वाराणसी: सर्व विद्या की राजधानी कहे जाने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय ने 1916 में की थी. विश्वविद्यालय का सबसे पहला हॉस्टल रुईया संस्कृत ब्लॉक 1922 में बनकर तैयार हुआ था. छात्रावास के 100 वर्ष पूरे करने पर शताब्दी समारोह का आयोजन किया गया. तीन दिवसीय शताब्दी समारोह कार्यक्रम का समापन मंगलवार रात को हुआ. इस दौरान सांस्कृतिक और कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया था.
कवि सम्मेलन में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व और वर्तमान छात्रों के साथ देश के कोने-कोने से आए कवियों ने हिस्सा लिया. सभी कवियों ने वीर रस, श्रृंगार रस और हास्य रस की कविता पढ़ी. वहीं, भोजपुरी और अवधि कविताओं पर छात्रों ने जमकर तालियां बजाईं और कवियों का हर-हर महादेव के उद्घोष से स्वागत किया. इस कवि सम्मेलन में बीएचयू के पूर्व छात्र डॉक्टर अनिल चौबे, अंतरराष्ट्रीय कवि फजीहत गहमरी, डॉक्टर सुशांत कुमार शर्मा आदि नामचीन कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी.
डॉ. शतुरन्ध त्रिपाठी ने बताया कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय में मालवीय भवन और कुलपति आवास बनने के बाद रुईया छात्रावास संस्कृत ब्लॉक 1922 में बनकर तैयार हुआ. आज 2022 में हम उसका शताब्दी वर्ष मना रहे हैं. इस मौके पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसमें काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध कवियों के साथ देश के बड़े-बड़े कवियों ने हिस्सा लिया. तीन दिवसीय शताब्दी समारोह में आचार्य, अध्यापक, ब्रिगेडियर सहित कई पूर्व छात्र भी आए हुए हैं. महान कवि आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, जानकी वलभ शास्त्री जैसी महान विभूतियां इस हॉस्टल के पूर्व छात्र रहे हैं.
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अभीविनायक मिश्र ने बताया कि विश्वविद्यालय का यह पहला छात्रावास माना जाता है. यहां पर महामना के प्राण बसते हैं, क्योंकि यह संस्कृत के छात्रों का छात्रावास है. मुझे गर्व है कि मैं यहां का छात्र हूं और मेरे छात्र जीवन में शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा है. विभिन्न प्रकार के छात्र यहां पर आए. हम लोगों ने उनसे मुलाकात की. इस दौरान उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला है.
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