वाराणसीः बाबा विश्वनाथ का भव्य दरबार बनने के बाद पर्यटकों के आगमन ने बनारस को करोड़ों का करोबार दिया. लेकिन बनारस के दवा करोबार ने बाबा के प्रसाद के कारोबार को भी पीछे छोड़ दिया है. आलम यह है कि एक माह में डेढ़ अरब रुपये की दवा बनारसियों ने खा ली है. प्रतिदिन लगभग आठ करोड़ की दवाइयों की सप्लाई हो रही है. यह आंकड़ा वाराणसी और पूर्वांचल के सबसे बड़े दवा मंडी का है.
दवाओं की बिक्री जिले में 6 गुना बढ़ीः दवा विक्रेता समिति के महामंत्री संजय सिंह ने बताया कि 'प्रतिदिन 5 करोड़ की दवाओं की बिक्री हो रही है. दवाओं को प्रीऑर्डर किया जा रहा है. फिर भी स्टॉक में कमी आ जा रही है. पूरे पूर्वांचल की बिक्री को मिलाकर बताएं तो दवाओं की बिक्री तीन गुना बढ़ चुकी है. एक महीने के अंदर ही बुखार, पेन किलर और विटमिन की दवाएं करीब डेढ़ अरब की कीमत की बिक चुकी हैं. इन दिनों वायरल की दवाओं के लिए स्टॉक की परेशानी बन चुकी है.' संजय सिंह का कहना है कि 'दवाओं की बिक्री जिले में 6 गुना बढ़ चुकी है. दवाओं की शॉर्टेज नहीं होने दी जाएगी. सभी दवा कारोबारी एकसाथ मिलकर काम कर रहे हैं. मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा के डॉक्टर डॉ. एसपी सिंह का कहना है, 'मरीजों की संख्या भी पांच गुना बढ़ी है. इसी वजह से मार्केट में दवाओं की मांग और खपत भी 5 से गुना से अधिक बढ़ चुकी है. इन दवाओं में पेनकिलर और एंटीबायोटिक की टैबलेट खूब बिक रही है.'
प्रतिदिन लगभग 8 करोड़ की दवाएं की सप्लाईः दवा कारोबारियों का कहना है कि 'सप्तसागर मंडी से प्रतिदिन दवाओं की खेप आजमगढ़, जौनपुर, चंदौली, भदोही, सोनभद्र, बलिया और मिर्जापुर में दवाओं की सप्लाई हो रही है. इन जिलों में वायरल बुखार की दवाओं की मांग सबसे अधिक है. पूर्वांचल के इन जिलों में प्रतिदिन 7 से 8 करोड़ की दवाओं की सप्लाई हो रही है. इसकी डिमांड को देखते हुए सभी कारोबारियों ने एडवांस में ऑर्डर दे रखे हैं.' कारोबारी बताते हैं, 'वायरल फीवर से पीड़ित लोग तो दवाएं मांग ही रहे हैं. साथ ही डॉक्टर भी अपनी तरफ से इन दवाओं को लिख रहे हैं. डोलो, पैरासिटामाल और कॉलपोल के टैबलेट सबसे अधिक लिखे जा रहे हैं.'
बाजार में मौजूद हैं ब्रांड और जेनरिक दवाएंः दवा कारोबारी यह भी बताते हैं, 'बच्चों के लिए पैरासिटामाल सिरप और कॉलपोल सिरप की मांग सबसे अधिक हो रही है. इसके अलावा पैरासिटामाल के टैबलेट 10 ब्रांड के और 15 जेनरिक कंपनी के बाजार में मौजूद हैं. एसिक्लोपिनेर, पैरासिटामाल विथ डाइक्लोपिनेक, निमोस्लाइड, पैरासिटामाल-आइबूपेन की भी बाजार में डिमांड है. इन दवाओं में 250, 500 और 650 एमजी की टैबलेट बिक रही है. वहीं बच्चों के लिए पैरासिटामाल की सिरप खूब खरीदी जा रही है.' कारोबारियों का कहना है, 'ड़ॉक्टर मरीजों को इंफेक्शन से बचाने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं को भी लिख रहे हैं. पेन किलर की भी जरूरत खूब पड़ रही है.'
डॉक्टर भी मरीजों के लिए लिख रहे ये दवाएंः दवा कारोबारियों के मुताबिक, 'मेडिकल स्टोर्स पर सबसे अधिक दवा पेन किलर और एंटीबायोटिक की उपलब्ध हैं. इसके साथ ही बुखार की भी दवाइयां बड़ी मात्रा में स्टॉक कर ली गई हैं. मरीज सबसे ज्यादा इन्हीं दवाओं की मांग कर रहे हैं. इन दिनों एजिथ्रोमाइसिन टैबलेट का काफी इस्तेमाल लोग कर रहे हैं. यह एक एंटीबायोटिक दवा है. इसके अलावा मरीज डेंगू से भी खूब पीड़ित हो रहे हैं तो ऐसे में लोग प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए दवाएं खरीद रहे हैं.' उनका कहना है, 'वाराणसी में इन दिनों फैले वायरल के प्रकोप के चलते इन दवाओं की मांग खूब हो रही है, डॉक्टर भी इन्हीं दवाओं को रिकमंड कर रहे हैं.'
वाराणसी में मेडिकल स्टोर्स की ऐसी है स्थितिः वाराणसी में फुटकर मेडिकल स्टोर्स की संख्या 5,500 है. वहीं थोक विक्रेताओं की संख्या शहर में 300 है, जबकि दुकानों की संख्या 600 है. दवा एसोशिएशन का कहना है कि महीने भर का दवाओं का स्टाक एक सप्ताह भी नहीं चल रहा है. मरीजों की संख्या और दवाओं की खपत दोनों ही बढ़ती जा रही है. ऐसे में बाजार में हालात ये हो गए हैं कि दवाओं की किल्लत पड़ती जा रही है. हालात बिल्कुल वैसे ही हो गए है, जैसे कि कोरोना के समय दवाइयों और इंजेक्शन के थे. लोग दवाओं को खरीदकर भी स्टॉक कर रहे हैं. उन्हें वायरल से हो रही समस्याओं से डर बना हुआ है.
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