वाराणसीः धर्म नगरी काशी आने वाले पर्यटक यदि नौका विहार न करें तो उनकी यात्रा अधूरी लगती है. ऐसे में कई बार पर्यटक ठगी के शिकार होते थे. जिसे देखते हुए बीते दिनों गंगा में नौका विहार के लिए एक मानक के अनुसार दर निर्धारित किया गया था. वहीं, नाविकों का कहना है कि प्रशासन की ओर से निर्धारित नया दर उनकी रोजी-रोटी को बढ़ाने में नहीं बल्कि उसे चौपट करने में अहम भूमिका निभा रहा है.
वाराणसी के नाविक होंगे विलुप्तः वाराणसी नगर निगम ने नाविकों के लिए नए कर का निर्धारण किया है. इसके साथ ही अब जो भी पर्यटक या यात्री यहां गंगा विहार करना चाहेगा तो उसे बढ़ा हुआ किराया देना पड़ेगा. नगर निगम ने गंगा घाट पर नाव और बोट चलाने वाले सभी नाविकों को इसके लिए निर्देश जारी कर दिया है. वहीं, इस रेट को लेकर नाविक समाज काफी नाराज है. उनका कहना है कि वाराणसी नगर निगम के इस फैसले से नाविक विलुप्त हो जाएंगे. ये कर नाविकों को बर्बाद करने वाला है. इस कर से कोई भी यात्री ज्यादा पैसे नहीं देना चाहेगा.
वाराणसी में पूंजीपतियों का बोट होगा लांच: नाविक गोरखनाथ साहनी ने बताया कि नगर निगम ने जो रेट निर्धारित किया है. वह रेट नाविकों को उजाड़ देने वाला है. इससे नाविक विलुप्त हो जाएंगे. नाविकों से कहा गया है कि आप अपने बोट पर एक व्यक्ति से 345 रुपये लेंगे. खिड़किया घाट जाएंगे और वापस लेकर आएंगे. वहीं, जो बोट पूंजीपतियों का यहां पर लॉन्च किया रहा है, वह 15 रुपये लेगा. एक सवारी 15 रुपये किराया देकर जाएगी या 345 रुपये वाले रेट पर जाएगी. नाविकों को बर्बाद करने का नगर निगम ने मन बना लिया है.
बढ़े रेट से नाव से यात्रा नहीं करेंगे पर्यटकः नाविक सोनू मांझी ने बताया कि 50 रुपये में सवारी बैठाते हैं तो उसमें भी बर्गेनिंग होती है. 40 या 30 रुपये लोग देते हैं. ऐसे में 345 रुपये कौन व्यक्ति देना चाहेगा. 5 किलोमीटर जाने का और 5 किलोमीटर आने का 345 रुपये हर किसी को नागवार लगेगा. नगर निगम ने इतना रेट तय कर दिया है कि कोई भी यात्री अब बोट से बोटिंग नहीं करना चाहेगा. यह बढ़ा हुआ रेट ग्राहकों के करीब नहीं ले जा रहा है. बल्कि पर्यटक अब नौका विहार नहीं करना चाह रहे हैं. इतना ज्यादा किराया देकर गंगा की सैर कोई नहीं करना चाह रहा है.
नगर निगम ने छीना गरीबों से गंगा विहार करने का हकः गंगा किनारे घूमने आए आदित्य चतुर्वेदी ने कहा कि अब आम आदमी गंगा में नौका विहार नहीं कर पाएगा. गांव के लोग अगर यहां आते हैं तो इतना ज्यादा पैसा वे नहीं दे पाएंगे. अगर नाव से जाने का रेट कम हो जाता है तो बेहतर रहेगा. वहीं, सुषमा उपाध्याय ने कहा कि 350 रुपये बहुत ज्यादा पड़ रहा है. वह इतना रेट देकर गए हैं. अगर गरीब आदमी गंगा जी के दर्शन करने आता है तो उसके लिए तो बहुत ही ज्यादा दिक्कत होगी. बोट की सवारी का इतना रेट नहीं होना चाहिए.
वाराणसी के नाविकों की रोजी-रोटी पर संकट: वाराणसी में पर्यटकों की संख्या बढ़ने के साथ ही यहां पर हर व्यापारी का मुनाफा भी बढ़ना शुरू हो गया है. ऐसे में यहां जो भी पर्यटक या यात्री आता है. वह यहां एक बार गंगा की सैर करना जरूर चाहता है. ऐसे में अगर बोटिंग के रेट इतने ज्यादा रहेंगे तो जाहिर सी बात है कोई भी एक व्यक्ति का 345 रुपये किराया नहीं देना चाहेगा. वहीं नाविक खुद कह रहे हैं कि उन्हें 50 रुपये भी कोई नहीं देना चाहता है तो 5 किलोमीटर जाने-आने का 345 रुपये उन्हें देने वाला है. ऐसे में नाविकों की रोजी-रोटी पर संकट आ जाएगा.
यह भी पढ़ें- समय से पहले पैदा होने वाले बच्चोें की संख्या बढ़ रही, डॉक्टरों ने बताई ये वजह