वाराणसी: काशी के इतिहास में शायद ऐसा पहली बार हुआ है, जब बाबा विश्वनाथ की 'सप्तऋषि आरती' बीच सड़क पर पार्थिव शिवलिंग बनाकर की गई. गुरुवार की शाम काशी विश्वनाथ के द्वार नंबर 4 पर यह आरती हुई, जिससे सदियों पुरानी सप्तऋषि आरती की परंपरा टूट गई. ऐसा क्यों हुआ इस बारे में तो प्रशासन कुछ भी बोलने से बच रहा है, लेकिन मंदिर प्रशासन ने इस संदर्भ में बकायदा मंदिर के अंदर हुई सप्तऋषि आरती की तस्वीरें जारी करके यह स्पष्ट किया है कि यह परंपरा निभाई गई है और कोई परंपरा टूटी नहीं है. कुछ लोग भ्रम फैलाने का काम कर रहे हैं, जो सही नहीं है.
बता दें कि आरती करने वाले महंत परिवार और उससे जुड़े 14 अर्चक को मंदिर में प्रवेश न दिए जाने के बाद घंटों परेशान रहे और जब उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया तो उन्होंने मंदिर के गेट नंबर चार के बाहर सड़क पर ही पार्थिव शिवलिंग का प्रतिरूप तैयार किया. उसका पूजन-अभिषेक करने के बाद परंपरागत सप्तऋषि आरती सड़क पर ही की.
पुराना है ये विवाद
महंत परिवार और मंदिर प्रशासन के बीच बने तनाव के बाद ये विवाद एक बार फिर से उठा है. बता दें कि मंदिर में सप्तऋषि आरती सैकड़ों सालों से महंत परिवार के जिम्मे ही है और 1983 में मंदिर के अधिग्रहण के बाद भी ये जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर रही, लेकिन आज मंदिर प्रशासन ने इन्हें ये करने से रोक दिया.
परिसर में टूटा गुंबद बना वजह
आज यह विवाद काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के कारण उठा. विवाद में मंदिर परिसर में स्थित कैलाश मंदिर के गुंबद को कॉरिडोर का काम करा रहे ठेकेदार द्वारा तोड़ने का आरोप है, जबकि मंदिर से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि निर्माण कार्य को प्रभावित करने के लिए महंत परिवार द्वारा बार-बार अफवाह फैलाई जा रही है कि परिसर में स्थित पुराने मन्दिरों को तोड़ा जा रहा है, जिसके कारण इन्हें रोक दिया गया है.
अब मंदिर प्रशासन सप्तऋषि आरती कराएगा, जिसे मंदिर प्रशासन द्वारा ही नियुक्त किये गए अर्चक करेंगे. ये आरती उसी विधि-विधान से होगी जिस विधान से आज तक होती आ रही है. हालांकि मंदिर प्रशासन ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन मंदिर के अंदर गवरी में हुई सप्तऋषि आरती की तस्वीरें जारी कर प्रशासन ने यह साफ करने की कोशिश की है कि परंपरा नहीं टूटी है और मंदिर में आरती संपन्न कराई गई है.
ठेकेदार ने दी तहरीर
इस विवाद के बाद कॉरिडोर का काम कर रहे ठेकेदार द्वारा वाराणसी के दशाश्वमेघ थाने में तहरीर दी गई है, जिसमें सप्तऋषि आरती करने वाले मुख्य अर्चक और दो पत्रकारों के ऊपर आरोप लगाया गया है कि इन्होंने मंदिर के गुंबद को तोड़ने की गलत अफवाह उड़ाई है.
मंदिर प्रशासन जारी की प्रेस विज्ञप्ति
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ने पूरे प्रकरण में प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अपना पक्ष रखा है. देर रात जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में मंदिर प्रशासन ने कहा है कि गुरुवार को मंदिर के अर्चकों द्वारा बाबा विश्वनाथ की भव्य आरती की गई. गुरुवार को दैनिक समाचार पत्रों में मंदिर के रेड जोन में स्थित कैलाश मंदिर के शिखर तोड़े जाने की खबर प्रकाशित हुई. इसकी जानकारी मिलते ही मंदिर प्रशासन ने इस घटना की तत्काल जांच कराई. वहीं मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल, आईजी और मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने भी मौके पर जाकर इस घटना की जांच की, जिसमें यह पूरा फर्जी पाया गया.
साथ ही जांच में यह पाया गया कि मंदिर पर वर्षों से घर बनाकर उसकी भव्य नक्काशी व उसकी भव्यता को पूरी तरह से ढक दिया गया था. शिखर तोड़ने और आम जनमानस के बीच मंदिर प्रशासन की छवि धूमिल करने की यह साजिश सप्तऋषि आरती करने वाले महंत परिवार गुड्डू महाराज के नेतृत्व में की गई थी. जब इसका विरोध किया गया और सोशल मीडिया और अखबारों में छपी सूचना का खंडन करने के लिए कहा गया तब इन्होंने उस भ्रामक खबर का समर्थन करते हुए उसे सच साबित करने पर लगे रहे.
इससे यह प्रतीत हुआ कि मंदिर की परंपरा मंदिर की गरिमा को जानबूझकर आम जनमानस के बीच खराब करने की साजिश की जा रही है. यही नहीं कोरोना महामारी के बीच जहां लॉकडाउन है, ऐसे मंदिर के प्रवेश द्वार पर लोगों को इकट्ठा करना और धारा 144 के नियमों का उलंघन करते हुए इस तरह का कार्य करना धार्मिक भावनाओं को भड़काना और राष्ट्र विरोधी है. इसको देखते हुए मंदिर प्रशासन ने सप्तऋषि आरती श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में तैनात विद्वान अर्चकों से कराने का निर्णय लिया और इस परंपरा का भव्य रूप से निर्वहन किया गया.
मंदिर की परंपरा के साथ कोई खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक विशाल सिंह ने बताया कि इस द्वादश ज्योतिर्लिंग में काशी और काशी विश्वनाथ मंदिर का एक अलग ही महत्व है. इसके बाद भी महंत परिवार द्वारा जानबूझकर कुछ इस तरह के कार्य किए जा रहे हैं, जो आम जनमानस को भड़काने का कार्य है. अतः इसको देखते हुए मंदिर प्रशासन ने निर्णय लिया है कि मंदिर परंपरा से किसी प्रकार का कोई खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं होगा. उसका निर्वहन भव्य तरीके से किया जाएगा और आगे भी इस तरह के कार्य करने वाले सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.