वाराणसी लौटे सिक्किम में फंसे स्कूल के बच्चे, बताया आंखों देखा हाल वाराणसी: सिक्किम में अचानक आई बाढ़ से हुई भीषण तबाही के बीच फंसे वाराणसी के एक निजी स्कूल के 45 बच्चे सकुशल अपने घरों को लौट चुके हैं. सुरक्षित लौटने के बाद बच्चों में जहां खुशी की लहर है, तो वहीं स्कूल प्रशासन व बच्चों के अभिभावक खासा उत्साहित नजर आ रहे हैं. उन्होंने सिक्किम के प्रशासन व राज्यपाल का धन्यवाद भी किया. बता दें कि वाराणसी के एक निजी स्कूल के बाबतपुर कैंपस से 45 बच्चों का एक दल टूर के लिए सिक्किम गया हुआ था. इस दौरान उनके साथ स्कूल के 5 शिक्षक भी मौजूद थे. वे जब दार्जिलिंग के लिए निकले थे, तो उसी दौरान तीस्ता नदी में बादल फटने से भयंकर बाढ़ आ गई और सभी बच्चे फंस गए थे.
वापस लौटने पर विद्यार्थियों ने सिक्किम राज्यपाल को दिया धन्यवाद हर साल की तरह इस बार भी बच्चों का एक टूर गया हुआ था. यह टूर सिक्किम के लिए था. बच्चों को दार्जिलिंग, गंगटोक भी घूमना था. गंगटोक मे घूमने के बाद बच्चों के साथ शिक्षकों का दल दार्जिलिंग के लिए निकला था. इसी दौरान उन्हें रास्ता बंद मिला और काफी अधिक ट्रैफिक मिला. पूछने पर पता चला कि तीस्ता नदी में भयंकर बाढ़ आ गई है और रास्ते बंद हो चुके हैं. कई घर बह गए, पुल और सड़कें टूट चुके हैं. ऐसे में बच्चों को राज्यपाल डॉ. लक्ष्मण आचार्य की मदद से बच्चों को वापस होटल पहुंचवाया गया. दूसरे दिन वे दार्जिलिंग के लिए निकले, लेकिन दूसरे रास्ते भी बंद मिले. उसके बाद ट्रेन के जरिए बच्चे अपने घर पहुंच चुके हैं.
45 बच्चे और 5 शिक्षक गए थे टूर पर 45 बच्चों और 5 शिक्षकों का दल टूर पर था: स्कूल के चेयरमैन दीपक बजाज ने बताया कि हर साल बच्चे एजूकेशनल टूर के लिए जयपुरी स्कूल के द्वारा बाहर भेजे जाते हैं. इस बार 1 अक्टूबर को बाबतपुर कैंपस से 45 बच्चे और उनके साथ 5 शिक्षकों को टूर पर भेजा गया था. एक तारीख को ये लोग यहां से निकले और 2 अक्टूबर को न्यू जलपाईगुड़ी पहुंचे. वहां बस से अपने रुकने के स्थान पर पहुंचे थे. 3 अक्टूबर को गंगोटक विजिट किया. 4 को जब बच्चे दार्जिलिंग के लिए निकले तो ट्रैफिर बहुत ज्यादा था. जब पता किया गया कि आगे तीस्ता नदी के कारण भयंकर तबाही आ गई है, रास्ते सब बंद हैं.
अचानक सिक्किम में आई बाढ़ में फंस गए थे राज्यपाल की मदद से बच्चों को सुरक्षित लाया गया: उन्होंने बताया कि बच्चे 4 तारीख को वापस गंगटोक आ गए. वहां पर प्रशासन ने सहयोग किया. बच्चे सकुशल पहुंच गए. सिक्किम के राज्यपाल डॉ. लक्ष्मण आचार्य ने इस बात को संज्ञान में लिया और 4 तारीख को वे बच्चों से खुद आकर होटल में मिले. उन्होंने 5 तारीख प्रशासन की मदद से दूसरे रास्ते से बच्चों को दार्जिलिंग के लिए रवाना किया. उस दिन भी पता चला कि दूसरा रास्ता भी बंद कर दिया गया है. इसके बाद बच्चों तो वहां से सिलिगुड़ी लाया गया. उसके बाद बच्चे ट्रेन के माध्यम से दीनदयाल उपाध्याय नगर पहुंचे. इस घटना से बच्चों ने ये भी शिक्षा ली है कि पहाड़ों पर अचानक घटनाएं हो जाती हैं. ईश्वर ने बच्चों का साथ दिया है.
