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लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर संघ प्रमुख का मास्टर प्लान! काशी प्रवास से होगी शुरुआत

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Published : Jul 18, 2023, 1:21 PM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत मंगलवार को काशी के 5 दिन के प्रवास पर पहुंच रहे हैं. आरएसएस प्रमुख के इस प्रवास को विशेषज्ञ 2024 लोकसभा चुनाव के नजरिए से भी देख रहे हैं, जिसे कई मायनों महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

वाराणसी में संघ प्रमुख मोहन भागवत
वाराणसी में संघ प्रमुख मोहन भागवत
संघ प्रमुख के काशी प्रवास को लेकर विशेषज्ञ रवि प्रकाश पांडेय की राय

वाराणसी: 2024 का चुनाव सत्ताधारी दल और विपक्षी दल तैयारियों में जुट चुके हैं. इसी कड़ी मंगलवार को विपक्ष की महागठबंधन और एनडीए की बैठक भी हो रही है. इसके अलावा वोटर तक पहुंचने और लोगों के बीच अपना भरोसा बनाए रखने के लिए सभी दल अभी से क्षेत्र में दिखने शुरू हो गए है. वहीं, इन सबके बीच बीजेपी को फिर से सत्ता में वापस लाने के लिए खुद को गैर राजनैतिक संगठन कहने वाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी तैयारियां में लग गया है. इसकी शुरुआत करने के लिए खुद संघ प्रमुख मोहन मंगलवार को भागवत पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंच रहे हैं. यहां वो 5 दिन के प्रवास पर रहेंगे. माना जा रहा है कि इस प्रवास के जरिए 2024 लोकसभा चुनाव कि लिए धर्म के आधार पर पूरी बिसात बिछाने जा रहे हैं. हालांकि इसकी शुरुआत काशी से होगी, लेकिन उसके मूल में पूरा पूर्वांचल होगा.

मठ मंदिरों के प्रमुखों के साथ बैठकः संघ प्रमुख मोहन भागवत वाराणसी समेत पूर्वांचल के अलग-अलग हिस्सों में मठ मंदिरों के प्रमुखों के साथ बड़ी बैठक करेंगे. वाराणसी के बाद 19 जुलाई को मोहन भागवत गाजीपुर के हथियाराम मठ पहुंचेंगे. इसके बाद 20 जुलाई को मिर्जापुर के शतेशगढ़ पहुंचकर स्वामी अड़गड़ानंद महाराज से मुलाकात करेंगे. 21 को संघ प्रमुख काशी में होने वाले धनघानेश्वर शाखा में शामिल होंगे. इसके अलावा 22 जुलाई को रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर के इंटरनेशनल टेंपल्स कन्वेंशन एंड एक्सपोर्ट में 25 देशों के 450 से अधिक धर्मगुरु और पदाधिकारियों के साथ शामिल होंगे. इसमें वो हिंदू, जैन, बौद्ध सिख धर्म के धर्म गुरुओं से भी मुलाकात करेंगे.

धर्म के जरिए लोगों को जोड़ने की कोशिशः काशी प्रवास के साथ पूर्वांचल के मठों और मंदिरों के जरिए इनके लाखों करोड़ों अनुयायियों तक पहुंचने और वोटर्स को साधने के लिए संघ का यह प्लान निश्चित तौर पर काफी महत्वपूर्ण माना जा सकता है. लेकिन, इन सबके बीच सवाल यह भी उठता है कि आखिर हर बार की तरह काशी ही इस पूरे प्लांट का केंद्र बिंदु क्यों बनाया जा रहा है? विशेषज्ञ रवि प्रकाश पांडेय का कहना है कि संग हमेशा से ही सामाजिक समरसता के साथ एकजुटता के प्रयासों के लिए काम करने की बात कहता है. एकजुटता तभी आती है जब धर्म के जरिए लोगों को जोड़ने की कोशिश की जाती है.

वाराणसी धार्मिक और राजनैतिक केंद्रः रवि प्रकाश ने कहा कि यह कहना गलत होगा कि जब चुनाव आते हैं तो धर्म के चश्मे से राजनीति को देखा जाता है, जबकि धर्म को राजनीति से अलग किया ही नहीं जा सकता. क्योंकि, यदि सही तरीके से अच्छे क्वालिटी की राजनीति होनी है, तो उसमें धर्म की संलिप्तता होगी ही होगी. इसी संलिप्तता के साथ लोगों को एकजुट करते हुए एक प्लेटफार्म पर लेकर आने का धर्म सबसे बड़ा और मजबूत जरिया बनता है. यही वजह है कि संघ प्रमुख ने वाराणसी को इसके लिए चुना है. क्योंकि, बनारस एक तरफ जहां सांस्कृतिक राजधानी है, तो वहीं, धार्मिक के साथ अगर राजनैतिक दृष्टि से भी यह शहर बहुत ही बड़ा केंद्र बन चुका है.

