वाराणसी: आज से शारदीय नवरात्रि शुरू हो गए हैं. नवरात्रि यानी देवी भगवती की कृपा पाने के लिए 9 दिनों तक चलने वाला अनुष्ठान. इस दौरान देवी के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा होती है. अलग-अलग रूप देवी के नौ अलग-अलग भाव को दर्शाते हैं. प्रथम दिन किस देवी की पूजा करें, कैसे पाएं उनका आशीर्वाद और क्या चढ़ाएं उन्हें, जिससे देवी जी की विशेष कृपा बनी रहे.
नवरात्रि के प्रथम दिन देवी शैलपुत्री की करें पूजा
वासंतिक नवरात्रि में देवी के गौरी रूप का पूजन और दर्शन संपन्न होता है, जबकि शारदीय नवरात्रि में देवी के नौ दुर्गा स्वरूप के दर्शन होते हैं. जिनमें पहला स्वरूप है देवी शैलपुत्री का देवी शैलपुत्री जो हिमालयराज की पुत्री है. जैसा कि नाम से ही विदित है कि वह शैल राज की पुत्री हैं. इसलिए उनका पूजन पहाड़ों और जंगलों में मिलने वाले विविध तरह के फूलों से ही किया जाना चाहिए. जिनमें कनेर और सफेद पुष्प विशेष रूप से महत्व रखते हैं. इसके साथ ही देवी शैलपुत्री को नरियल अति प्रिय है. उनके सामने नारियल की बलि दिए जाने से सभी मनोकामना की पूर्ति होती है. कपूर की आरती कर माता शैलपुत्री का आशीर्वाद पाया जा सकता है. इसलिए आज प्रथम दिन देवी शैलपुत्री का दर्शन पूजन कर उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त करें.
मंत्र- ओम एम हीम क्लीम चामुंडायै विच्चे ॐ शैलपुत्री देवाय नमः
ध्यान मंत्र- वन्दे वांछित लाभाय चन्द्राद्र्वकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ा शूलधरां यशस्विनीम्॥
पर्वतराज हिमालय की बेटी हैं माता शैलपुत्री
मां का स्वरूप-चार भुजा वाली माता शैलपुत्री सफेद वस्त्रों में भक्तों को दर्शन देती हैं. मार्कंडेय पुराण के मुताबिक माता शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की बेटी हैं और उनका वाहन वृष यानी बैल है. एक हाथ में त्रिशूल दूसरे में डमरु लिए माता शैलपुत्री भक्तों के सभी कष्टों को हर लेती हैं.
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देवी का यह स्वरूप काफी मन मोहने वाला है. पर्वतराज शैल यानी हिमालय की पुत्री ने भगवान शिव से विवाह करने की ठानी थी. उन्होंने यह कहा भी था कि अगर शादी करूंगी तो शिव से, नहीं तो कुंवारी ही रहूंगी. जिसकी वजह से उनकी शादी शिव से हुई हुई. इसलिए देवी के स्वरूप का दर्शन कुंवारी कन्याओं के लिए विशेष फलदायी माना जाता है. इसके साथ ही देवी के पूजन का विशेष विधान है.
-पंडित पवन त्रिपाठी, ज्योतिषाचार्य