ETV Bharat / state

शब ए बरात पर रात भर चला इबादत का दौर, कब्रिस्तानों में पढ़ी गई फातिहा

author img

By

Published : Mar 29, 2021, 2:56 AM IST

रविवार की रात शब ए बारात का पर्व मनाया गया. वहीं कब्रिस्तानों में फातिहा पढ़ी गई. लोगों ने रातभर भर घरों में रहकर इबादत की. माना जाता है कि इस दिन पुरखों की रूह अपने घर में लौटती है, जिसके चलते लोग घरों को पाक साफ और रोशन रखते हैं.

शब ए बरात पर रात भर चला इबादत का दौर
शब ए बरात पर रात भर चला इबादत का दौर

वाराणसी: रविवार को शब ए बरात के दिन मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपने बुज़ुर्गों की कब्र और मजारों पर जाकर फातिहा पढ़कर दुआएं मांगते हैं. रविवार की पूरी रात ये सिलसिला चलता रहा, जहां पिछले साल कोरोना काल में लोगों ने घरों में ही इबादत की .वहीं इस साल लोग बाकायदा कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए सोशल डिस्टेंसिंग के साथ अपने बुज़ुर्गों की कब्र और मजारों पर जाकर फातिहा पढ़ी. कब्रिस्तान से निकल कर लोगों ने अपने घरों का रूख किया और घर पर सारी रात इबादत का सिलसिला जारी रखा.

varanasi news
इस साल लोग बाकायदा कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए सोशल डिस्टेंसिंग के साथ अपने बुज़ुर्गों की कब्र और मजारों पर जाकर फातिहा पढ़ी. कब्रिस्तान से निकल कर लोगों ने अपने घरों का रूख किया और घर पर सारी रात इबादत का सिलसिला जारी रखा.
दिखी गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल
वाराणसी में एक बार फिर गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल देखने को मिली. एक ओर जहां होलिका दहन हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम समुदाय के लोग कब्रिस्तान और मजारों पर जाकर फातिहा पढ़ते नज़र आए.शब ए बरात के के बारे में मुफ़्ती बनारस अब्दुल बातिन नोमानी ने बताया कि इस रात रब फरिश्तों को जिम्मेदारियां सौपते हैं .लोगों के नामे आमाल लिखे जाते हैं .किसे क्या मिलेगा .किसकी जिंदगी खत्म होगी .किसके लिए साल कैसा होगा .पूरे साल किसकी जिंदगी में क्या उतार-चढ़ाव आएगा. यह इसी रात लिखा जाता है. साथ ही पुरखों की रूह अपने घर में लौटती है, जिसके चलते लोग घरों को पाक साफ और रोशन रखते हैं.
मुफ्ती बनारस ने की अपील
शब ए बरात के दिन मुफ़्ती बनारस और शाही मस्जिद ज्ञानवापी के इमाम अब्दुल बातिन नोमानी ने लोगों से अपील की कि आप हज़रात को इस बात का बखूबी इल्म है कि इस साल शब ए बरात और होली एक ही दिन है. यानी होलिका दहन का भी प्रोग्राम आज ही है. इस मौके पर कुछ ऐसे लोग जो अमन और शांति को कायम नहीं रहने देना चाहते हैं .उनकी तरफ से आमतौर से कुछ ऐसी हरकतें होती है. जिनकी वजह से अमन शांति में खतरा पैदा होता है. इस साल इसका डर पहले से ज्यादा है. लिहाजा तमाम लोगों से ताकीदी तौर पर अपील की जाती है कि फातिहा ख्वानी वगैरह से जल्द से जल्द खाली होकर अपने-अपने घरों में ही इबादत का एहतेमाम करें और बगैर ज़रूरत घर से बाहर ना निकले, जिससे कि असामाजिक तत्व अपने बुरे इरादों में कामयाब ना हो सकें.
अल्लाह से की जाती है दुआएं
शब ए बरात के दिन कब्रिस्तान फातिहा पढ़ने आए फ़िरोज़ अख्तर ने कहा कि आज के दिन अल्लाह सबकी मुरादें व ख्वाहिश को सुनता है. लोग अपने लोगों के कब्रों पर फातिहा पढ़ने आते हैं और दुआएं करते हैं कि अल्लाह इन्हें जन्नत नसीब फरमाएं. वहीं उन्होंने कहा कि आज के दिन हम सब देश मे अम्नो शांति के लिए भी दुआ करते हैं और अपने बनारस की गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल हमेशा कायम रहें.
घरों में बनाएं जाते हैं हलवे
मुस्लिम समुदाय के लोग अपने घरों में आज के दिन तरह तरह के हलवे बनाते हैं. गरीबों में खाना भी बांटा जाता है. घर पर औरतें बच्चे भी बड़े जोर शोर से इबादत करते हैं नमाज पढ़ते हैं.

