वाराणसी: आज ही के दिन 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचे को गिराया गया था, जिसे लेकर मुस्लिम समाज के लोग काला दिवस के रूप में मनाते हैं. प्रशासन पूरे जिले में पूरी सतर्कता के साथ मुस्तैद रही. मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गई है. नई सड़क क्षेत्र से दालमंडी जाने वाले क्षेत्रों की दुकानें आज के दिन बन्द दिखीं.
वाराणसी का मुस्लिम बाहुल्य इलाका माने जाने वाला क्षेत्र नईसड़क, दालमंडी और अन्य मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र जैसे मदनपुरा सहित कई इलाकों में दुकानें पूरी तरह बंद रहीं. आज सुबह से ही नई सड़क और दालमंडी क्षेत्र की दुकानें बंद दिखीं. बाजार में पुलिस प्रशासन भी मुस्तैद दिखा.
क्रांति सेना ने मनाया शौर्य दिवस
मुजफ्फरनगर: जिले में आज क्रांति सेना ने विवादित ढांचे को तोड़े जाने की वर्षगांठ को प्रकाश मार्केट में आतिशबाजी कर शौर्य दिवस के रूप में मनाया. इस दौरान हिंदू संगठन क्रांति सेना के कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़प और धक्का मुक्की भी हुई. प्रशासन द्वारा भारी पुलिस बल लगाकर प्रकाश मार्किट से बाहर निकलने के रास्ते को बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया गया था. इससे पूर्व नगर मजिस्ट्रेट, सीओ सदर व इंस्पेक्टर सिविल लाइन प्रकाश मार्केट स्थित क्रांति सेना कार्यालय पर पहुंचे ओर प्रदेश महासचिव मनोज सैनी, प्रदेश उपाध्यक्ष योगेंद शर्मा, जिला अध्यक्ष मुकेश त्यागी व नगर अध्यक्ष लोकेश सैनी से वार्ता कर प्रदेश सरकार के निर्देशों का हवाला देते हुए कार्यक्रम न करने को कहा. पर क्रांति सेना के पदाधिकारियों ने 6 दिसम्बर को परम्परागत कार्यक्रम मानते हुए कार्यक्रम करने की बात दोहराई. इसके बाद सभी कार्यकर्ता मुख्य नेताओं के नेतृत्व में नारेबाजी व आतिशबाजी करते हुए कार्यालय से चले गए.
पुलिस अधिकारियों ने भारी पुलिस बल व बैरिकेडिंग लगाकर प्रकाश मार्किट के बाहर क्रांति सेना के कार्यकर्ताओं को रोक लिया. इस पर पुलिस से काफी देर तक उनकी धक्का मुक्की होती रही और वे आतिशबाजी करते रहे. इसके बाद प्रकाश मार्किट में मिष्ठान वितरण किया गया. हिंदू संगठनों द्वारा सन 1992 में कार सेवा में शामिल हुए कार्यकर्ताओं के लिए सरकार से पेंशन की मांग की जा रही है तो वहीं मुस्लिम समाज के लोग बाबरी मस्जिद कांड को भूलकर देश में अमन और चैन कायम करने की बात कह रहे हैं.
विवादित ढांचा विध्वंस को भूलकर मुल्क में अमन चैन कायम करें: शहर काजी
शहर काजी तनवीर आलम का कहना है कि 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद शहीद की गई थी. भारतीय संविधान का उल्लंघन हुआ. सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया, उसको पूरे देश ने स्वीकार किया है. पूरे देश में अमन और भाईचारा कायम रहा और इस विवाद का अंत हो गया. ऐसे में शौर्य दिवस, विजय दिवस और काला दिवस मनाने का कोई औचित्य नहीं है और न ही हमें कोई नया विवाद पैदा करना चाहिए. जैसा कि आप जानते हैं मथुरा में कोर्ट में कुछ मामला आया है. सरकार और न्यायपालिका को इस ओर ध्यान देना चाहिए.