सकुशल सिक्किम से वापस वाराणसी लौटे स्कूली बच्चें रास्ते में ब्रिज के टूटने की थी पूरी संभावना: ट्रीप से लौटी छात्रा ने बताया कि दार्जिलिंग और गंगटोक के लिए हमारा टूर था. हम लोग दार्जिलिंग के लिए निकले थे. जब हमारा दूसरे दिन का दार्जिलिंग का ट्रिप था तो हम लोगों को पता चला कि वहां पर हाईवे टूट गया है. इसके बाद हम लोगों ने अगले दिन का प्लान बनाया. अगले दिन सुबह साढ़े पांच बजे हम लोग गंगटोक से दार्जिलिंग के निकले. जब हम उसके रास्ते पर जाने लगे तो वह रास्ता बहुत ही सकरा था. जहां पर बाढ़ आई थी उस रास्ते को रोक दिया गया था. उस समय डैम खोल दिया गया था, क्योंकि वहां पर ब्रिज के टूटने की संभावना ज्यादा थी. इसलिए हम लोगों को वहां से निकलने के लिए बोला गया.
पहाड़ों पर सुरक्षित कैंप करने का था दूसरा प्लान: छात्रा ने बताया कि वहां पर जो लोकेशन था वहां के घर, पेड़ सब बाढ़ में बह गए थे. कई लोगों की मौत हो चुकी थी. वहीं, हमारे टीचर्स ने दूसरा प्लान तैयार किया था कि वहां पर एक पहाड़ है. उस पर रास्ता बनाया गया था. उसपर सीढ़ियां लगा रखी थीं. पहाड़ के ऊपर कैंपेन करने के लिए स्थान बनाया गया था. अगर कोई दिक्कत वाली स्थिति आती है तो पहाड़ पर जाकर बच्चे सुरक्षित कैंप करके रह सकते हैं. वहीं, सारवी ने बताया कि हम लोगों का टूर 31 सितंबर से 6 अक्टूबर तक का था, लेकिन टिकट्स नहीं हो सकी थीं. इस वजह से हम लोगों का टूर देरी से गया था.
टिकट न मिलने के कारण बदलनी बड़ी डेट: वहीं, दूसरी छात्रा सारवी ने बताया कि हम लोगों का टूर 1 अक्टूबर से 7 अक्टूबर तक का हो गया. हम सिलिगुड़ी गए. वहां से हम गंगटोक पहुंचे. वहां पर पहला दिन बहुत अच्छा बीता. इसके अगले दिन हमें पता चला कि वहां पर हाईवे टूट गया है. इसके बाद तय हुआ कि हम दार्जिलिंग नहीं जा रहे हैं. मगर पता चला कि एक और रास्ता है. हम वहां से जा रहे थे. हमें पता चला कि कुछ दूर पैदल जाना पड़ेगा. मगर हम बस से ही गए थे. बीच रास्ते में बाढ़ आया हुआ था. जिस जगह पर हम गए थे बा़ढ़ से वहां का रास्ता कभी भी टूट सकता था. फिर कहा गया कि बच्चों को जल्दी से हटा लिया जाए.
सिक्किम के राज्यपाल व प्रशासन ने की मदद: बच्चो ने बताया कि इस पूरी घटना के क्रम में हमारे टीचर्स ने वहां के प्रशासन व राज्यपाल से संपर्क किया. जिसके बाद उन्होंने तुरंत हमारी मदद की और हमें से जगह पहुंचा. जिसके लिए हम वहां के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य व वहां के प्रशासन को थैंक यू कहना चाहते हैं.
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