टेंपल कॉन्क्लेव में लेंगे हिस्साः उन्होंने कहा कि बनारस और पूर्वांचल में स्थापित बड़े मठ और मंदिर सीधे तौर पर देश के अलग-अलग हिस्सों में बैठे इन मठ मंदिरों के अनुयायियों को प्रभावित करते हैं. यहां से जाने वाला संदेश सिर्फ बनारस या पूर्वांचल के लिए नहीं बल्कि देश-विदेश के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है. यही वजह है कि पीएम मोदी भी बनारस से ही बड़े आयोजनों के साथ बड़े अभियान की शुरुआत करते हैं, ताकि संदेश दूर तक जाए और इन्हीं प्लानिंग के साथ संघ प्रमुख का भी काशी आगमन हो रहा है. यहां पर जिस तरह से वह मठ मंदिरों के प्रमुखों से मिलेंगे और प्लान के साथ यहां पर टेंपल कॉन्क्लेव में हिस्सा लेंगे. वह कहीं ना कहीं 2024 की चुनावी तैयारियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि, भारत की धार्मिक ताकत दिखाने के लिए 25 देशों के 450 से अधिक धर्मगुरु और पदाधिकारियों के साथ संघ प्रमुख का होना भारत की ताकत और वर्तमान केंद्र की सरकार के क्रियाकलापों को जन-जन तक पहुंचाने का बड़ा जरिया माना जा सकता है.

संघ प्रमुख का मास्टर प्लानः रवि प्रकाश के मुताबिक, संघ सिर्फ सनातन या हिंदू धर्म के लिए ही नहीं सोच रहा, बल्कि सभी को साथ लेकर चलने की कोशिश की जा रही है. इसका वो निश्चित तौर पर आने वाले चुनावों में भी देखने को मिलेगा. क्योंकि, जब किसी धर्म के धर्म गुरुओं की मौजूदगी ऐसे कार्यक्रमों में होती है, तो उनके अनुयाई भी उनसे कनेक्ट होकर उस तरफ जाते हैं, जिधर उनके गुरु उन्हें लेकर जाना चाहते हैं. इसलिए काशी प्रवास पर रहते हुए संघ प्रमुख का यह मास्टर प्लान आने वाले 2024 लोकसभा चुनावों के लिए बीजेपी को बड़ा फायदा पहुंचा सकता है.

विकास और सशक्तिकरण पर बातचीतः रवि प्रकाश ने बताया कि टेंपल कनेक्ट की तरफ से आयोजित इंटरनेशनल टेंपल्स कन्वेंशन एंड एक्सपो में मंदिर प्रबंधन संचालन को विकासित करने को लेकर चर्चा होनी है. इसमें प्रशासन के विकास और सशक्तिकरण पर भी बातचीत होगी. टेंपल कनेक्ट के संस्थापक गिरीश कुलकर्णी और चेयरमैन प्रसाद लाड और क्यूरेटर मेघा घोष पिछले दिनों वाराणसी आए थे. उस दौरान उन्होंने कहा था कि इस कार्यक्रम के जरिए विश्व में समस्त पूजा स्थलों पर प्रधान की टीमों के लिए सर्वश्रेष्ठ कार्य पद्धति विकसित करना ही इसका मकसद है.

टेंपल्स कन्वेंश में पर्यटन मंत्रालय का भी सहयोगः इस 3 दिवसीय कार्यक्रम में अतुल्य भारत अभियान भी हिस्सा होगा. इस कार्यक्रम में पर्यटन मंत्रालय भी सहयोग कर रहा है. सम्मेलन में मंदिर मठ और गुरुद्वारों में आने वाले तीर्थ यात्रियों के अनुभव, भीड़ प्रबंधन, ठोस कचरा प्रबंधन और बुनियादी सुविधाओं को लेकर चर्चा होनी है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस आयोजन में सर संघचालक मोहन भागवत के अलावा मंदिरों के न्यासी त्रावणकोर के राजकुमार और गोवा के पर्यटन मंत्री के अतिरिक्त तिरुमला तिरुपती देवस्थान के कार्यकारी अधिकारी धर्म रेड्डी भी मौजूद रहेंगे.

