वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी के बारे में अमेरिकी साहित्यकार मार्क ने कहा था कि यह शहर इतिहास और परंपराओं से भी पुराना है. यही वजह है कि अपने 300 वर्ष पुरानी परंपराओं को इस शहर ने संभाल कर रखा है. शिव की नगरी में कई स्थानों पर रामलीला होती है. यह रामलीला 300 से 400 वर्ष तक पुरानी है. यहां रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला, तुलसी घाट की कृष्ण लीला व रामलीला और मेघा भगत द्वारा प्रारंभ किए गए चित्रकूट की रामलीला का भी मंचन होता है.
महत्वपूर्ण तथ्य
- रामलीला के आयोजन पर कोरोना वायरस के चलते मंडरा रहा संशय
- वाराणसी में तैयार किया जा रहा विशेष मुखौटा
- बीएचयू के प्रोफेसर ने घर-घर तक रामलीला पहुंचाने की ली जिम्मेदारी
वैश्विक महामारी के दौर में जहां एक तरफ रामलीला पर संकट के बादल दिख रहे हैं तो वहीं इसके लिए लीला प्रेमी भी पूरी तरह तैयार हैं. रामलीला जिस भी रूप में होगा, उसे वे करेंगे. ऐसे में बीएचयू के प्रोफेसर विजय नाथ मिश्रा ने घर-घर रामलीला पहुंचाने की जिम्मेदारी उठाई है. प्राचीन रामलीला के स्वरूप को देश-दुनिया के हर कोने में पहुंचाने की तैयारी है.
कोरोना काल में रामलीला के मंचन पर संशय है तो जब घर-घर रामलीला होगी तो उसका आनंद भी अलग होगा. इसलिए रामलीला में प्रयोग किए जाने वाले मुखौटे को तैयार किया गया है, जिसमें कुल 14 चेहरे रहेंगे. इसकी पूरी जानकारी काशी घाट वर्क फेसबुक पेज पर उपलब्ध है कि कैसे आपको यह मुखौटा प्राप्त होगा.
प्रोफेसर विजय नाथ मिश्र ने बताया कि वैश्विक महामारी के दौर में उन सभी कार्यक्रमों का होना संभव नहीं है, जिसमें भीड़ होती है. ऐसे में हम काशी के लोगों ने यह सोचा कि बनारस की जो प्रसिद्ध रामलीला है, उनके पात्रों का मुखौटा तैयार किया जाए. 14 मुखौटे का एक सेट तैयार किया जा रहा है, जिसमें सभी प्रमुख पात्र हैं. यह माइक्रोसेट बनाया जा रहा है.
प्रोफेसर ने बताया कि प्रधानमंत्री के अभियान 'लोकल फॉर वोकल' के तहत हम लोगों ने यह प्रारंभ किया है. पूरा विश्व बनारस के खिलौनों को देखें और मुखौटे को जाने, ये हमारी कोशिश है. उन्होंने बताया कि मुखौटे के साथ एक छोटा सा 12 पन्नों का मैनुअल रामलीला दिया जाएगा, जिससे लोग घरों पर रामलीला कर सकें.
इन पात्रों का होगा मुखौटा
श्री राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, सीता, हनुमान, सुग्रीव, अंगद, रावण, विभीषण, मेघनाथ, कुंभकरण, शूर्पणखा और जामवंत.
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इस तरह बनता है मुखौटा
मुखौटा शिल्पकार राजेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि हम लोग रामलीला के 14 मुखौटों का लगभग 12 सीट तैयार कर रहे हैं, जिसमें सभी प्रमुख पात्र हैं. एक सेट को बनाने में हमें 15 दिन का समय लगता है. उन्होंने बताया कि कागज की लुगदी को तैयार किया जाता है और फिर उसे मिट्टी के सांचे में डालकर आकृति दी जाती है.