश जाने का मौका मिल गया. इतना ही नहीं इन्हें विदेश ले जाने के लिए पासपोर्ट भी तैयार किया गया. इन दोनों का नाम है जया और मोती. इन दोनों की स्थिति कभी ऐसी थी कि कोई भी अपने घर न ले जाए, लेकिन किस्मत का खेल ऐसा कि दोनों अब विदेश में रहेंगी.

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ऐशो आराम में कटेगी जिंदगी
'जया' ने जीता नीदरलैंड की मिरल का दिलः दरअसल, जया नाम की फीमेल डॉग मुंशी घाट के करीब गलियों में घूमती रहती थी. इधर-उधर से कुछ न कुछ मिलने पर खाया-पीया करती थी. एक दिन उसके साथ हादसा हुआ. गली में ही घूमते समय आवारा कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया. जया इस हमले में बुरी तरह से घायल हो गई. इसी दौरान इसी गली से गुजर रहीं नीदरलैंड की रहने वाली मिरल का दिल जया की हालत देखकर पसीज गया. उन्होंने उसका इलाज कराया. इसके बाद जया से मिरल को इतना लगाव हो गया कि वह जया को अपने साथ ले जाने का प्लान बना लिया.मोती विदेश में अपने घर जा चुकी है: वहीं, दूसरी ओर वाराणसी की गलियों में घूमने वाली स्ट्रीट डॉग मोती ने इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया है. मोती काशी की ऐसी पहली स्ट्रीट डॉग है, जिसने यहां की तंग गलियों से लेकर सात समंदर पार तक का सफर तय कर लिया है. एनिमोटल संस्था के सीईओ संदलीप सेन गुप्ता ने बताया कि 8 तारीख को मोती को गोद लेने वाले उसे लेकर दिल्ली गए. इसके बाद 13 तारीख को दिल्ली से इटली ले जाया गया. मोती भी विदेशी पर्यटक को काशी की गलियों में ही मिली थी, जिसकी हालत ठीक नहीं थी.

इसे भी पढे़-Transport News : यूपी में आठ सीटर कारों के रजिस्ट्रेशन पर संकट, तय नहीं हो पा रही कैटेगरी

अस्सी घाट पर घायल मिली थी मोती: संदलीप सेन ने बताया कि मोती इटली की रहने वाली वीरा को अस्सी घाट पर घायल अवस्था में मिली थी. मोती और जया का वैक्सीनेशन कराया जाना था. मोती का भी वैक्सीनेशन कराया गया था, जिससे दिल्ली जाने के बाद गोद लेने वालों को इंटरनेशनल सर्टिफिकेट के साथ एनओसी मिले. दिल्ली में क्वारंटाइन ऑफिस से वह काम भी पूरा हो गया था. इसके बाद वीरा मोती को लेकर इटली चली गईं. उन्होंने बताया कि मोती को ले जाने के लिए उनकी तरफ से सभी पेपर वर्क किए गए थे.

जया को ले जाने की प्रक्रिया जारी: संदलीप सेन गुप्ता ने बताया कि दूसरी स्ट्रीट डॉग जया को भी नीदरलैंड भेजने का का प्रोसेस चल रहा है. इसके लिए लगभग पेपर वर्क पूरे हो चुके हैं. अभी उसका ब्लड सैंपल भेजना है, जिससे यह पता किया जा सके कि उसे रैबीज है या नहीं. यह सैंपल नीदरलैण्ड में ही भेजा जाना है. जब यह प्रोसेस पूरा हो जाएगा तो जया को दो महीने के लिए क्वारंटाइन रखना पड़ेगा. इसके बाद वही प्रक्रिया की जाएगी, जैसे मोती को भेजा गया था. इस पूरी प्रक्रिया को होने में कम से कम दो महीने का समय लग जायेगा.

जया और मोती दोनों को डॉग लवर्स ने बचाया: संदलीप सेन ने बताया कि दोनों के साथ एक सी ही दिक्कत थी. दोनों रास्ते में भटक रहे थे. एक कॉमन चीज ये भी है कि डॉग लवर्स की नजर इन दोनों पर पड़ी थी. वीरा ने मोती को और मीरल ने जया को देखा था. जया को दूसरे कुत्ते दौड़ाकर काट रहे थे. जैसे ही मीरल की नजर उसपर पड़ी तो उसने हमें तुरंत फोन किया. इसी दिन उसकी फ्लाइट भी थी. उन्होंने जया को रेस्क्यू किया. इसके बाद मीरल ने जया को अपने साथ ले जाने की इच्छा जताई थी. मोती को अपने घर ले जाने वाले कपल राइटर हैं, जो कल्चर पर काम करते हैं.

