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पीएम मोदी के गढ़ में पानी को तरस रहे स्कूल के बच्चे

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Published : Aug 30, 2022, 10:58 PM IST

वाराणसी के एक प्राथमिक विद्यालय में पानी की व्यवस्था न होने से बच्चे परेशान है. पीने के लिए पानी बच्चे अपने घर से लेकर जाते हैं. बीएसए से शिकायत के बाद भी समस्या को कोई समाधान नहीं हुआ है.

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पानी को तरस रहे स्कूल के बच्चे

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में अमृत सरोवरों के संरक्षण में जनसहयोग की बात की थी. उन्होंने कहा था कि इसने एक जन आंदोलन का रूप ले लिया है. हैरान करने वाली बात यह है कि जहां एक ओर जल संरक्षित रखने के लिए एक जन आंदोलन चलाया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी (Prime Minister Parliamentary Constituency Varanasi) के प्राथमिक विद्यालय में बच्चे बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं.

जानकारी देती सवांददाता प्रतिमा तिवारी
पूरा मामला वाराणसी के शिवपुरवा प्राथमिक विद्यालय (Shivpurwa Primary School Varanasi) का है. विद्यालय में बीते लगभग डेढ़ माह से हैंडपंप खराब है. विद्यालय में पानी की अन्य दूसरी कोई व्यवस्था नहीं है. इसकी वजह से विद्यालय में पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. उमस भरी गर्मी में एक ओर बच्चे बेहाल हैं तो दूसरी ओर उनके अभिभावक बच्चों का नाम स्कूल से कटाने की सोच रहे हैं.अपने घर से बोतल में पानी भरकर ला रहे बच्चे: स्कूल आने से पहले बच्चे पूरी व्यवस्था के साथ आ रहे हैं. उनके पास हमेशा दो या तीन बोतल पानी रहता है. स्कूल में पीने का पानी न मिलने से दिक्कत रहती है. साथ ही उन्हें शौच के लिए आकस्मिक पानी की व्यवस्था भी अपने पास से ही करनी पड़ती है. अगर किसी के पास पानी की बोतल नहीं है तो वह दिनभर प्यासा ही रह जाता है. ऐसे में तेज गर्मी के बीच भारी बस्तों के साथ दो से तीन लीटर पानी का बोझ बच्चों को और भी परेशान कर रहा है.बीमारी को जन्म दे रही यहां फैली गंदगी: विद्यालय में पानी न होने से सिर्फ पीने के लिए ही दिक्कत नहीं आ रही, बल्कि यहां पर गंदगी का अंबार लग गया है. जहां पर बच्चों के पीने के लिए पानी की टंकी की व्यवस्था है वहां गंदगी पटी पड़ी है. टंकी साफ नहीं हो पा रही है. इसके साथ ही जिन बर्तनों में बच्चों को भोजन दिया जाता है उसकी साफ सफाई फी करने में दिक्कत आ रही है. बर्तन धुलने के लिए बाल्टी में बाहर से पानी भरकर लाना पड़ता है. ऐसे में ठीक से बर्तन भी नहीं धुले जा रहे.अभिभावक का स्कूल से नाम कटाने का विचार:पानी के अभाव में बच्चों को काफी दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है. अभिभावक रवीना देवी ने कहा कि स्कूल में पानी डेढ़ महीना से बंद है. बच्चे बोतल भर-भरकर ला रहे हैं. बाथरूम जा रहे हैं तो बाथरूम में पानी नहीं है. शौच के लिए पानी की व्यवस्था नहीं है. उन्होंने कहा कि टीचर तो कोई व्यवस्था कर ले रहे हैं. बच्चों को सुबह 8 से 2 बजे तक यहीं रहना पड़ता है. बच्चे कहां जाएंगे. ऐसा ही रहा तो बच्चों का नाम स्कूल से कटाने का हमें सोचना होगा.

यह भी पढ़ें:खुलासाः कन्नौज में दूषित पानी पीने से हुई थी दो सगी बहनों समेत तीन की मौत


विद्यालय के अध्यापक ने कहा कि हमारे हेडमास्टर ने खंड शिक्षा अधिकारी, एआरपी को इसकी सूचना दी है. डेढ़ माह से कोई निस्तारण नहीं हो पाया है. मैंने खुद बेसिक शिक्षा अधिकारी के पास इस संबंध में एक पत्र रिसीव कराया है. जिसमें इस समस्या की जानकारी दी गई है. हालांकि उनकी तरफ से समस्या के हल के संबंध में कोई आश्वासन नहीं मिला है. अभिभावक बहुत ही नाराज है. मेरी रिक्वेस्ट है कि इन बच्चों की सुविधा के लिए कोई उचित कार्रवाई की जाए.

