वाराणसी: शिव की नगरी काशी में अनेक परंपराएं हैं, जिनका समय-समय पर निर्वहन किया जाता है. यहां की परंपरा जितनी अनोखी है उतनी ही खूबसूरत है. काशी में हर परंपरा में एक अलग रंग देखने को मिलता है. एक अलग कहानी सुनने को मिलती है. ऐसी ही एक परंपरा है रामनगर के जनकपुर की. यहां पर भगवान राम के विवाह उत्सव में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. यहां पर पीएसी की टुकड़ी भगवान राम को गार्ड ऑफ ऑनर देती है. शनिवार की रात जनकपुर में शुक्ल पंचमी के मौके पर भगवान राम के विवाह के बाद कोहबर की झांकी सजाई गई. वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को इस बार भी काशी के लोगों ने बखूबी निभाया.
मन्दिर के पुजारी राम नारायण पांडेय ने बताया कि विवाह पंचमी के दिन विवाह के उपरांत राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न चारों भाई अपनी पत्नी सीता, उर्मिला, मांडवी, श्रुतिकीर्ति के साथ जनकपुर में आते हैं. जहां पर कोहबर मंडप में झांकी सजाई जाती है. इस दौरान विवाह उत्सव पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. यह परंपरा बीते कई दशकों से चली आ रही है. जिसका आज भी निर्वहन किया जाता है. उन्होंने बताया कि आज विवाह पंचमी के मौके पर चारों भाइयों और उनकी पत्नियों का भव्य श्रृंगार किया गया और झांकी सजाई गई है.
काशी नरेश का परिवार करता है प्रतिनिधित्व
पंडित राम नारायण पांडेय ने बताया कि काशी की यह परंपरा है कि काशीराज का परिवार इस पूजा की शुरुआत करता है. वह प्रतिवर्ष इस मौके पर जनकपुर मंदिर पहुंचता है. आज भी राजा के परिवार के लोग मंदिर आए और उन्होंने आरती की शुरुआत की. उन्होंने बताया कि यह उत्सव देर रात तक चलता है.
भगवान राम को दिया जाता है गार्ड ऑफ ऑनर
पुजारी जी ने बताया कि मंदिर की एक और परंपरा है. यहां पर हर वर्ष गार्ड ऑफ ऑनर की सलामी भगवान राम को दी जाती है. पहले यह सलामी महाराज बनारस की सेनाएं करती थीं और अब सलामी सरकार की सेनाएं पीएसी बल के द्वारा की जाती है. यह बेहद ही अनोखी परंपरा है, जिसका सिर्फ और सिर्फ काशी में ही निर्वहन किया जाता है.
पूरे विश्व का है यह इकलौता अनोखा मंदिर
पूजन में शामिल होने वाली जानकी मिश्रा ने बताया कि राम का यह अनोखा मंदिर सिर्फ काशी में ही है. जहां पर चारों भाइयों और उनकी पत्नियों की एक साथ मूर्तियां स्थापित की गई हैं. उन्होंने बताया कि वह बीते 30 साल से पूजा में शामिल होने आती हैं और इस पूजा में शामिल होकर उन्हें लगता है कि मानो स्वयं वहां भगवान राम मौजूद हो. उन्होंने बताया कि इस पूजा में भगवान के श्रृंगार के साथ उन्हें भोग लगाया जाता है और भोग में शादी विवाह में बनने वाले सभी मिठाइयों को शामिल किया जाता है. वहीं प्रसाद भक्तों में वितरित किया जाता है.