वाराणसी: रविवार को शब ए बरात के दिन मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपने बुज़ुर्गों की कब्र और मजारों पर जाकर फातिहा पढ़कर दुआएं मांगते हैं. रविवार की पूरी रात ये सिलसिला चलता रहा, जहां पिछले साल कोरोना काल में लोगों ने घरों में ही इबादत की .वहीं इस साल लोग बाकायदा कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए सोशल डिस्टेंसिंग के साथ अपने बुज़ुर्गों की कब्र और मजारों पर जाकर फातिहा पढ़ी. कब्रिस्तान से निकल कर लोगों ने अपने घरों का रूख किया और घर पर सारी रात इबादत का सिलसिला जारी रखा.

varanasi news
इस साल लोग बाकायदा कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए सोशल डिस्टेंसिंग के साथ अपने बुज़ुर्गों की कब्र और मजारों पर जाकर फातिहा पढ़ी. कब्रिस्तान से निकल कर लोगों ने अपने घरों का रूख किया और घर पर सारी रात इबादत का सिलसिला जारी रखा.
दिखी गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल
वाराणसी में एक बार फिर गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल देखने को मिली. एक ओर जहां होलिका दहन हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम समुदाय के लोग कब्रिस्तान और मजारों पर जाकर फातिहा पढ़ते नज़र आए.शब ए बरात के के बारे में मुफ़्ती बनारस अब्दुल बातिन नोमानी ने बताया कि इस रात रब फरिश्तों को जिम्मेदारियां सौपते हैं .लोगों के नामे आमाल लिखे जाते हैं .किसे क्या मिलेगा .किसकी जिंदगी खत्म होगी .किसके लिए साल कैसा होगा .पूरे साल किसकी जिंदगी में क्या उतार-चढ़ाव आएगा. यह इसी रात लिखा जाता है. साथ ही पुरखों की रूह अपने घर में लौटती है, जिसके चलते लोग घरों को पाक साफ और रोशन रखते हैं.
मुफ्ती बनारस ने की अपील
शब ए बरात के दिन मुफ़्ती बनारस और शाही मस्जिद ज्ञानवापी के इमाम अब्दुल बातिन नोमानी ने लोगों से अपील की कि आप हज़रात को इस बात का बखूबी इल्म है कि इस साल शब ए बरात और होली एक ही दिन है. यानी होलिका दहन का भी प्रोग्राम आज ही है. इस मौके पर कुछ ऐसे लोग जो अमन और शांति को कायम नहीं रहने देना चाहते हैं .उनकी तरफ से आमतौर से कुछ ऐसी हरकतें होती है. जिनकी वजह से अमन शांति में खतरा पैदा होता है. इस साल इसका डर पहले से ज्यादा है. लिहाजा तमाम लोगों से ताकीदी तौर पर अपील की जाती है कि फातिहा ख्वानी वगैरह से जल्द से जल्द खाली होकर अपने-अपने घरों में ही इबादत का एहतेमाम करें और बगैर ज़रूरत घर से बाहर ना निकले, जिससे कि असामाजिक तत्व अपने बुरे इरादों में कामयाब ना हो सकें.
अल्लाह से की जाती है दुआएं
शब ए बरात के दिन कब्रिस्तान फातिहा पढ़ने आए फ़िरोज़ अख्तर ने कहा कि आज के दिन अल्लाह सबकी मुरादें व ख्वाहिश को सुनता है. लोग अपने लोगों के कब्रों पर फातिहा पढ़ने आते हैं और दुआएं करते हैं कि अल्लाह इन्हें जन्नत नसीब फरमाएं. वहीं उन्होंने कहा कि आज के दिन हम सब देश मे अम्नो शांति के लिए भी दुआ करते हैं और अपने बनारस की गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल हमेशा कायम रहें.
घरों में बनाएं जाते हैं हलवे
मुस्लिम समुदाय के लोग अपने घरों में आज के दिन तरह तरह के हलवे बनाते हैं. गरीबों में खाना भी बांटा जाता है. घर पर औरतें बच्चे भी बड़े जोर शोर से इबादत करते हैं नमाज पढ़ते हैं.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.