वाराणसी: महाशिवरात्रि पर काशीनगरी का कण-कण हर-हर महादेव बोल रहा है. वैसे तो काशी में एक से बढ़कर एक शिवालय हैं, जिनकी महिमा शिव पुराणों तक में वर्णित है. शिवरात्रि के शुभ अवसर पर आज छोटे-बड़े सभी शिवालयों में बाबा भोलेनाथ के भक्तों का तांता लगा हुआ है. ऐसा ही एक शिवालय है काशी स्थित तिलभांडेश्वर महादेव. जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि तिलभांडेश्वर महादेव का संबंध तिल से है. ऐसी मान्यता है कि यहां बाबा भोलेनाथ हर रोज एक तिल के दाने के बराबर बढ़ते हैं. महाशिवरात्रि पर जानिए क्या है इस मंदिर की रोचक कहानी और महत्व.
महाशिवरात्रि पर यहां हजारों-लाखों की तादाद नें श्रद्धालु बाबा भोलेनाथ का दर्शन करने आते हैं. बाबा तिलभांडेश्वर महादेव का यह मंदिर केदारखंड में स्थित है. दरअसल काशी दो खंडों में विराजमान मानी जाती है, एक काशी खंड और दूसरा केदारखंड. काशी खंड में बाबा विश्वनाथ और महामृत्युंजय हैं तो वहीं केदारखंड में तेल पांडेश्वर, केदारेश्वर व कई अन्य महत्वपूर्ण शिवालय स्थित हैं. काशी के केदारखंड में स्थित सभी शिवालय महाशिवरात्रि के दिन हर-हर महादेव के जयघोष से गूंज रहा है. श्रद्धालु बाबा को जलाभिषेक, रुद्राभिषेक कर अपनी हर इच्छा की पूर्ति के लिए कामना कर रहे हैं.
बाबा तिलभांडेश्वर स्वयंभू हैं, वह स्वयं यहां प्रकट हुए. तभी से प्रतिदिन एक तिल के बराबर उनकी बढ़ोतरी होती थी. लेकिन संत महाजनों ने बाबा तिलभांडेश्वर से साल में एक ही बारमकर संक्रांति के दिन ही बढ़ने की विनती की. तभी से हर मकर संक्रांति के दिन बाबा तिलभांडेश्वर एक तिल के बराबर बढ़ते हैं.
ओमप्रकाश, दर्शनार्थी
तिलभांडेश्वर महादेव हर साल एक तिल के बराबर बढ़ते हैं. शिवपुराण में लिखा है कि जो काशी में गंगा स्नान करेंगे, उनकी मनोकामना जरूर पूर्ण होगी.
कमला बाबा, पुजारी, तिलभांडेश्वर मंदिर