वाराणसी: महादेव से श्रीराम का कितना गहरा नाता है ये कौन नहीं जानता. काशी में ऐसी ही एक तस्वीर देखने को मिली है, जहां महादेव की नगरी में दीपावली के अवसर पर राम दरबार (Ram Darbar Wood Art) की खूब मांग रही. काशी में आयोजित महोत्सव में सबसे अधिक राम दरबार की आकृति की डिमांड हुई है. तीन दिन के अंदर ही 15 हजार राम दरबार बनाने के ऑर्डर मिल गए हैं. वहीं, भगवान राम के जीवन पर बनी झांकी की भी डिमांड रही.
बता दें कि वाराणसी के जीआई महोत्सव (GI Festival in Varanasi) में 11 राज्यों के व्यापारियों ने अपने 90 स्टॉल लगाए हैं. इस दौरान एक खास बात ने लोगों के आकर्षित किया है. वो है यहां पर काष्ठ कला में बना राम दरबार (Ram Darbar Wood Art ) और भगवान राम के जीवन पर बनी झांकियां. मेला लगे तीन दिन ही हुए और यहां आए 20 से अधिक राम दरबार की आकृतियां बिक गई, जबकि 15000 आकृतियां बनाने के ऑर्डर भी मिल चुके हैं यानी काशी की काष्ठ कला 11 राज्यों की कलाओं पर भारी पड़ रही है.
महोत्सव में खरीदारी करने आए ग्राहकों ने बताया कि महोत्सव में अलग-अलग कलाएं हैं,लेकिन इसमें हमें काष्ठ पर उकेरा गया राम दरबार सबसे ज्यादा पसंद आ रहा है, भगवान राम सभी के लिए आदर्श हैं और उनका घर में होना ही परिवार को आदर्शवादी बनने की प्रेरणा देता है. दीपावली का त्यौहार भी है ऐसे में हम राम दरबार को खरीद रहे हैं और घर में गणेश लक्ष्मी जी के साथ प्रभु राम की झांकी को सजाएंगे. ग्राहकों ने बताया कि लकड़ी घर के लिए बेहद शुभ मानी जाती है और यह लकड़ी काशी की कला के जरिए खूबसूरत बनाई हो तो फिर उसकी बात ही निराली है.
1000 से लेकर 90 हजार तक के है राम दरबार
राम दरबार की झांकी को लकड़ी पर तैयार करने वाले कारीगरों की माने तो राम मंदिर के निर्माण के बाद लगातार राम दरबार की झांकियों की डिमांड बढ़ी है. विदेश से लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में लोग इसे पसंद कर रहे हैं. इस जीआई महोत्सव में यह लोगों की खासा पसंद बना है. उन्होंने बताया कि हमारे पास 1000 से लेकर के 90000 रुपए तक के अलग-अलग साइज के प्रभु श्रीराम व उनके जीवन से जुड़ी झांकियां है, जिसका आर्डर भी हमें मिल रहा है. उन्होंने बताया कि बीते 3 दिनों की मेले में हमारे पास 15 पीस का आर्डर मिला है और 20 से ज्यादा झांकियां बिक चुकी हैं.वो बताते है कि, राम दरबार को बनाने में 15 दिन से ज्यादा का समय लगता है.यदि साइज बड़ा हो तो यह समय 1 महीने तक भी चला जाता है. इस पर इको फ्रेंडली कलर का प्रयोग किया जाता है, ताकि इससे किसी भी तरीके का कोई नुकसान ना हो.
400 साल पुरानी है काशी की ये काष्ठ कला
बता दें कि काशी की ये काष्ठ कला लगभग 400 साल से ज्यादा पुरानी मानी जाती है. इससे जुड़े कारीगर बताते है कि यह काशी की पुस्तैनी कलाओं में से एक है, जिसको कारीगर तैयार करते हैं. वाराणसी के कश्मीरी गंज, शिवाला, मैदागिन, विशेश्वरगंज,गायघाट, लहरतारा अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग परिवार के जरिए इस कला को तैयार किया जाता है. राम दरबार की झांकी, श्री कृष्ण की जीवन पर बनी झांकी,लकड़ी के खिलौने, लकड़ी की गाड़ियां, घर के सजावटी सामान व अन्य अलग-अलग प्रकार की आकृति तैयार की जाती है.
बता दें कि,काशी में जीआई आयोजित महोत्सव का आयोजन किया गया है. यहां 11 प्रांतों के 90 उत्पादों को सजाया गया है, जिसमें सर्वाधिक उत्तर देश के 34 व पूर्वांचल के 19 उत्पादों को उत्पाद को रखा गया है. प्रदर्शनी में बिहार के मधुबनी की मंजूषा पेंटिंग, मिथिला मखाना, सिलाव का खाजा, मध्य प्रदेश से बैतूल मेटल क्राफ्ट,चंदेरी व माहेश्वरी साड़ी, बाग प्रिंट, इंदौर लेदर टॉयज, राजस्थान से जयपुर ब्लू पॉटरी,पोटाडोरिया साड़ी,सांगानेर व बंगरु हैंड ब्लॉक प्रिंट, सोजत की मेहंदी,मकराना मार्बल,खेवा ज्वेलरी, जम्मू कश्मीर से पशमीना, हिमाचल कुल्लू की शॉल, काला जीरा,टोपी, कांगड़ा की चाय, पंजाब, हरियाणा की फुलकारी के उत्पाद मौजूद है.वही पूर्वांचल के बनारसी साड़ी एवं ब्रोकेड, गुलाबी मीनाकारी, मेटल रिपोजि क्राफ्ट, सॉफ्ट स्टोन जाली वर्क, लकड़ी के खिलौने, हैंड ब्लॉक प्रिंट, जरी जरदोजी,वुड कार्विंग, निजामाबाद ब्लैक पॉटरी, गाजीपुर वॉल हैंगिंग, भदोही कारपेट, मिर्जापुर दरी, मिर्जापुर पीतल बर्तन,चुनार बलुआ पत्थर,मऊ साड़ी, गोरखपुर का टेराकोटा, इलाहाबाद सुरखा अमरूद, बस्ती एवं सिद्धार्थनगर काला नमक चावल की प्रदर्शनी लगी है.
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