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गोपाष्टमी पर काशी बनी मथुरा, विशेष श्रृंगार में नजर आई गो माता

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Published : Nov 13, 2021, 10:07 AM IST

काशी के धर्म संघ में गोपाष्टमी का विशेष पूजन आयोजित किया गया, जिसमें शहर के संत और प्रबुद्ध समाज के लोग शामिल हुए. इस पूजन में गो माता को रंग बिरंगी चुनरी अर्पित की गई, उनका विशेष श्रृंगार किया गया और विधि विधान पूर्वक पूजन अर्चन किया गया.

विशेष श्रृंगार में नजर आई गो माता
विशेष श्रृंगार में नजर आई गो माता

वाराणसी: गो मां की आराधना का पर्व गोपाष्टमी धर्म नगरी काशी में भी बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. काशी में इस पर्व का नजारा देखकर ऐसा लगा मानो काशी मथुरा बन गई है. हर तरफ गो मां की पूजा व उनका विशेष शृंगार किया जा रहा और विभिन्न धार्मिक रीति-रिवाजों को पूरा कर गोपा अष्टमी का पर्व मनाया जा रहा.



बता दें कि विभिन्न शहरों के साथ-साथ काशी के भी धर्म संघ में गोपाष्टमी का विशेष पूजन आयोजित किया गया, जिसमें शहर के संत और प्रबुद्ध समाज के लोग शामिल हुए. इस पूजन में गो माता को रंग बिरंगी चुनरी अर्पित की गई, उनका विशेष श्रृंगार किया गया और विधि विधान पूर्वक पूजन अर्चन किया गया. इस छटा को देखकर ऐसा लग रहा था मानो हर कोई आज गो माता की भक्ति में खुद को समर्पित कर रहा है. पुराणों की माने तो ऐसा कहा जाता है कि आज के दिन गो माता का विशेष पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

विशेष श्रृंगार में नजर आई गौ माता
गोपाष्टमी पूजन में शामिल होने आए विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने बताया कि मथुरा हो या काशी पूरे देश में गोपाष्टमी के पूजन का विशेष महत्व होता है. इस दिन मां गो की आराधना करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और इसी कामना को लेकर के आज हम सभी ने पूजा किया और मां से सुख समृद्धि की कामना की.
यह भी पढ़ें- बनारसी दीदी: बाबा तो धोखा दे देहलन, अब भईया जी से ही भरोसा बा...आखिर ऐसा क्यों बोले बनारस वाले



इस बाबत आचार्य जितिन प्रसाद ने बताया कि गोपाष्टमी को लेकर के अलग-अलग मान्यताएं हैं. शास्त्रों में भी इस महापर्व का वर्णन किया गया है. उन्होंने बताया कि यह त्योहार कृष्ण काल से मनाया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जब पहली बार 6 वर्ष की उम्र में भगवान कृष्ण गो चारण को गए थे तभी से इस पर्व की शुरुआत हुई और पूरे नगरी में गोपाष्टमी को धूमधाम से मनाया गया. उन्होंने बताया कि गोपाष्टमी में गौ माता की विशेष पूजा की जाती है और अलग-अलग वेश आभूषण से उनका श्रृंगार किया जाता है.


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वाराणसी: गो मां की आराधना का पर्व गोपाष्टमी धर्म नगरी काशी में भी बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. काशी में इस पर्व का नजारा देखकर ऐसा लगा मानो काशी मथुरा बन गई है. हर तरफ गो मां की पूजा व उनका विशेष शृंगार किया जा रहा और विभिन्न धार्मिक रीति-रिवाजों को पूरा कर गोपा अष्टमी का पर्व मनाया जा रहा.



बता दें कि विभिन्न शहरों के साथ-साथ काशी के भी धर्म संघ में गोपाष्टमी का विशेष पूजन आयोजित किया गया, जिसमें शहर के संत और प्रबुद्ध समाज के लोग शामिल हुए. इस पूजन में गो माता को रंग बिरंगी चुनरी अर्पित की गई, उनका विशेष श्रृंगार किया गया और विधि विधान पूर्वक पूजन अर्चन किया गया. इस छटा को देखकर ऐसा लग रहा था मानो हर कोई आज गो माता की भक्ति में खुद को समर्पित कर रहा है. पुराणों की माने तो ऐसा कहा जाता है कि आज के दिन गो माता का विशेष पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

विशेष श्रृंगार में नजर आई गौ माता
गोपाष्टमी पूजन में शामिल होने आए विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने बताया कि मथुरा हो या काशी पूरे देश में गोपाष्टमी के पूजन का विशेष महत्व होता है. इस दिन मां गो की आराधना करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और इसी कामना को लेकर के आज हम सभी ने पूजा किया और मां से सुख समृद्धि की कामना की.
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इस बाबत आचार्य जितिन प्रसाद ने बताया कि गोपाष्टमी को लेकर के अलग-अलग मान्यताएं हैं. शास्त्रों में भी इस महापर्व का वर्णन किया गया है. उन्होंने बताया कि यह त्योहार कृष्ण काल से मनाया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जब पहली बार 6 वर्ष की उम्र में भगवान कृष्ण गो चारण को गए थे तभी से इस पर्व की शुरुआत हुई और पूरे नगरी में गोपाष्टमी को धूमधाम से मनाया गया. उन्होंने बताया कि गोपाष्टमी में गौ माता की विशेष पूजा की जाती है और अलग-अलग वेश आभूषण से उनका श्रृंगार किया जाता है.


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