यह भी पढ़ें:अमेठी में फेल हुआ स्कूलों का कायाकल्प मिशन, दूषित पानी पीने को मजबूर छात्र

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में अमृत सरोवरों के संरक्षण में जनसहयोग की बात की थी. उन्होंने कहा था कि इसने एक जन आंदोलन का रूप ले लिया है. हैरान करने वाली बात यह है कि जहां एक ओर जल संरक्षित रखने के लिए एक जन आंदोलन चलाया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी (Prime Minister Parliamentary Constituency Varanasi) के प्राथमिक विद्यालय में बच्चे बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं.

जानकारी देती सवांददाता प्रतिमा तिवारी
पूरा मामला वाराणसी के शिवपुरवा प्राथमिक विद्यालय (Shivpurwa Primary School Varanasi) का है. विद्यालय में बीते लगभग डेढ़ माह से हैंडपंप खराब है. विद्यालय में पानी की अन्य दूसरी कोई व्यवस्था नहीं है. इसकी वजह से विद्यालय में पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. उमस भरी गर्मी में एक ओर बच्चे बेहाल हैं तो दूसरी ओर उनके अभिभावक बच्चों का नाम स्कूल से कटाने की सोच रहे हैं.अपने घर से बोतल में पानी भरकर ला रहे बच्चे: स्कूल आने से पहले बच्चे पूरी व्यवस्था के साथ आ रहे हैं. उनके पास हमेशा दो या तीन बोतल पानी रहता है. स्कूल में पीने का पानी न मिलने से दिक्कत रहती है. साथ ही उन्हें शौच के लिए आकस्मिक पानी की व्यवस्था भी अपने पास से ही करनी पड़ती है. अगर किसी के पास पानी की बोतल नहीं है तो वह दिनभर प्यासा ही रह जाता है. ऐसे में तेज गर्मी के बीच भारी बस्तों के साथ दो से तीन लीटर पानी का बोझ बच्चों को और भी परेशान कर रहा है.बीमारी को जन्म दे रही यहां फैली गंदगी: विद्यालय में पानी न होने से सिर्फ पीने के लिए ही दिक्कत नहीं आ रही, बल्कि यहां पर गंदगी का अंबार लग गया है. जहां पर बच्चों के पीने के लिए पानी की टंकी की व्यवस्था है वहां गंदगी पटी पड़ी है. टंकी साफ नहीं हो पा रही है. इसके साथ ही जिन बर्तनों में बच्चों को भोजन दिया जाता है उसकी साफ सफाई फी करने में दिक्कत आ रही है. बर्तन धुलने के लिए बाल्टी में बाहर से पानी भरकर लाना पड़ता है. ऐसे में ठीक से बर्तन भी नहीं धुले जा रहे.अभिभावक का स्कूल से नाम कटाने का विचार:पानी के अभाव में बच्चों को काफी दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है. अभिभावक रवीना देवी ने कहा कि स्कूल में पानी डेढ़ महीना से बंद है. बच्चे बोतल भर-भरकर ला रहे हैं. बाथरूम जा रहे हैं तो बाथरूम में पानी नहीं है. शौच के लिए पानी की व्यवस्था नहीं है. उन्होंने कहा कि टीचर तो कोई व्यवस्था कर ले रहे हैं. बच्चों को सुबह 8 से 2 बजे तक यहीं रहना पड़ता है. बच्चे कहां जाएंगे. ऐसा ही रहा तो बच्चों का नाम स्कूल से कटाने का हमें सोचना होगा.

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विद्यालय के अध्यापक ने कहा कि हमारे हेडमास्टर ने खंड शिक्षा अधिकारी, एआरपी को इसकी सूचना दी है. डेढ़ माह से कोई निस्तारण नहीं हो पाया है. मैंने खुद बेसिक शिक्षा अधिकारी के पास इस संबंध में एक पत्र रिसीव कराया है. जिसमें इस समस्या की जानकारी दी गई है. हालांकि उनकी तरफ से समस्या के हल के संबंध में कोई आश्वासन नहीं मिला है. अभिभावक बहुत ही नाराज है. मेरी रिक्वेस्ट है कि इन बच्चों की सुविधा के लिए कोई उचित कार्रवाई की जाए.

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