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वाराणसी: काशी में गुरुमंत्र लेकर फ्रांस के रोमैन बने रामनंदनाथ - आचार्य वागीश शास्त्री

यूपी के वाराणसी में सनातन धर्म जानने और समझने के लिए हर वर्ष भारी संख्या में विदेशी पहुंचे हैं. कुछ ज्ञान की प्राप्ति कर वापस अपने देश लौट जाते हैं. कुछ यहीं के होकर रह जाते हैं. ऐसे ही फ्रांस के रहने वाले रोमैन हैं. भारतीय संस्कृति और धर्म को जानने के बाद वह यहीं के होकर रह गए.

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फ्रांस के रोमैन उर्फ रामानंदनाथ.
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Published : Jan 14, 2020, 12:58 PM IST

वाराणसी: कहते हैं काशी अद्भुत जगह है और यहां आने के बाद हर कोई बस यहीं का होकर रह जाता है. सनातन धर्म को हमेशा आगे रखने वाले इस शहर में देश-विदेश से आने वाले लोग भी काशी के महत्त्व में उसके आगे खुद को छोटा महसूस करते हैं. शायद यही वजह है कि विदेशियों को यह शहर काफी पसंद आता है.

ऐसा ही एक विदेशी के साथ उस वक्त हुआ जब वह काशी तो घूमने आया, लेकिन उसने एक गुरु से गुरु मंत्र लेकर अपना नाम रोमैन के रामानंद कर लिया. दरसअल वाग्योग चेतनापीठ शिवाला में फ्रांस निवासी रोमैन ने आचार्य वागीश शास्त्री से शिव मंत्र की तांत्रिक दीक्षा ग्रहण की है. मंत्र दीक्षा के बाद उनका नाम रामानंदनाथ हो गया और उनका गोत्र भी परिवर्तित हो गया.

वागीश शास्त्री ने बताया कि तंत्र और मंत्र दोनों का संजोग करके मंत्र दीक्षा प्रदान की जाती है. वर्षों से पाश्चात्य देशों के लोग ज्ञान, अध्यात्म और शांति की खोज में काशी आते हैं. ईश्वर की कृपा से उनको उस मार्ग पर जाने का रास्ता निर्देशित करता हूं. यह मार्ग भाव भक्ति और साधना का है और बिना समर्पण के कोई इस मार्ग पर नहीं जा सकता है.

इसे भी पढ़ें- वाराणसीः पतंग और मांझा पर हावी होता मोबाइल गेम

रोमैन ने बताया कि उनकी बहुत पहले ही भारतीय धर्म और संस्कृति में काफी रुचि रही. 6 माह पूर्व गुरु वागीश शास्त्री से कुण्डलिनी जागरण का प्रशिक्षण प्राप्त किया. इसके बाद लगातार अभ्यास से शांति और ऊर्जा प्राप्त हुई. बाद में रोमैन ने गुरु से मंत्र दीक्षा ग्रहण करने का अनुरोध किया और गुरुजी ने आशीर्वाद दिया.

वाराणसी: कहते हैं काशी अद्भुत जगह है और यहां आने के बाद हर कोई बस यहीं का होकर रह जाता है. सनातन धर्म को हमेशा आगे रखने वाले इस शहर में देश-विदेश से आने वाले लोग भी काशी के महत्त्व में उसके आगे खुद को छोटा महसूस करते हैं. शायद यही वजह है कि विदेशियों को यह शहर काफी पसंद आता है.

ऐसा ही एक विदेशी के साथ उस वक्त हुआ जब वह काशी तो घूमने आया, लेकिन उसने एक गुरु से गुरु मंत्र लेकर अपना नाम रोमैन के रामानंद कर लिया. दरसअल वाग्योग चेतनापीठ शिवाला में फ्रांस निवासी रोमैन ने आचार्य वागीश शास्त्री से शिव मंत्र की तांत्रिक दीक्षा ग्रहण की है. मंत्र दीक्षा के बाद उनका नाम रामानंदनाथ हो गया और उनका गोत्र भी परिवर्तित हो गया.

वागीश शास्त्री ने बताया कि तंत्र और मंत्र दोनों का संजोग करके मंत्र दीक्षा प्रदान की जाती है. वर्षों से पाश्चात्य देशों के लोग ज्ञान, अध्यात्म और शांति की खोज में काशी आते हैं. ईश्वर की कृपा से उनको उस मार्ग पर जाने का रास्ता निर्देशित करता हूं. यह मार्ग भाव भक्ति और साधना का है और बिना समर्पण के कोई इस मार्ग पर नहीं जा सकता है.

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रोमैन ने बताया कि उनकी बहुत पहले ही भारतीय धर्म और संस्कृति में काफी रुचि रही. 6 माह पूर्व गुरु वागीश शास्त्री से कुण्डलिनी जागरण का प्रशिक्षण प्राप्त किया. इसके बाद लगातार अभ्यास से शांति और ऊर्जा प्राप्त हुई. बाद में रोमैन ने गुरु से मंत्र दीक्षा ग्रहण करने का अनुरोध किया और गुरुजी ने आशीर्वाद दिया.

Intro:वाराणसी: कहते काशी एक अद्भुत जगह है और यहां आने के बाद हर कोई बस यहीं का होकर रह जाता है सनातन धर्म को हमेशा आगे रखने वाले इस शहर में देश-विदेश से आने वाले लोग भी काशी के महत्त्व में उसके आगे खुद को छोटा महसूस करते हैं. शायद यही वजह है कि विदेशियों को यह शहर काफी पसंद आता है और ऐसा ही एक विदेशी के साथ उस वक्त हुआ जब हुआ काशी तो घूमने आया लेकिन उसने एक गुरु से गुरु मंत्र लेकर अपना नाम रोमैन के रामानंद कर लिया.Body:वीओ-01दरसअल वाग्योग चेतनापीठ शिवाला में फ्रांस निवासी रोमैन ने आचार्य वागीश शास्त्री से शिव मंत्र की तांत्रिक दीक्षा ग्रहण की है. मंत्र दीक्षा के बाद उनका नाम रामानंद नाथ हो गया और उनका गोत्र भी परिवर्तित हो गया. गुरुदेव वागीश शास्त्री ने बताया की तंत्र और मंत्र दोनों का संजोग करके मंत्र दीक्षा प्रदान की जाती है, वर्षों से पाश्चात्य देशों के लोग ज्ञान और आध्यात्म और शांति की खोज में मेरे पास आते हैं और में ईश्वर की कृपा से उनको उस मार्ग पर जाने का रास्ता निर्देशित करता हूँ. यह मार्ग भाव भक्ति और साधना का है और बिना समर्पण के कोई इस मार्ग पर नहीं जा सकता है.
Conclusion:वीओ-02 रोमैन ने बताया कि उनकी बहुत गहरी आस्था भारतीय धर्म और संस्कृति में काफी पहले से ही रही और 6 माह पूर्व गुरुदेव से कुण्डलिनी जागरण का प्रशिक्षण प्राप्त किया और उसके अभ्यास के बाद काफी शांति और ऊर्जा महसूस हुई. पुनः आने पर मैंने मंत्र दीक्षा ग्रहण करने का अनुरोध किया और गुरूजी ने आशीर्वाद दिया.
मैं अपने को बहुत ऊर्जावान और शक्ति से भरा महसूस कर रहा हूँ.

गोपाल मिश्र

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