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वाराणसी : संध्या अर्घ्य पर लोगों ने की अस्ताचलगामी सूर्य की आराधना

चैत्र के महीने में मनाई जाने वाली चैती छठ के तीसरे दिन श्रद्धालुओं ने गंगा घाट पर अस्ताचलगामी सूर्य की आराधना की. चैती छठ भी कार्तिक माह में मनाए जाने वाले छठ जितना ही महत्वपूर्ण होता. वहीं गर्मी के महीने में पड़ने के कारण यह थोड़ा कठिन भी होता है. इतनी गर्मी में 36 घंटे का निर्जला व्रत रखना अपने आप में कड़ी तपस्या है.

चैती छठ की संध्या अर्घ्य पर घाट पर उमड़े श्रद्धालु
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Published : Apr 11, 2019, 11:41 PM IST

वाराणसी : भारतवर्ष में कार्तिक महीने में पड़ने वाले छठ को हर कोई जानता है और यह पूरे देश में बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इसके साथ ही चैत्र माह में पड़ने वाला छठ भी उसी विधि-विधान से मनाया जाता है. वाराणसी के घाटों पर गुरूवार को गंगा के किनारे मंडप बनाया गया और छठ माता की पूजा की गई. इसके साथ ही व्रतियों ने गीत गाकर मां से मनोकामना पूरी करने के लिए प्रार्थना की.

चैती छठ की संध्या अर्घ्य पर घाट पर उमड़े श्रद्धालु

चैत्र छठ का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि यह गर्मी के महीने में पड़ता है. इस दौरान 36 घंटे बिना पानी का यह व्रत बहुत ही तपस्या वाला होता है. लोक मान्यता यह भी है कि कार्तिक में पड़ने वाली जो छठ है यह उनकी सास है. नहाय खाय से शुरु हुआ यह अनुष्ठान भगवान भास्कर को संध्याकालीन अर्घ्य आज दिया गया. सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ यह अनुष्ठान संपन्न होगा. बिहार में चैत्र मास में भी छठ पूरी आस्था और धूमधाम से मनाई जाती है.

छठ का महत्व इसलिए ज्यादा है क्योंकि इसमें आरोग्यता, संतान और मनोकामना की पूर्ति के लिए भगवान भास्कर की उपासना की जाती है. छठ महापर्व खासकर शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का पर्व है. वैदिक मान्यता है कि नहाय खाय से सप्तमी के पारण तक उन भक्तों पर माता की कृपा बरसती है, जो श्रद्धापूर्वक व्रत रखते हैं.

श्रद्धालु शांति देवी ने बताया कि हम लोग चैती छठ मना रहे हैं, यह बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. यह पर्व गर्मी में पड़ता है, इसलिए बहुत से लोग इस छठ को नहीं करते हैं. पूरे विधि-विधान कार्तिक में पड़ने वाली छठ की तरह ही होते हैं. वहीं चंद्रकांत सिंह ने बताया कि यह श्रद्धा का पर्व है. जैसे हम उस कार्तिक छठ को मनाते हैं, वैसे ही इसे भी मनाया जाता है. भगवान भास्कर और मां छठ की आराधना का यह महापर्व है, इसमें मां से जिस भी मनोकामना के साथ यह पूजन किया जाता है, वह पूर्ण होती है.

वाराणसी : भारतवर्ष में कार्तिक महीने में पड़ने वाले छठ को हर कोई जानता है और यह पूरे देश में बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इसके साथ ही चैत्र माह में पड़ने वाला छठ भी उसी विधि-विधान से मनाया जाता है. वाराणसी के घाटों पर गुरूवार को गंगा के किनारे मंडप बनाया गया और छठ माता की पूजा की गई. इसके साथ ही व्रतियों ने गीत गाकर मां से मनोकामना पूरी करने के लिए प्रार्थना की.

चैती छठ की संध्या अर्घ्य पर घाट पर उमड़े श्रद्धालु

चैत्र छठ का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि यह गर्मी के महीने में पड़ता है. इस दौरान 36 घंटे बिना पानी का यह व्रत बहुत ही तपस्या वाला होता है. लोक मान्यता यह भी है कि कार्तिक में पड़ने वाली जो छठ है यह उनकी सास है. नहाय खाय से शुरु हुआ यह अनुष्ठान भगवान भास्कर को संध्याकालीन अर्घ्य आज दिया गया. सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ यह अनुष्ठान संपन्न होगा. बिहार में चैत्र मास में भी छठ पूरी आस्था और धूमधाम से मनाई जाती है.

