वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी को रिटर्न गिफ्ट दिया है. वाराणसी को समरकंद की समिट में SCO की पहली कल्चरल और टूरिज्म कैपिटल घोषित किया गया है. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी भी मौजूद थे. इस घोषणा के बाद वाराणसी को वैश्विक स्तर पर नई पहचान मिली है. इससे पहले भी काशी को पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता रहा है. लेकिन, इस घोषणा के बाद काशी के पर्टयन और करोबार को नई उड़ान मिली है.
दरअसल, पीएम मोदी के जन्मदिन पर वाराणसी को यह खुशखबरी मिली है. ऐसे में यह माना जा रहा है कि पीएम ने अपने जन्मदिन के मौके पर रिटर्न गिफ्ट दिया है. ऐसा ही वाराणसी के पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों का मानना है. वाराणसी को सांस्कृतिक और पर्यटन की राजधानी का दर्जा शंघाई सहयोग संगठन की ओर से मिलने के बाद अब काशी को और भी वैश्विक पहचान मिलने जा रही है. इससे काशी के पर्यटन कारोबार में वृद्धि की पूरी संभावना है.
पीएम मोदी 2014 से कर रहे काशी का विकास: प्रधानमंत्री मोदी साल 2014 से 2022 तक वाराणसी को किसी न किसी तरीके से गिफ्ट देते रहे हैं. पीएम मोदी ने काशी को वैश्विक पहचान दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. इसकी शुरुआत वाराणसी की सड़कों के कायाकल्प से हुई और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर तक पहुंची है. अब संघाई देशों की पहली सांस्कृतिक और पर्यटन की राजधानी बनने के बाद काशी का नाम शीर्ष पर पहुंच गया है.
पर्यटन बढ़ने से कारोबार को पहुंचेगा लाभ: वाराणसी टूरिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष राहुल मेहता ने बताया कि समरकंद में वाराणसी को टूरिज्म और कल्चरल कैपिटल घोषित किए जाने के बाद यहां के होटल व्यवसाय, साड़ी व्यवसाय और पर्यटन के अन्य व्यवसायों को नई उड़ान मिलेगी. पहले ही काशी में विश्वनाथ धाम ने पर्यटन में तेजी लाई है. लेकिन, अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर नई पहचान मिलने से काशी को रोजगार के नए रास्ते मिलेंगे. पर्यटकों की संख्या बढ़ने से व्यवसाय करने वालों को भी लाभ पहुंचेगा.
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वाराणसी के ताज में एक और नगीना जुड़ गया: पर्यटन अधिकारी कीर्तिमान श्रीवास्तव ने बताया कि, समरकंद में काशी को एससीओ की पहली टूरिज्म और कल्चरल कैपिटल घोषित किया गया है. काशी पहले से ही पूरे विश्व में जानी जाती रही है. कैपिटल घोषित होने के बाद इसके ताज में एक और नगीना जुड़ा है. यह पर्यटन और कल्चर के बहुत ही महत्वपूर्ण है. उन्होंने बताया कि, इसकी बात पहले से ही चल रही थी. अब इसे संवैधानिक रूप से घोषित किया गया है. विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर भी इसकी जानकारी दी गई है.
क्या है शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO)
शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेश (SCO) एक स्थायी अंतरराष्ट्रीय संगठन है. 15 जून 2001 को चीन की राजधानी शंघाई में इस संगठन की घोषणा हुई है. इस संगठन के एलान के वक्त इसमें कजाखस्तान, चीन, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने हिस्सा लिया था. इससे पहले उज्बेकिस्तान को छोड़कर यह सभी देश शंघाई फाइव का हिस्सा थे. 1996 में बने शंघाई फाइव का मकसद चीन, रूस समेत इन पांचों देशों की सीमाओं पर तनाव कम करना था.
इस वक्त कितने देश SCO में शामिल हैं?
SCO के सदस्य देशों की संख्या बढ़कर 8 हो चुकी है. SCO के पूर्णकालिक सदस्यों में भारत, कजाखस्तान, चीन, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, पाकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया को SCO में पर्यवेक्षक का दर्जा मिला हुआ है. वहीं, अजरबैजान, आर्मेनिया, कंबोडिया, नेपाल, तुर्की और श्रीलंका को एक संवाद भागीदार राष्ट्र का दर्जा प्राप्त है.
उज्बेकिस्तान के शामिल होने के बाद बदला नाम
बता दें कि 1997 में मॉस्को में हुए समझौते के बाद यह देश अपनी-अपनी सीमाओं से सैन्य जमावड़ा कम करने के लिए राजी हो गए. 2001 में इस संगठन में उज्बेकिस्तान शामिल हुआ. इसके बाद इसका नाम शंघाई फाइव से बदलकर SCO कर दिया गया.
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