वाराणसी : पीने वालों को तो पीने का बहाना चाहिए. फिर वह बहाना कभी खुशी तो कभी गम के रूप में भी हो सकता है. लेकिन पीने वाले एक तरफ जहां शराब पीकर खुद के लिए मुसीबत खड़ी करते हैं तो वहीं दूसरों के लिए भी खतरा बन जाते हैं. ऐसे पीने वाले सबसे ज्यादा मुसीबत सड़कों पर गाड़ी चलाने के दौरान खड़ी करते हैं. बनारस में भी शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की वजह से आए दिन कोई न कोई मुसीबत ट्रैफिक पुलिस को झेलनी पड़ती है.
नशे में वाहन चलाने से हुई 38 हजार से ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं
आंकड़ों पर यदि गौर करें तो देश में पिछले 3 सालों में नशे में ड्राइविंग से 38 हजार से ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं. हर साल इस तरह के हादसों में हजारों लोगों की जान जाती है. इसलिए ईटीवी भारत ने पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की वजह से हो रहे हादसों और इन्हें रोकने के लिए ट्रैफिक पुलिस की तैयारियों की पड़ताल की.
साल दर साल बढ़ रहे आंकड़े
दरअसल, शहर बनारस अपनी संकरी गलियों, भीड़भाड़ और ट्रैफिक वाली सड़कों के लिए जाना जाता है. यहां पर दूसरे राज्यों और शहरों से जोड़ने वाले हाईवे पर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की संख्या भी कम नहीं है. यदि ट्रैफिक पुलिस विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो 2018 में सड़क हादसों में 156 लोगों की मौत हुई थी और 265 लोग सड़क हादसों में घायल हुए थे. जबकि 2019 में मौत का आंकड़ा बढ़कर 164 और घायलों की संख्या बढ़कर 385 हो गई थी. सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि नवंबर 2020 तक बनारस में सड़क हादसों में 126 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और 212 लोगों को सड़क हादसों में घायल होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है.
सड़क हादसों में हो रही वृद्धि
कुल मिलाकर बनारस में सड़क हादसों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. दिन में शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों का रोल भी कम नहीं है. खुद ट्रैफिक महकमा मानता है कि शराबियों के गाड़ी चलाने की वजह से उनके साथ दूसरों के लिए मुसीबत खड़ी होती है. इसलिए ट्रैफिक पुलिस विभाग अपनी तैयारियों के मुकम्मल होने के दावे तो कर रहा है, लेकिन इन दावों की हकीकत क्या है यह भी जानना बेहद जरूरी है.
ड्रंकन ड्राइवर्स को ऐसे रोकता है विभाग
ट्रैफिक पुलिस विभाग की मानें तो शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों को रोकने के लिए विभाग के पास मौजूद स्पेशल इंटरसेप्टर वाहन और ब्रेथ एनालाइजर के जरिए शराबियों को ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने से रोकने की कवायद की जाती है. शहर के भीड़भाड़ वाले चौराहों के साथ ही हाईवे पर समय-समय पर चेकिंग अभियान चलाकर शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों पर नकेल कसने की कोशिश होती है. सीओ ट्रैफिक अमरेश सिंह बघेल का कहना है कि विभाग के पास मौजूद ब्रेथ एनालाइजर के जरिए शाम और रात में विशेष अभियान चलाकर शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों को रोकने की कोशिश होती है.
कार्रवाई के नाम पर यह है हाल
महीना | चालान |
जनवरी | 47 हजार |
फरवरी | 30 हजार 212 |
मार्च | 34 हजार 215 |
अप्रैल | 30 हजार 515 |
मई | 30 हजार 254 |
जून | 43 हजार 300 |
जुलाई | 43 हजार 120 |
अगस्त | 37 हजार 500 |
सितंबर | 50 हजार 509 |
अक्टूबर | 5 लाख 20 हजार 900 |
नवम्बर | 35 हजार 135 |
इन आंकड़ों में लगभग हर महीने 225 से ज्यादा ड्रंकन ड्राइवर्स पर कार्रवाई की जाती है, जबकि लगभग 200 से ज्यादा लोगों पर शराब पीकर रैश ड्राइविंग की कार्यवाही होती है. शादी विवाह के सीजन और नए साल पर विशेष अभियान चलाए जाते हैं.