वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान में तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. इसमें गैर शासकीय संगठन फाउंडेशन फॉर एडवांस ऑफ एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के अंतर्गत संचालित उपक्रम भारतीय सब्जी अनुसंधान वाराणसी के संयुक्त प्रयास से जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा प्रायोजित बायोटेक किसान परियोजना के अंतर्गत किसानों के लिए विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन किए गए.
सेमिनार में प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एवं रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय झांसी के चांसलर प्रोफेसर पंजाब सिंह ने कहा कि किसान उन्नत बीज उत्पादन प्रशिक्षण लेकर दूसरों को प्रशिक्षित करें. पूर्वांचल के 4 जिलों चंदौली, सोनभद्र, वाराणसी और गाजीपुर में कुछ गांवों को चिह्नित कर मॉडल विलेज के रूप में विकसित किया जाएगा. पूर्वांचल कृषि विकास का रोड मैप बनेगा. इसमें पिछड़े क्षेत्रों के किसान स्वाबलंबी बन सकेंगे. प्रशिक्षण कार्यक्रम जैसे मछली पालन, बकरी पालन आदि भविष्य में आयोजित किए जाएंगे.
प्रोफेसर सिंह ने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में बायोटेक किसान परियोजना के अंतर्गत चयनित, आयोग द्वारा आकांक्षी जिले के रूप में चयनित सोनभद्र और चंदौली से पांच-पांच किसान व गैर आकांक्षी जिले से वाराणसी और गाज़ीपुर से भी 5-5 किसान सम्मिलित हो रहे हैं. बीएचयू कृषि विज्ञान संस्थान के पूर्व निदेशक शिवराज सिंह ने कहा कि किसानों को प्रशिक्षण के माध्यम से तकनीकी ज्ञान प्राप्त होगा. उच्च तकनीकी के माध्यम से किसान स्वयं के कार्य के साथ-साथ रोजगार से भी जुड़ सकते हैं. गुणवत्ता युक्त बीज की किसानों के सामने एक बहुत बड़ी समस्या है. उन्नत बीज किसान अपने-अपने खेतों में उत्पादन करें. इस समस्या से स्वयं के साथ-साथ और भी किसानों को फायदा पहुंचा सकते हैं.