वाराणसी: हाल ही में आगरा शहर में जी-20 देशों का पहला सम्मेलन आयोजित हुआ और अब अप्रैल में वाराणसी और फिर जून व अगस्त में वाराणसी में 6 बैठकें होनी हैं. इसे लेकर तैयारियां युद्धस्तर पर चल रही हैं. खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूरे आयोजन की निगरानी कर रहे हैं. इन सबके बीच बनारस में 20 देशों के मेहमानों को काशी की कला संस्कृति और यहां की उन चीजों से रूबरू करवाने की तैयारी की जा रही है, जिसके लिए बनारस की पहचान पूरे विश्व में है. इनमें बनारसी साड़ी सबसे महत्वपूर्ण है.
बनारसी साड़ी जब विश्व के कोने-कोने में अपनी छाप छोड़ती है तो हर कोई इसकी मेकिंग के बारे में जानने को उतावला होता है. यही वजह है कि वाराणसी के रामनगर इलाके में जी-20 देशों के मेहमानों को बनारसी साड़ी तैयार करने की विशेष पाठशाला में ले जाया जाएगा. जहां उनकी स्पेशल क्लास होगी. दरअसल वाराणसी के रामनगर इलाके में वीवरशाला नाम से एक ऐसा पहला हथकरघा कारोबार का केंद्र स्थापित किया गया है, जहां पर आज भी लूम नहीं बल्कि हथकरघा से साड़ियों को तैयार करने का काम और ट्रेनिंग दी जाती है.
केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से इस क्षेत्र के रहने वाले साड़ी कारोबारी अमरेश कुशवाहा ने इस दो मंजिला वीवरशाला को तैयार करवाया है. सबसे बड़ी बात यह है कि जिस तरह से आज भी अंधेरे कमरे और पतली पतली गली मोहल्ले में हथकरघा उद्योग अपने पुरातन और उसी पैटर्न पर चल रहा है, जैसा इसकी शुरुआत के समय हुआ करता था. इस खास वीविंग स्पॉट पर हथकरघा का मॉडर्न अवतार देखने को मिलता है. जमीन पर बैठकर काम करने वाले कारीगरों से अलग यहां पर लोहे के स्ट्रक्चर पर हथकरघा को स्थापित किया गया है और आराम से ऊंची कुर्सियों पर बैठकर बुनकर अलग अंदाज में यहां पर काम करते नजर आते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि कई बड़े डिजाइनर्स की साड़ियां भी इसी स्थान पर तैयार होती हैं.
अमरेश कुशवाहा बताते हैं कि उन्हें भारत सरकार के हथकरघा एवं टेक्सटाइल मंत्रालय की तरफ से यह कहा गया है कि वाराणसी में जी-20 सम्मेलन के लिए आने वाले जी-20 देशों के मेहमानों को बनारसी साड़ी कारोबार और इसकी मेकिंग से रूबरू करवाना है. इसके लिए इस वीवरशाला को चुना गया है. इसे लेकर हमें तैयारी करने के लिए भी कहा गया है और हम इसे और बेहतर करने की प्लानिंग कर चुके हैं.
अमरेश कुशवाहा का कहना है कि यहां पर मेहमानों को साड़ी की हर बारीकी से रूबरू करवाया जाएगा. बेंगलुरु से धागे आने के बाद उसकी रंगाई उसको हथकरघा पर चढ़ाना डिजाइन तैयार करना और पतले पतले धागे के बल पर एक साड़ी को कैसे तैयार किया जाता है. पूरा प्रोसेस करने के तौर तरीके से मेहमानों को रूबरू करवाया जाएगा.
इसके अलावा बनारसी साड़ी उद्योग की दिक्कतों को कैसे दूर करके बुनकर नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं. उसके लिए कई ऐसे बुनकरों से भी मिलवाया जाएगा, जिन्होंने इस क्षेत्र में अपने बल पर नए मुकाम हासिल किए हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इन मेहमानों को बनारस में तैयार हुआ कड़वा प्रिंट और रेशम डिजाइन का खास अंगवस्त्रम भी उपहार स्वरूप दिया जाएगा. जिसका डिजाइन मंत्रालय को अप्रूवल के लिए भेजा गया है. इसके अप्रूवल के बाद मेहमानों के लिए इसे तैयार करवाने का काम भी शुरू हो जाएगा.