छठ का महत्व इसलिए ज्यादा है क्योंकि इसमें आरोग्यता, संतान और मनोकामना की पूर्ति के लिए भगवान भास्कर की उपासना की जाती है. छठ महापर्व खासकर शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का पर्व है. वैदिक मान्यता है कि नहाय खाय से सप्तमी के पारण तक उन भक्तों पर माता की कृपा बरसती है, जो श्रद्धापूर्वक व्रत रखते हैं.

श्रद्धालु शांति देवी ने बताया कि हम लोग चैती छठ मना रहे हैं, यह बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. यह पर्व गर्मी में पड़ता है, इसलिए बहुत से लोग इस छठ को नहीं करते हैं. पूरे विधि-विधान कार्तिक में पड़ने वाली छठ की तरह ही होते हैं. वहीं चंद्रकांत सिंह ने बताया कि यह श्रद्धा का पर्व है. जैसे हम उस कार्तिक छठ को मनाते हैं, वैसे ही इसे भी मनाया जाता है. भगवान भास्कर और मां छठ की आराधना का यह महापर्व है, इसमें मां से जिस भी मनोकामना के साथ यह पूजन किया जाता है, वह पूर्ण होती है.

Intro:भारतवर्ष में कार्तिक महीने में पढ़ने वाले छठ को हर कोई जानता है और यह पूरे देश में बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है उसके साथी पूरे वर्ष में तीन छठ पढ़ते हैं जिसमें एक चैती छठ भी पड़ता है चैत्र महीने में पढ़ने वाला या छठ भी उसी छठ की तरह विधि विधान से इसका पूजा किया जाता है। वाराणसी के घाटों पर आज मां गंगा किनारे मंडप बनाया गया छठी मां का पूजा किया गया और तूने गीत गाया और अपनी मनोकामना पूरा के लिए मां छठ का पूजा किया।


Body:चैत्र छठ का महत्व इसलिए बहुत ज्यादा है क्योंकि गर्मी के महीने में पड़ता है 36 घंटे बिना पानी का यह व्रत बहुत ही तपस्या वाला होता है लोक मान्यता यह भी है कि कार्तिक में पढ़ने वाली जो छठ है उनकी सास है। यदि नहाए खाए से अनुष्ठान का संकल्प लिया।भगवान भास्कर को संध्या कालीन का अर्ध आज दिया गया सुबह उदय सूर्य को अर्ध के साथ अनुष्ठान संपन्न होगा बिहार में चैत्र मास में भी छत पूरी आस्था व निष्ठा व धूमधाम से मनाई जाती है चैत्र छठ को लेकर गंगा घाटों पर साफ सफाई किया गया और लोगों ने गाजे बाजे के साथ भी लोक गीतों के साथ छठ मां को पूरे श्रद्धा के साथ पूजा पाठ किया।


Conclusion:छठ का महत्व इसलिए ज्यादा है सूर्य उपासना के लिए पर्व में आरोग्यता संतान एवं मनोकामना की पूर्ति के लिए भगवान भास्कर की उपासना व्रत किया जाता है छठ महापर्व खासकर शरीर मन और आत्मा की शुद्धि का पर्व है वैदिक मान्यता है कि नहाए खाए से सप्तमी के पारण तक उन भक्तों पर पष्टि माता की कृपा बरसती है जो श्रद्धा पूर्वक व्रत रखते हैं।


श्रद्धालु शांति देवी ने बताया कि हम लोग चैती छठ मना रहे हैं यह बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है हमारी आस्था का पर्व है इस पर्व गर्मी में पड़ता है इसलिए बहुत से लोग इस छठ को नहीं करते यह बहुत कठिन होता है क्योंकि इतनी गर्मी में बिना पानी पिए पूजन करना होता है सारी विधि विधान कार्तिक में पढ़ने वाली छठ की तरह ही होता है।


चंद्रकांत सिंह ने बताया यह श्रद्धा का पर्व है जैसे हम उस कार्तिक छठ को मनाते हैं वैसे ही इनका करते हैं भगवान भास्कर और मा छठ के आराधना का यह महापर्व है इसे हम सारे हिंदू रिती रिवाज और शुद्धता के साथ मनाते हैं आज तक मां से जो भी मनोकामना के साथ यह पूजन किया जाता है वह पूर्ण होता है।
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