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बनारस के घाटों पर देव दीपावली के साथ देखिए सैंड आर्ट का नजारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार देव दीपावली पर 30 नवंबर को वाराणसी आ रहे हैं. प्रधानमंत्री के दौरे को देखते हुए भाजपा के साथ ही जिला प्रशासन और सामाजिक संगठन भी तैयारियों में जुट गए हैं. इसी क्रम में काशी के घाटों पर विभिन्न प्रकार की आकृतियां बनाई जा रही हैं, जिसका थीम शिव, गंगा और घाट है.

sand art on ghats of varanasi
प्रधानमंत्री के आगमन से पहले सज रहा काशी.
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Published : Nov 28, 2020, 4:03 PM IST

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी की देव दीपावली पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. ऐसे में वाराणसी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 नवंबर को देव दीपावली का दीदार करने काशी आ रहे हैं. जिला प्रशासन के साथ सामाजिक संगठन और भाजपा भी तैयारी में जुट गई है. इस बार देव दीपावली गंगा पार रेत पर भी मनायी जाएगी, जिसे देखते हुए काशी हिंदू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और लखनऊ के लगभग 150 छात्र-छात्राएं विभिन्न प्रकार की आकृति गंगा रेत पर बना रहे हैं, जिसका थीम शिव, गंगा और घाट है.

रेत पर बनाई जा रही आकृतियां.

घाटों पर बनाई जा रही विभिन्न आकृतियां
मणिकर्णिका घाट पर रेत पर मणि की आकृति बनाई जा रही है. तुलसी घाट पर नाग नथैया के थीम पर सैंड आर्ट बनाया जा रहा है. घाटों पर 17 प्रकार की विभिन्न आकृतियां बनाई जा रही हैं. बनारस के इतिहास को देखते हुए घाटों की आकृति बनाई जा रही है, जिसे देखकर ही लोग उस घाट से संबंधित इतिहास को जान जाएंगे. तुलसी घाट के उस पार गोस्वामी तुलसीदास, मान मंदिर घाट के उस पार नक्षत्र और तारे, ललिता घाट पर नेपाली संस्कृति, गंगा महल घाट के उस पार संगीत घराना की आकृति बनाई जाएगी.

रेत पर होगी गंगा आरती
बीएचयू के पूर्व छात्र और सैंड आर्टिस्ट एजाज अहमद ने बताया कि काफी विधिवत तरीके से यहां पर हम लोग सैंड आर्ट बना रहे हैं. इस बार गंगा आरती रेत पर भी मनाई जाएगी. जो इस बार का हमारा थीम है. वह बिल्कुल इस बार के घाट पर समर्पित है, जैसे तुलसी घाट के पार हम नाग नथैया बना रहे हैं. मणिकर्णिका घाट पर हम मणि बना रहे हैं. राजघाट, ललिता घाट और रविदास घाट की आकृति बेहद खास होगी. लगभग 2 दिनों से 150 छात्र 17 आकृति बना रहे हैं. इसमें बीएचयू और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ लोकल यूनिवर्सिटी के छात्र और कुछ फ्रीलांस आर्टिस्ट लगे हैं.

30 नवंबर को आएंगे पीएम मोदी
बीएचयू छात्रा संगीता ने बताया कि हमारे प्रधानमंत्री 30 नवंबर को विश्व प्रसिद्ध देव दीपावली देखने के लिए बनारस आ रहे हैं. इसीलिए हम सब उनके स्वागत में इस बार रेत पर आकृतियां बना रहे हैं. हमारी आकृति में एक तरफ मां गंगा दिखाई जा रही हैं. दूसरी तरफ पूजा करते हुए श्रद्धालु. हर घाट पर उसके महत्व को बताते हुए ऐतिहासिक आकृतियां बनाई जा रही हैं.

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी की देव दीपावली पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. ऐसे में वाराणसी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 नवंबर को देव दीपावली का दीदार करने काशी आ रहे हैं. जिला प्रशासन के साथ सामाजिक संगठन और भाजपा भी तैयारी में जुट गई है. इस बार देव दीपावली गंगा पार रेत पर भी मनायी जाएगी, जिसे देखते हुए काशी हिंदू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और लखनऊ के लगभग 150 छात्र-छात्राएं विभिन्न प्रकार की आकृति गंगा रेत पर बना रहे हैं, जिसका थीम शिव, गंगा और घाट है.

रेत पर बनाई जा रही आकृतियां.

घाटों पर बनाई जा रही विभिन्न आकृतियां
मणिकर्णिका घाट पर रेत पर मणि की आकृति बनाई जा रही है. तुलसी घाट पर नाग नथैया के थीम पर सैंड आर्ट बनाया जा रहा है. घाटों पर 17 प्रकार की विभिन्न आकृतियां बनाई जा रही हैं. बनारस के इतिहास को देखते हुए घाटों की आकृति बनाई जा रही है, जिसे देखकर ही लोग उस घाट से संबंधित इतिहास को जान जाएंगे. तुलसी घाट के उस पार गोस्वामी तुलसीदास, मान मंदिर घाट के उस पार नक्षत्र और तारे, ललिता घाट पर नेपाली संस्कृति, गंगा महल घाट के उस पार संगीत घराना की आकृति बनाई जाएगी.

रेत पर होगी गंगा आरती
बीएचयू के पूर्व छात्र और सैंड आर्टिस्ट एजाज अहमद ने बताया कि काफी विधिवत तरीके से यहां पर हम लोग सैंड आर्ट बना रहे हैं. इस बार गंगा आरती रेत पर भी मनाई जाएगी. जो इस बार का हमारा थीम है. वह बिल्कुल इस बार के घाट पर समर्पित है, जैसे तुलसी घाट के पार हम नाग नथैया बना रहे हैं. मणिकर्णिका घाट पर हम मणि बना रहे हैं. राजघाट, ललिता घाट और रविदास घाट की आकृति बेहद खास होगी. लगभग 2 दिनों से 150 छात्र 17 आकृति बना रहे हैं. इसमें बीएचयू और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ लोकल यूनिवर्सिटी के छात्र और कुछ फ्रीलांस आर्टिस्ट लगे हैं.

30 नवंबर को आएंगे पीएम मोदी
बीएचयू छात्रा संगीता ने बताया कि हमारे प्रधानमंत्री 30 नवंबर को विश्व प्रसिद्ध देव दीपावली देखने के लिए बनारस आ रहे हैं. इसीलिए हम सब उनके स्वागत में इस बार रेत पर आकृतियां बना रहे हैं. हमारी आकृति में एक तरफ मां गंगा दिखाई जा रही हैं. दूसरी तरफ पूजा करते हुए श्रद्धालु. हर घाट पर उसके महत्व को बताते हुए ऐतिहासिक आकृतियां बनाई जा रही हैं.

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