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सड़क हादसा : साल दर साल बढ़ रहे मौत के आंकड़े, यह है बड़ी वजह

शराब पीकर गाड़ी चलाने वाले अपने साथ दूसरों के लिए भी मुसीबत बन रहे हैं, जिस वजह से सड़क हादसों में होने वाली मौत के आंकड़े साल दर साल बढ़ते जा रहे हैं. देखिए ये रिपोर्ट...

road accidents increasing in varanasi
वाराणसी में नशे में वाहन चलाने से बढ़ रहीं सड़क दुर्घटनाएं.
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Published : Dec 24, 2020, 5:43 PM IST

Updated : Dec 24, 2020, 6:38 PM IST

वाराणसी : पीने वालों को तो पीने का बहाना चाहिए. फिर वह बहाना कभी खुशी तो कभी गम के रूप में भी हो सकता है. लेकिन पीने वाले एक तरफ जहां शराब पीकर खुद के लिए मुसीबत खड़ी करते हैं तो वहीं दूसरों के लिए भी खतरा बन जाते हैं. ऐसे पीने वाले सबसे ज्यादा मुसीबत सड़कों पर गाड़ी चलाने के दौरान खड़ी करते हैं. बनारस में भी शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की वजह से आए दिन कोई न कोई मुसीबत ट्रैफिक पुलिस को झेलनी पड़ती है.

नशे में गाड़ी चलाने से हो रही ज्यादातर सड़क दुर्घटनाएं.

नशे में वाहन चलाने से हुई 38 हजार से ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं

आंकड़ों पर यदि गौर करें तो देश में पिछले 3 सालों में नशे में ड्राइविंग से 38 हजार से ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं. हर साल इस तरह के हादसों में हजारों लोगों की जान जाती है. इसलिए ईटीवी भारत ने पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की वजह से हो रहे हादसों और इन्हें रोकने के लिए ट्रैफिक पुलिस की तैयारियों की पड़ताल की.

साल दर साल बढ़ रहे आंकड़े

दरअसल, शहर बनारस अपनी संकरी गलियों, भीड़भाड़ और ट्रैफिक वाली सड़कों के लिए जाना जाता है. यहां पर दूसरे राज्यों और शहरों से जोड़ने वाले हाईवे पर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की संख्या भी कम नहीं है. यदि ट्रैफिक पुलिस विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो 2018 में सड़क हादसों में 156 लोगों की मौत हुई थी और 265 लोग सड़क हादसों में घायल हुए थे. जबकि 2019 में मौत का आंकड़ा बढ़कर 164 और घायलों की संख्या बढ़कर 385 हो गई थी. सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि नवंबर 2020 तक बनारस में सड़क हादसों में 126 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और 212 लोगों को सड़क हादसों में घायल होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है.

सड़क हादसों में हो रही वृद्धि

कुल मिलाकर बनारस में सड़क हादसों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. दिन में शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों का रोल भी कम नहीं है. खुद ट्रैफिक महकमा मानता है कि शराबियों के गाड़ी चलाने की वजह से उनके साथ दूसरों के लिए मुसीबत खड़ी होती है. इसलिए ट्रैफिक पुलिस विभाग अपनी तैयारियों के मुकम्मल होने के दावे तो कर रहा है, लेकिन इन दावों की हकीकत क्या है यह भी जानना बेहद जरूरी है.

ड्रंकन ड्राइवर्स को ऐसे रोकता है विभाग

ट्रैफिक पुलिस विभाग की मानें तो शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों को रोकने के लिए विभाग के पास मौजूद स्पेशल इंटरसेप्टर वाहन और ब्रेथ एनालाइजर के जरिए शराबियों को ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने से रोकने की कवायद की जाती है. शहर के भीड़भाड़ वाले चौराहों के साथ ही हाईवे पर समय-समय पर चेकिंग अभियान चलाकर शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों पर नकेल कसने की कोशिश होती है. सीओ ट्रैफिक अमरेश सिंह बघेल का कहना है कि विभाग के पास मौजूद ब्रेथ एनालाइजर के जरिए शाम और रात में विशेष अभियान चलाकर शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों को रोकने की कोशिश होती है.

road accidents increasing in varanasi
ड्यूटी के दौरान ट्रैफिक पुलिसकर्मी.
नशे में गाड़ी चलाने पर पुलिस घर वालों को देती है सूचना

सीओ ट्रैफिक अमरेश सिंह बघेल का कहना है कि यदि कोई शराब पीकर गाड़ी चलाता हुआ पकड़ा जाता है तो उनके परिवार के लोगों को इसकी सूचना दी जाती है और परिवार के लोगों के आने के बाद ही उन्हें सुपुर्द करने के साथ ही उन पर चालान की कार्रवाई की जाती है. चालान की रकम 500 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक हो सकती है. यह निर्भर करता है ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन किस रूप में किया जा रहा है. वहीं इंटरसेप्टर के जरिए हाईवे पर शराब पीकर फोर व्हीलर या टू व्हीलर चलाने वालों को भी रोकने और सड़क हादसों को कम करने का प्रयास पुलिस विभाग कर रहा है.


कार्रवाई के नाम पर यह है हाल

महीना चालान
जनवरी47 हजार
फरवरी 30 हजार 212
मार्च 34 हजार 215
अप्रैल30 हजार 515
मई 30 हजार 254
जून 43 हजार 300
जुलाई43 हजार 120
अगस्त37 हजार 500
सितंबर50 हजार 509
अक्टूबर5 लाख 20 हजार 900
नवम्बर 35 हजार 135

इन आंकड़ों में लगभग हर महीने 225 से ज्यादा ड्रंकन ड्राइवर्स पर कार्रवाई की जाती है, जबकि लगभग 200 से ज्यादा लोगों पर शराब पीकर रैश ड्राइविंग की कार्यवाही होती है. शादी विवाह के सीजन और नए साल पर विशेष अभियान चलाए जाते हैं.

