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लिफ्ट खराब थी, सो मां को कंधे पर उठाकर अस्पताल के चौथे माले पर पहुंचा बेटा

वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय परिसर के सर सुन्दरलाल हॉस्पिटल में शनिवार को एक ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसे देख आप भी विश्वविद्यालय प्रशासन के बेहतर प्रबंधन के दावों को बखूबी समझ सकेंगे. यहां गाजीपुर निवासी एक बेटा अपनी बूढ़ी मां को लेकर डॉक्टर को दिखाने पहुंचा था. मां चलने में असमर्थ थी. काफी प्रयास करने के बाद भी जब स्ट्रेचर नहीं मिला और लिफ्ट भी खराब थी, सो आखिरकार उसने अपनी मां को कंधे पर उठा लिया और उसी स्थिति में अस्पताल के चौथे माले पर पहुंचा.

मां को कंधे पर उठाकर अस्पताल के चौथे माले पर पहुंचा बेटा
मां को कंधे पर उठाकर अस्पताल के चौथे माले पर पहुंचा बेटा
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Published : Nov 14, 2021, 12:37 PM IST

वाराणसी: वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय परिसर के सर सुन्दरलाल हॉस्पिटल में शनिवार को एक ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसे देख आप भी विश्वविद्यालय प्रशासन के बेहतर प्रबंधन के दावों को बखूबी समझ सकेंगे. यहां गाजीपुर निवासी एक बेटा अपनी बूढ़ी मां को लेकर डॉक्टर को दिखाने पहुंचा था. मां चलने में असमर्थ थी. काफी प्रयास करने के बाद भी जब स्ट्रेचर नहीं मिला और लिफ्ट भी खराब थी, सो आखिरकार उसने अपनी मां को कंधे पर उठा लिया और उसी स्थिति में अस्पताल के चौथे माले पर पहुंचा. यहां पहुंचने के बाद भी कोई उसकी मदद को सामने नहीं आया. वो हैरान परेशान एक विभाग से दूसरे विभाग की ओर भागता रहा.

इस दौरान अस्पताल में जगह-जगह तैनात सुरक्षाकर्मियों के साथ ही चिकित्सक और पैरामेडिकल स्टाफ आते-जाते रहे. लेकिन किसी की नजर उस पर नहीं पड़ी. बीएचयू अस्पताल में पहले भी किसी को बेड नहीं मिलने, किसी को ओपीडी में डॉक्टर को दिखाने के लिए स्ट्रेचर नहीं मिलने तो कभी जमीन पर लिटाकर ऑक्सीजन चढ़ाने का मामला सामने आते रहे हैं.

मां को कंधे पर उठाकर अस्पताल के चौथे माले पर पहुंचा बेटा
मां को कंधे पर उठाकर अस्पताल के चौथे माले पर पहुंचा बेटा

इसे भी पढ़ें - ताजमहल में पीएसी के असिस्टेंट कमांडेंट का हाई वोल्टेज ड्रामा, जानें किस बात पर मचाया हंगामा

मरीजों और उनके परिजनों की परेशानियों को देखने के बाद भी यहां बेहतर प्रबंधन व सुविधाओं के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की आंखें नहीं खुलती हैं. गाजीपुर निवासी घूना देवी को सांस लेने में तकलीफ थी. उनको लेकर बेटा भरत हृदय रोग विभाग में प्रो. ओमशंकर को दिखाने अस्पताल पहुंचा था. पुरानी इमरजेंसी के पास से स्ट्रेचर लेने गया तो पता चला कि इमरजेंसी शिफ्ट होकर सुपरस्पेशियलिटी में चली गई है.

मां को कंधे पर उठाकर अस्पताल के चौथे माले पर पहुंचा बेटा
मां को कंधे पर उठाकर अस्पताल के चौथे माले पर पहुंचा बेटा

इसके बाद भरत ने कर्मचारियों से गुहार लगाई. सिक्योरिटी कंट्रोल रूम में भी गया. पर किसी ने उसकी मदद नहीं की. फिर कंधे पर मां को उठाकर हृदय रोग विभाग गया. इसके बाद चिकित्सक ने चौथी मंजिल पर भर्ती करने की सलाह दी. वहीं, जैसे-तैसे लिफ्ट तक मां को लेकर गया, लेकिन अस्पताल की लिफ्ट भी खराब थी. इसके बाद भरत रैंप के सहारे किसी तरह कंधे पर बूढ़ी मां को उठा चौथे माले पर पहुंचा.