ये भी पढ़ेंः सावन के दूसरे सोमवार को साढ़े पांच लाख भक्त पहुंचे काशी विश्वनाथ मंदिर

संघ प्रमुख के काशी प्रवास को लेकर विशेषज्ञ रवि प्रकाश पांडेय की राय

वाराणसी: 2024 का चुनाव सत्ताधारी दल और विपक्षी दल तैयारियों में जुट चुके हैं. इसी कड़ी मंगलवार को विपक्ष की महागठबंधन और एनडीए की बैठक भी हो रही है. इसके अलावा वोटर तक पहुंचने और लोगों के बीच अपना भरोसा बनाए रखने के लिए सभी दल अभी से क्षेत्र में दिखने शुरू हो गए है. वहीं, इन सबके बीच बीजेपी को फिर से सत्ता में वापस लाने के लिए खुद को गैर राजनैतिक संगठन कहने वाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी तैयारियां में लग गया है. इसकी शुरुआत करने के लिए खुद संघ प्रमुख मोहन मंगलवार को भागवत पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंच रहे हैं. यहां वो 5 दिन के प्रवास पर रहेंगे. माना जा रहा है कि इस प्रवास के जरिए 2024 लोकसभा चुनाव कि लिए धर्म के आधार पर पूरी बिसात बिछाने जा रहे हैं. हालांकि इसकी शुरुआत काशी से होगी, लेकिन उसके मूल में पूरा पूर्वांचल होगा.

मठ मंदिरों के प्रमुखों के साथ बैठकः संघ प्रमुख मोहन भागवत वाराणसी समेत पूर्वांचल के अलग-अलग हिस्सों में मठ मंदिरों के प्रमुखों के साथ बड़ी बैठक करेंगे. वाराणसी के बाद 19 जुलाई को मोहन भागवत गाजीपुर के हथियाराम मठ पहुंचेंगे. इसके बाद 20 जुलाई को मिर्जापुर के शतेशगढ़ पहुंचकर स्वामी अड़गड़ानंद महाराज से मुलाकात करेंगे. 21 को संघ प्रमुख काशी में होने वाले धनघानेश्वर शाखा में शामिल होंगे. इसके अलावा 22 जुलाई को रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर के इंटरनेशनल टेंपल्स कन्वेंशन एंड एक्सपोर्ट में 25 देशों के 450 से अधिक धर्मगुरु और पदाधिकारियों के साथ शामिल होंगे. इसमें वो हिंदू, जैन, बौद्ध सिख धर्म के धर्म गुरुओं से भी मुलाकात करेंगे.

धर्म के जरिए लोगों को जोड़ने की कोशिशः काशी प्रवास के साथ पूर्वांचल के मठों और मंदिरों के जरिए इनके लाखों करोड़ों अनुयायियों तक पहुंचने और वोटर्स को साधने के लिए संघ का यह प्लान निश्चित तौर पर काफी महत्वपूर्ण माना जा सकता है. लेकिन, इन सबके बीच सवाल यह भी उठता है कि आखिर हर बार की तरह काशी ही इस पूरे प्लांट का केंद्र बिंदु क्यों बनाया जा रहा है? विशेषज्ञ रवि प्रकाश पांडेय का कहना है कि संग हमेशा से ही सामाजिक समरसता के साथ एकजुटता के प्रयासों के लिए काम करने की बात कहता है. एकजुटता तभी आती है जब धर्म के जरिए लोगों को जोड़ने की कोशिश की जाती है.

वाराणसी धार्मिक और राजनैतिक केंद्रः रवि प्रकाश ने कहा कि यह कहना गलत होगा कि जब चुनाव आते हैं तो धर्म के चश्मे से राजनीति को देखा जाता है, जबकि धर्म को राजनीति से अलग किया ही नहीं जा सकता. क्योंकि, यदि सही तरीके से अच्छे क्वालिटी की राजनीति होनी है, तो उसमें धर्म की संलिप्तता होगी ही होगी. इसी संलिप्तता के साथ लोगों को एकजुट करते हुए एक प्लेटफार्म पर लेकर आने का धर्म सबसे बड़ा और मजबूत जरिया बनता है. यही वजह है कि संघ प्रमुख ने वाराणसी को इसके लिए चुना है. क्योंकि, बनारस एक तरफ जहां सांस्कृतिक राजधानी है, तो वहीं, धार्मिक के साथ अगर राजनैतिक दृष्टि से भी यह शहर बहुत ही बड़ा केंद्र बन चुका है.