वाराणसी : पीने वालों को तो पीने का बहाना चाहिए. फिर वह बहाना कभी खुशी तो कभी गम के रूप में भी हो सकता है. लेकिन पीने वाले एक तरफ जहां शराब पीकर खुद के लिए मुसीबत खड़ी करते हैं तो वहीं दूसरों के लिए भी खतरा बन जाते हैं. ऐसे पीने वाले सबसे ज्यादा मुसीबत सड़कों पर गाड़ी चलाने के दौरान खड़ी करते हैं. बनारस में भी शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की वजह से आए दिन कोई न कोई मुसीबत ट्रैफिक पुलिस को झेलनी पड़ती है.

नशे में गाड़ी चलाने से हो रही ज्यादातर सड़क दुर्घटनाएं.

नशे में वाहन चलाने से हुई 38 हजार से ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं

आंकड़ों पर यदि गौर करें तो देश में पिछले 3 सालों में नशे में ड्राइविंग से 38 हजार से ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं. हर साल इस तरह के हादसों में हजारों लोगों की जान जाती है. इसलिए ईटीवी भारत ने पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की वजह से हो रहे हादसों और इन्हें रोकने के लिए ट्रैफिक पुलिस की तैयारियों की पड़ताल की.

साल दर साल बढ़ रहे आंकड़े

दरअसल, शहर बनारस अपनी संकरी गलियों, भीड़भाड़ और ट्रैफिक वाली सड़कों के लिए जाना जाता है. यहां पर दूसरे राज्यों और शहरों से जोड़ने वाले हाईवे पर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की संख्या भी कम नहीं है. यदि ट्रैफिक पुलिस विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो 2018 में सड़क हादसों में 156 लोगों की मौत हुई थी और 265 लोग सड़क हादसों में घायल हुए थे. जबकि 2019 में मौत का आंकड़ा बढ़कर 164 और घायलों की संख्या बढ़कर 385 हो गई थी. सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि नवंबर 2020 तक बनारस में सड़क हादसों में 126 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और 212 लोगों को सड़क हादसों में घायल होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है.

सड़क हादसों में हो रही वृद्धि

कुल मिलाकर बनारस में सड़क हादसों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. दिन में शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों का रोल भी कम नहीं है. खुद ट्रैफिक महकमा मानता है कि शराबियों के गाड़ी चलाने की वजह से उनके साथ दूसरों के लिए मुसीबत खड़ी होती है. इसलिए ट्रैफिक पुलिस विभाग अपनी तैयारियों के मुकम्मल होने के दावे तो कर रहा है, लेकिन इन दावों की हकीकत क्या है यह भी जानना बेहद जरूरी है.

ड्रंकन ड्राइवर्स को ऐसे रोकता है विभाग

ट्रैफिक पुलिस विभाग की मानें तो शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों को रोकने के लिए विभाग के पास मौजूद स्पेशल इंटरसेप्टर वाहन और ब्रेथ एनालाइजर के जरिए शराबियों को ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने से रोकने की कवायद की जाती है. शहर के भीड़भाड़ वाले चौराहों के साथ ही हाईवे पर समय-समय पर चेकिंग अभियान चलाकर शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों पर नकेल कसने की कोशिश होती है. सीओ ट्रैफिक अमरेश सिंह बघेल का कहना है कि विभाग के पास मौजूद ब्रेथ एनालाइजर के जरिए शाम और रात में विशेष अभियान चलाकर शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों को रोकने की कोशिश होती है.

road accidents increasing in varanasi
ड्यूटी के दौरान ट्रैफिक पुलिसकर्मी.
नशे में गाड़ी चलाने पर पुलिस घर वालों को देती है सूचना

सीओ ट्रैफिक अमरेश सिंह बघेल का कहना है कि यदि कोई शराब पीकर गाड़ी चलाता हुआ पकड़ा जाता है तो उनके परिवार के लोगों को इसकी सूचना दी जाती है और परिवार के लोगों के आने के बाद ही उन्हें सुपुर्द करने के साथ ही उन पर चालान की कार्रवाई की जाती है. चालान की रकम 500 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक हो सकती है. यह निर्भर करता है ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन किस रूप में किया जा रहा है. वहीं इंटरसेप्टर के जरिए हाईवे पर शराब पीकर फोर व्हीलर या टू व्हीलर चलाने वालों को भी रोकने और सड़क हादसों को कम करने का प्रयास पुलिस विभाग कर रहा है.


कार्रवाई के नाम पर यह है हाल

महीना चालान
जनवरी47 हजार
फरवरी 30 हजार 212
मार्च 34 हजार 215
अप्रैल30 हजार 515
मई 30 हजार 254
जून 43 हजार 300
जुलाई43 हजार 120
अगस्त37 हजार 500
सितंबर50 हजार 509
अक्टूबर5 लाख 20 हजार 900
नवम्बर 35 हजार 135

इन आंकड़ों में लगभग हर महीने 225 से ज्यादा ड्रंकन ड्राइवर्स पर कार्रवाई की जाती है, जबकि लगभग 200 से ज्यादा लोगों पर शराब पीकर रैश ड्राइविंग की कार्यवाही होती है. शादी विवाह के सीजन और नए साल पर विशेष अभियान चलाए जाते हैं.

Last Updated : Dec 24, 2020, 6:38 PM IST
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