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पार्कों में मत आइये, यहां बैठने तक की व्यवस्था नहीं

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Published : Jan 27, 2021, 5:13 PM IST

पार्कों में लोग परिवार के साथ वक्त बिताना पसंद करते हैं और बच्चे खेलकूद कर अपना मनाेरंजन करते हैं. वाराणसी नगर निगम हर साल करोड़ों रुपये पार्कों के रखरखाव पर खर्च करता है. इस बजट को अधिकारी खर्च तो कर लेते हैं, लेकिन पार्कों के कार्य कागजों में ही सिमट कर रह जाते हैं.

पार्कों का रियलिटी चेक.
पार्कों का रियलिटी चेक.

वाराणसी: जिले में स्मार्ट सिटी के तहत पार्कों का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण किया जा रहा है. क्या यह सजावट सिर्फ सड़क किनारे मौजूद पार्क में ही दिख रही है या शहर के अंदर के पार्कों को भी सजाया और संवारा गया है. इसके लिए ईटीवी भारत ने रियलिटी चेक किया और पार्कों की वास्तविकता को परखा.

पार्कों का रियलिटी चेक.

कॉलोनियों के पार्क जोह रहे विकास की बाट
ईटीवी भारत की टीम ने वाराणसी के बादशाहबाग पार्क का निरीक्षण किया. बादशाहबाग शहर का सबसे पॉश इलाका माना जाता है. निरीक्षण के दौरान पार्क गंदगी और झाड़ मिले. पार्क में खेलने के सारे सामान क्षतिग्रस्त थे. बैठने के लिए सीढ़ियां भी क्षतिग्रस्त थीं. पार्क में किसी भी प्रकार की सफाई नहीं थीॉ. शराब की बोतलें भी पार्क में पड़ी थीं.

दयनीय स्थिति में पार्क की स्थिति.
पार्क की दयनीय स्थिति.

नहीं हो रही सुनवाई
कॉलोनी की महिलाओं ने बताया कि पार्क की यह स्थिति पांच सालों से है. यहां पर लंबी-लंबी घास और झाड़ हैं. कई बार अधिकारियों से इसकी शिकायत की गई, लेकिन कहीं भी सुनवाई नहीं हुई. महिलाओं ने बताया कि पार्क की इस स्थिति के कारण हमें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. सुबह टहलने के लिए कोई स्थान नहीं है. यह पार्क शराबी और जुआरियों का अड्डा बना रहता है. यहां पर न तो बच्चे सुरक्षित हैं और न ही महिलाएं.

किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं.
किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं.

कागजों पर टिकी है व्यवस्था
रियलिटी चेक के क्रम में मध्य नगर निगम कार्यालय के बाहर मौजूद शहीद उद्यान पार्क भी शामिल रहा. यहां की स्थिति बेहद ही दयनीय थी. शहीद उद्यान पार्क नगर निगम कार्यालय के ठीक सामने है. बावजूद इसके पार्क में बैठने लायक कोई जगह नहीं दिखाई दी. बता दें कि नगर निगम उद्यान में हर दिन काफी संख्या में लोगों की भीड़ होती है, फिर भी व्यवस्थाएं मात्र कागजों में हैं.

खेलने के सामान टूटे पड़े हुए.
खेलने के सामान टूटे पड़े हुए.

नहीं है दूसरा कोई विकल्प
शहीद उद्यान पार्क में मौजूद लोगों ने बताया कि हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है. शहर में कोई दूसरा अच्छा पार्क भी नहीं है, जहां पर परिवार या बच्चों के साथ जा सकें. शहर के सबसे अच्छे पार्क की स्थिति ऐसी है तो दूसरे पार्कों से क्या उम्मीद है. उनका कहना है कि प्रशासन को जल्द से जल्द पार्क को दुरुस्त कराना चाहिए, ताकि लोगों को समस्या न हो.

वाराणसी: जिले में स्मार्ट सिटी के तहत पार्कों का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण किया जा रहा है. क्या यह सजावट सिर्फ सड़क किनारे मौजूद पार्क में ही दिख रही है या शहर के अंदर के पार्कों को भी सजाया और संवारा गया है. इसके लिए ईटीवी भारत ने रियलिटी चेक किया और पार्कों की वास्तविकता को परखा.

पार्कों का रियलिटी चेक.

कॉलोनियों के पार्क जोह रहे विकास की बाट
ईटीवी भारत की टीम ने वाराणसी के बादशाहबाग पार्क का निरीक्षण किया. बादशाहबाग शहर का सबसे पॉश इलाका माना जाता है. निरीक्षण के दौरान पार्क गंदगी और झाड़ मिले. पार्क में खेलने के सारे सामान क्षतिग्रस्त थे. बैठने के लिए सीढ़ियां भी क्षतिग्रस्त थीं. पार्क में किसी भी प्रकार की सफाई नहीं थीॉ. शराब की बोतलें भी पार्क में पड़ी थीं.

दयनीय स्थिति में पार्क की स्थिति.
पार्क की दयनीय स्थिति.

नहीं हो रही सुनवाई
कॉलोनी की महिलाओं ने बताया कि पार्क की यह स्थिति पांच सालों से है. यहां पर लंबी-लंबी घास और झाड़ हैं. कई बार अधिकारियों से इसकी शिकायत की गई, लेकिन कहीं भी सुनवाई नहीं हुई. महिलाओं ने बताया कि पार्क की इस स्थिति के कारण हमें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. सुबह टहलने के लिए कोई स्थान नहीं है. यह पार्क शराबी और जुआरियों का अड्डा बना रहता है. यहां पर न तो बच्चे सुरक्षित हैं और न ही महिलाएं.

किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं.
किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं.

कागजों पर टिकी है व्यवस्था
रियलिटी चेक के क्रम में मध्य नगर निगम कार्यालय के बाहर मौजूद शहीद उद्यान पार्क भी शामिल रहा. यहां की स्थिति बेहद ही दयनीय थी. शहीद उद्यान पार्क नगर निगम कार्यालय के ठीक सामने है. बावजूद इसके पार्क में बैठने लायक कोई जगह नहीं दिखाई दी. बता दें कि नगर निगम उद्यान में हर दिन काफी संख्या में लोगों की भीड़ होती है, फिर भी व्यवस्थाएं मात्र कागजों में हैं.

खेलने के सामान टूटे पड़े हुए.
खेलने के सामान टूटे पड़े हुए.

नहीं है दूसरा कोई विकल्प
शहीद उद्यान पार्क में मौजूद लोगों ने बताया कि हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है. शहर में कोई दूसरा अच्छा पार्क भी नहीं है, जहां पर परिवार या बच्चों के साथ जा सकें. शहर के सबसे अच्छे पार्क की स्थिति ऐसी है तो दूसरे पार्कों से क्या उम्मीद है. उनका कहना है कि प्रशासन को जल्द से जल्द पार्क को दुरुस्त कराना चाहिए, ताकि लोगों को समस्या न हो.

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