यह भी पढ़े- अब बनारसी साड़ी खरीदना हुआ महंगा, व्यापारियों ने बताई असली वजह

बनारस के स्ट्रीट डॉग ने रचा इतिहास, सात समुंदर पार बना आशियाना

वाराणसी: कहते हैं कि किस्मत जब बदलती है तो इंसान अर्श से फर्श पर पहुंच जाता है. ठीक ऐसा ही कुछ धर्म अध्यात्म नगरी काशी की गलियों में घूमने वाली दो फीमेल डॉग के साथ हुआ है. वाराणसी की गलियों में घूमने वाले दो स्ट्रीट डॉग को जिन्हें कोई पूछने वाला नहीं था, उन्हें अब विदेश जाने का मौका मिल गया. इतना ही नहीं इन्हें विदेश ले जाने के लिए पासपोर्ट भी तैयार किया गया. इन दोनों का नाम है जया और मोती. इन दोनों की स्थिति कभी ऐसी थी कि कोई भी अपने घर न ले जाए, लेकिन किस्मत का खेल ऐसा कि दोनों अब विदेश में रहेंगी.

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ऐशो आराम में कटेगी जिंदगी
'जया' ने जीता नीदरलैंड की मिरल का दिलः दरअसल, जया नाम की फीमेल डॉग मुंशी घाट के करीब गलियों में घूमती रहती थी. इधर-उधर से कुछ न कुछ मिलने पर खाया-पीया करती थी. एक दिन उसके साथ हादसा हुआ. गली में ही घूमते समय आवारा कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया. जया इस हमले में बुरी तरह से घायल हो गई. इसी दौरान इसी गली से गुजर रहीं नीदरलैंड की रहने वाली मिरल का दिल जया की हालत देखकर पसीज गया. उन्होंने उसका इलाज कराया. इसके बाद जया से मिरल को इतना लगाव हो गया कि वह जया को अपने साथ ले जाने का प्लान बना लिया.मोती विदेश में अपने घर जा चुकी है: वहीं, दूसरी ओर वाराणसी की गलियों में घूमने वाली स्ट्रीट डॉग मोती ने इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया है. मोती काशी की ऐसी पहली स्ट्रीट डॉग है, जिसने यहां की तंग गलियों से लेकर सात समंदर पार तक का सफर तय कर लिया है. एनिमोटल संस्था के सीईओ संदलीप सेन गुप्ता ने बताया कि 8 तारीख को मोती को गोद लेने वाले उसे लेकर दिल्ली गए. इसके बाद 13 तारीख को दिल्ली से इटली ले जाया गया. मोती भी विदेशी पर्यटक को काशी की गलियों में ही मिली थी, जिसकी हालत ठीक नहीं थी.

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अस्सी घाट पर घायल मिली थी मोती: संदलीप सेन ने बताया कि मोती इटली की रहने वाली वीरा को अस्सी घाट पर घायल अवस्था में मिली थी. मोती और जया का वैक्सीनेशन कराया जाना था. मोती का भी वैक्सीनेशन कराया गया था, जिससे दिल्ली जाने के बाद गोद लेने वालों को इंटरनेशनल सर्टिफिकेट के साथ एनओसी मिले. दिल्ली में क्वारंटाइन ऑफिस से वह काम भी पूरा हो गया था. इसके बाद वीरा मोती को लेकर इटली चली गईं. उन्होंने बताया कि मोती को ले जाने के लिए उनकी तरफ से सभी पेपर वर्क किए गए थे.

जया को ले जाने की प्रक्रिया जारी: संदलीप सेन गुप्ता ने बताया कि दूसरी स्ट्रीट डॉग जया को भी नीदरलैंड भेजने का का प्रोसेस चल रहा है. इसके लिए लगभग पेपर वर्क पूरे हो चुके हैं. अभी उसका ब्लड सैंपल भेजना है, जिससे यह पता किया जा सके कि उसे रैबीज है या नहीं. यह सैंपल नीदरलैण्ड में ही भेजा जाना है. जब यह प्रोसेस पूरा हो जाएगा तो जया को दो महीने के लिए क्वारंटाइन रखना पड़ेगा. इसके बाद वही प्रक्रिया की जाएगी, जैसे मोती को भेजा गया था. इस पूरी प्रक्रिया को होने में कम से कम दो महीने का समय लग जायेगा.

जया और मोती दोनों को डॉग लवर्स ने बचाया: संदलीप सेन ने बताया कि दोनों के साथ एक सी ही दिक्कत थी. दोनों रास्ते में भटक रहे थे. एक कॉमन चीज ये भी है कि डॉग लवर्स की नजर इन दोनों पर पड़ी थी. वीरा ने मोती को और मीरल ने जया को देखा था. जया को दूसरे कुत्ते दौड़ाकर काट रहे थे. जैसे ही मीरल की नजर उसपर पड़ी तो उसने हमें तुरंत फोन किया. इसी दिन उसकी फ्लाइट भी थी. उन्होंने जया को रेस्क्यू किया. इसके बाद मीरल ने जया को अपने साथ ले जाने की इच्छा जताई थी. मोती को अपने घर ले जाने वाले कपल राइटर हैं, जो कल्चर पर काम करते हैं.

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