रशियन नागरिक इवगिनी ने कहा- उत्तम धाम है काशी, हर साल आते हैं वाराणसी: मोक्ष की भूमि, अर्पण की भूमि और तर्पण की भूमि है काशी. यहां पर पितरों के मोक्ष के लिए पूजन करने के लिए देश-विदेश से लोग आते रहते हैं. पुरखों को नमन और तर्पण करने का काम काशी की इस धरती पर किया जाता है. इस बार रशियन नागरिक इवगिनी काशी में चर्चा का विषय हैं. इवगिनी हर साल बनारस आकर अपने पितरों का श्राद्ध कर्म करते हैं. हर साल वह काशी में विधि-विधान से पूजन करते हैं.
काशी पूजन के लिए सबसे उत्तम स्थान: काशी पहुंचे इवगिनी ने कहा कि वे हर साल काशी में पितृ कार्य करने के लिए आते हैं. उनके पिता की मृत्यु हो गई थी. वे यह कार्य अपने पितरों के लिए करते आ रहे हैं. इवगिनी ने काशी आने का कारण बताते हुए कहा कि यह एक धार्मिक स्थल है. इसलिए यह किसी भी कर्म-कांड के लिए बेहतर स्थान है. लेकिन, पितृ कार्य और श्राद्ध कार्य यहां पर स्पेशल किए जाते हैं, जिसके लिए यह उत्तम स्थान है. बनारस मोक्ष धाम है.
2018 में पिता की मृत्यु के बाद हिंदू धर्म के अनुसार किया कर्मकांड साल 2018 में पिता की मृत्यु के बाद भारत आए: इवगिनी ने अपना दूसरा नाम मोक्षन रखा है. उन्होंने बताया कि वह पिछले 5 सालों से हर साल 30-40 लोगों के लिए श्रद्धा और तर्पण करने काशी आते हैं. बचपन से ही आध्यात्म की तरफ रुचि होने के कारण ज्योतिष विद्या सीखी. इस बारे में उन्होंने बताया कि पहले LLB और MBA की पढ़ाई रशिया से की. इसके बाद अपने गुरु से ज्योतिष विद्या सीखी. इवगिनी ने बताया कि उनके पिता की मृत्यु साल 2018 में हो गई थी. उन्होंने अपने पिता का पूरे रीति रिवाज के साथ श्राद्ध और तर्पण पितृपक्ष में भारत आकर किया. वह अब अपने पिता के साथ ही अपने सगे-संबंधियों के लिए तर्पण और श्राद्ध का कार्य काशी में करते हैं.
इवगिनी ने अपना दूसरा नाम मोक्षन रखा है. महाराष्ट्र के पंडित श्रीकांत पाठक ने कराया पूजन: पंडित श्रीकांत पाठक ने बताया वह काशी में महाराष्ट्र के वंशानुवत पुरोहित हैं. पेशवा काल में उनके पूर्वज काशी में आए थे. तभी से 8वीं-9वीं पीढ़ी में वह काशी में पुरोहित का काम कर रहे हैं. आज उनके पास रशिया से एक नागरिक इवगिनी आए. उनका पूजन का कार्य संपन्न कराया. काशी में महालय पितृ श्राद्ध होता है. यह पिण्ड प्रदान विधि है. इससे उनका पूजन का कार्य किया गया है. उन्होंने कहा कि विदेशी या कोई भी नागरिक हो वह अपने पूर्वजों का पूजन करता है. अन्य धर्मों से अलग काशी में तर्पण विधि है, यह अधिक कारगर है. हिन्दू धर्म में 15 दिन का पितृ पक्ष होता है.
श्राद्ध-तर्पण करते इवगिनी इवगिनी के पिता और पिता आदि के लिए पूजन: उन्होंने बताया कि हिन्दू धर्म में पितरों का पूजन किया जाता है. इसी क्रम में विदेशी नागरिक भी काशी में पूजन करने के लिए आते हैं. पंडित श्रीकांत पाठक कहते हैं कि पिता के द्वारा हमें सबकुछ प्राप्त होता है. इसलिए पितृ पक्ष में जो हमारे गुजरे हुए जो लोग हैं, जिन्हें पितृ बोलते हैं उनका पूजन करना चाहिए. पितरों के प्रसाद से धन, कनक और समृद्धि ये सभी हमें प्राप्त होते हैं. इसलिए पितृ पक्ष में हम लोग पितरों के पूजन का कार्य करते हैं. उन्होंने बताया कि इवगिनी अपने पिता, दादा और परदादा के अलावा अपने निकटतम सगे, संबंधियों के लिए भी हर साल काशी आकर पिंडदान करते हैं.
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