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भगवान पार्श्वनाथ की जन्मस्थली पर हुआ विशेष अनुष्ठान - भगवान पार्श्वनाथ

जैन धर्म के 23वें तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ का जन्म वाराणसी के भेलूपुर में हुआ था. श्री जैन श्वेतांबर तीर्थ सोसायटी द्वारा पार्श्वनाथ की तीन दिवसीय जयंती का आयोजन किया गया. जिसमें विशेष प्रकार के अनुष्ठान का आयोजन हुआ.

भगवान पार्श्वनाथ की जन्मस्थली पर विशेष अनुष्ठान
भगवान पार्श्वनाथ की जन्मस्थली पर विशेष अनुष्ठान
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Published : Jan 10, 2021, 10:56 AM IST

Updated : Jan 18, 2021, 7:12 PM IST

वाराणसी : भगवान शिव की नगरी सबसे अनोखी है. यही वजह है कि विश्व में जन्मे महान संतों का यहां से नाता रहा है. जैन धर्म के 23वें तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ का जन्म जिले के भेलूपुर थाना अंतर्गत भेलूपुर स्थान पर हुआ था. श्री जैन श्वेतांबर तीर्थ सोसायटी द्वारा पार्श्वनाथ की तीन दिवसीय जयंती का आयोजन किया गया. जिसमें विशेष प्रकार का अनुष्ठान हुआ. भदैनी स्थित जैन मंदिर से दूसरे दिन शोभायात्रा निकाली गई, जिसका समापन भेलूपुर जैन मंदिर पर हुआ. भगवान का जन्म पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को हुआ था.

भगवान पार्श्वनाथ की जन्मस्थली पर विशेष अनुष्ठान
जैन धर्म के 23वें तीर्थकर थे भगवान पार्श्वनाथ

भगवान पार्श्वनाथ की मूर्ति के दर्शन मात्र से ही अत्यंत शांति का एहसास होता है. यही वजह है कि काशी के देव स्थल पर उनका भव्य मंदिर है. यहां जन्मतिथि से लेकर 3 दिन का विशेष अनुष्ठान होता है. महिलाएं और पुरुष जल ग्रहण करके ही यह अनुष्ठान संपन्न करते हैं.

इस प्रकार होता है महाअनुष्ठान

ललित राज भंसाली ने बताया कि शुक्रवार को भगवान का जन्म कल्याणक था. प्रभु पार्श्वनाथ भगवान जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर थे. उनका जन्म लगभग 3000 वर्ष पहले बनारस के इसी स्थान पर हुआ था. पोष वदी दशमी को उनका जन्म हुआ. पोष वदी ग्यारस को उनकी दीक्षा कल्याण तिथि थी. उन्होंने बताया कि भगवान का जब विवाह हो गया तो उनके मन में ख्याल आया कि वह दीक्षा लेंगे. जिसके बाद आज ही के दिन उन्होंने दीक्षा ली थी. उनका कहना था कि यहां भगवान पार्श्वनाथ का अनुष्ठान 3 दिनों तक होता है. नवमी, दसवीं, ग्यारहवीं 3 दिन तक लोग कड़ा तप करते हैं. 3 दिनों तक कड़ाके की ठंड में उपवास रहता है, और केवल जल ग्रहण करना रहता है.

वाराणसी : भगवान शिव की नगरी सबसे अनोखी है. यही वजह है कि विश्व में जन्मे महान संतों का यहां से नाता रहा है. जैन धर्म के 23वें तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ का जन्म जिले के भेलूपुर थाना अंतर्गत भेलूपुर स्थान पर हुआ था. श्री जैन श्वेतांबर तीर्थ सोसायटी द्वारा पार्श्वनाथ की तीन दिवसीय जयंती का आयोजन किया गया. जिसमें विशेष प्रकार का अनुष्ठान हुआ. भदैनी स्थित जैन मंदिर से दूसरे दिन शोभायात्रा निकाली गई, जिसका समापन भेलूपुर जैन मंदिर पर हुआ. भगवान का जन्म पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को हुआ था.

भगवान पार्श्वनाथ की जन्मस्थली पर विशेष अनुष्ठान
जैन धर्म के 23वें तीर्थकर थे भगवान पार्श्वनाथ

भगवान पार्श्वनाथ की मूर्ति के दर्शन मात्र से ही अत्यंत शांति का एहसास होता है. यही वजह है कि काशी के देव स्थल पर उनका भव्य मंदिर है. यहां जन्मतिथि से लेकर 3 दिन का विशेष अनुष्ठान होता है. महिलाएं और पुरुष जल ग्रहण करके ही यह अनुष्ठान संपन्न करते हैं.

इस प्रकार होता है महाअनुष्ठान

ललित राज भंसाली ने बताया कि शुक्रवार को भगवान का जन्म कल्याणक था. प्रभु पार्श्वनाथ भगवान जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर थे. उनका जन्म लगभग 3000 वर्ष पहले बनारस के इसी स्थान पर हुआ था. पोष वदी दशमी को उनका जन्म हुआ. पोष वदी ग्यारस को उनकी दीक्षा कल्याण तिथि थी. उन्होंने बताया कि भगवान का जब विवाह हो गया तो उनके मन में ख्याल आया कि वह दीक्षा लेंगे. जिसके बाद आज ही के दिन उन्होंने दीक्षा ली थी. उनका कहना था कि यहां भगवान पार्श्वनाथ का अनुष्ठान 3 दिनों तक होता है. नवमी, दसवीं, ग्यारहवीं 3 दिन तक लोग कड़ा तप करते हैं. 3 दिनों तक कड़ाके की ठंड में उपवास रहता है, और केवल जल ग्रहण करना रहता है.

Last Updated : Jan 18, 2021, 7:12 PM IST
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