टेंपल कॉन्क्लेव में लेंगे हिस्साः उन्होंने कहा कि बनारस और पूर्वांचल में स्थापित बड़े मठ और मंदिर सीधे तौर पर देश के अलग-अलग हिस्सों में बैठे इन मठ मंदिरों के अनुयायियों को प्रभावित करते हैं. यहां से जाने वाला संदेश सिर्फ बनारस या पूर्वांचल के लिए नहीं बल्कि देश-विदेश के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है. यही वजह है कि पीएम मोदी भी बनारस से ही बड़े आयोजनों के साथ बड़े अभियान की शुरुआत करते हैं, ताकि संदेश दूर तक जाए और इन्हीं प्लानिंग के साथ संघ प्रमुख का भी काशी आगमन हो रहा है. यहां पर जिस तरह से वह मठ मंदिरों के प्रमुखों से मिलेंगे और प्लान के साथ यहां पर टेंपल कॉन्क्लेव में हिस्सा लेंगे. वह कहीं ना कहीं 2024 की चुनावी तैयारियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि, भारत की धार्मिक ताकत दिखाने के लिए 25 देशों के 450 से अधिक धर्मगुरु और पदाधिकारियों के साथ संघ प्रमुख का होना भारत की ताकत और वर्तमान केंद्र की सरकार के क्रियाकलापों को जन-जन तक पहुंचाने का बड़ा जरिया माना जा सकता है.

संघ प्रमुख का मास्टर प्लानः रवि प्रकाश के मुताबिक, संघ सिर्फ सनातन या हिंदू धर्म के लिए ही नहीं सोच रहा, बल्कि सभी को साथ लेकर चलने की कोशिश की जा रही है. इसका वो निश्चित तौर पर आने वाले चुनावों में भी देखने को मिलेगा. क्योंकि, जब किसी धर्म के धर्म गुरुओं की मौजूदगी ऐसे कार्यक्रमों में होती है, तो उनके अनुयाई भी उनसे कनेक्ट होकर उस तरफ जाते हैं, जिधर उनके गुरु उन्हें लेकर जाना चाहते हैं. इसलिए काशी प्रवास पर रहते हुए संघ प्रमुख का यह मास्टर प्लान आने वाले 2024 लोकसभा चुनावों के लिए बीजेपी को बड़ा फायदा पहुंचा सकता है.

विकास और सशक्तिकरण पर बातचीतः रवि प्रकाश ने बताया कि टेंपल कनेक्ट की तरफ से आयोजित इंटरनेशनल टेंपल्स कन्वेंशन एंड एक्सपो में मंदिर प्रबंधन संचालन को विकासित करने को लेकर चर्चा होनी है. इसमें प्रशासन के विकास और सशक्तिकरण पर भी बातचीत होगी. टेंपल कनेक्ट के संस्थापक गिरीश कुलकर्णी और चेयरमैन प्रसाद लाड और क्यूरेटर मेघा घोष पिछले दिनों वाराणसी आए थे. उस दौरान उन्होंने कहा था कि इस कार्यक्रम के जरिए विश्व में समस्त पूजा स्थलों पर प्रधान की टीमों के लिए सर्वश्रेष्ठ कार्य पद्धति विकसित करना ही इसका मकसद है.

टेंपल्स कन्वेंश में पर्यटन मंत्रालय का भी सहयोगः इस 3 दिवसीय कार्यक्रम में अतुल्य भारत अभियान भी हिस्सा होगा. इस कार्यक्रम में पर्यटन मंत्रालय भी सहयोग कर रहा है. सम्मेलन में मंदिर मठ और गुरुद्वारों में आने वाले तीर्थ यात्रियों के अनुभव, भीड़ प्रबंधन, ठोस कचरा प्रबंधन और बुनियादी सुविधाओं को लेकर चर्चा होनी है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस आयोजन में सर संघचालक मोहन भागवत के अलावा मंदिरों के न्यासी त्रावणकोर के राजकुमार और गोवा के पर्यटन मंत्री के अतिरिक्त तिरुमला तिरुपती देवस्थान के कार्यकारी अधिकारी धर्म रेड्डी भी मौजूद रहेंगे.

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