मां को कंधे पर उठाकर अस्पताल के चौथे माले पर पहुंचा बेटा
मां को कंधे पर उठाकर अस्पताल के चौथे माले पर पहुंचा बेटा

भरत ने बताया कि मां को दिखाने की मजबूरी थी. इस वजह से सुरक्षाकर्मियों, चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ के आगे मिन्नतें की, लेकिन किसी ने साथ नहीं दिया. कहा कि बीएचयू जैसे अस्पताल में मां को लेकर भटकना पड़ेगा, ऐसा सोचा नहीं था. आईएमएस बीएचयू के निदेशक प्रो. बीआर मित्तल ने कहा कि अस्पताल में व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी एमएस की होती है. मामले की जानकारी मुझे तो कहीं से नहीं मिली. इस मामले पर एमएस से बातचीत कर पूरी जानकारी लेंगे.

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वाराणसी: वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय परिसर के सर सुन्दरलाल हॉस्पिटल में शनिवार को एक ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसे देख आप भी विश्वविद्यालय प्रशासन के बेहतर प्रबंधन के दावों को बखूबी समझ सकेंगे. यहां गाजीपुर निवासी एक बेटा अपनी बूढ़ी मां को लेकर डॉक्टर को दिखाने पहुंचा था. मां चलने में असमर्थ थी. काफी प्रयास करने के बाद भी जब स्ट्रेचर नहीं मिला और लिफ्ट भी खराब थी, सो आखिरकार उसने अपनी मां को कंधे पर उठा लिया और उसी स्थिति में अस्पताल के चौथे माले पर पहुंचा. यहां पहुंचने के बाद भी कोई उसकी मदद को सामने नहीं आया. वो हैरान परेशान एक विभाग से दूसरे विभाग की ओर भागता रहा.

इस दौरान अस्पताल में जगह-जगह तैनात सुरक्षाकर्मियों के साथ ही चिकित्सक और पैरामेडिकल स्टाफ आते-जाते रहे. लेकिन किसी की नजर उस पर नहीं पड़ी. बीएचयू अस्पताल में पहले भी किसी को बेड नहीं मिलने, किसी को ओपीडी में डॉक्टर को दिखाने के लिए स्ट्रेचर नहीं मिलने तो कभी जमीन पर लिटाकर ऑक्सीजन चढ़ाने का मामला सामने आते रहे हैं.

मां को कंधे पर उठाकर अस्पताल के चौथे माले पर पहुंचा बेटा
मां को कंधे पर उठाकर अस्पताल के चौथे माले पर पहुंचा बेटा

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मरीजों और उनके परिजनों की परेशानियों को देखने के बाद भी यहां बेहतर प्रबंधन व सुविधाओं के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की आंखें नहीं खुलती हैं. गाजीपुर निवासी घूना देवी को सांस लेने में तकलीफ थी. उनको लेकर बेटा भरत हृदय रोग विभाग में प्रो. ओमशंकर को दिखाने अस्पताल पहुंचा था. पुरानी इमरजेंसी के पास से स्ट्रेचर लेने गया तो पता चला कि इमरजेंसी शिफ्ट होकर सुपरस्पेशियलिटी में चली गई है.

मां को कंधे पर उठाकर अस्पताल के चौथे माले पर पहुंचा बेटा
मां को कंधे पर उठाकर अस्पताल के चौथे माले पर पहुंचा बेटा

इसके बाद भरत ने कर्मचारियों से गुहार लगाई. सिक्योरिटी कंट्रोल रूम में भी गया. पर किसी ने उसकी मदद नहीं की. फिर कंधे पर मां को उठाकर हृदय रोग विभाग गया. इसके बाद चिकित्सक ने चौथी मंजिल पर भर्ती करने की सलाह दी. वहीं, जैसे-तैसे लिफ्ट तक मां को लेकर गया, लेकिन अस्पताल की लिफ्ट भी खराब थी. इसके बाद भरत रैंप के सहारे किसी तरह कंधे पर बूढ़ी मां को उठा चौथे माले पर पहुंचा.

मां को कंधे पर उठाकर अस्पताल के चौथे माले पर पहुंचा बेटा
मां को कंधे पर उठाकर अस्पताल के चौथे माले पर पहुंचा बेटा

भरत ने बताया कि मां को दिखाने की मजबूरी थी. इस वजह से सुरक्षाकर्मियों, चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ के आगे मिन्नतें की, लेकिन किसी ने साथ नहीं दिया. कहा कि बीएचयू जैसे अस्पताल में मां को लेकर भटकना पड़ेगा, ऐसा सोचा नहीं था. आईएमएस बीएचयू के निदेशक प्रो. बीआर मित्तल ने कहा कि अस्पताल में व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी एमएस की होती है. मामले की जानकारी मुझे तो कहीं से नहीं मिली. इस मामले पर एमएस से बातचीत कर पूरी जानकारी लेंगे.

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