वाराणसी: रक्षाबंधन (raksha bandhan 2022) के त्योहार भाई और प्रेम के परस्पर संबंध को मजबूती प्रदान करने का त्यौहार है. लेकिन, इस बार रक्षाबंधन को लेकर काफी गफलत की स्थिति है. क्योंकि हर ज्योतिष और हर विद्वान रक्षाबंधन का पर्व मनाने को लेकर अलग-अलग तारीखें बता रहे हैं. धर्म शास्त्र या यूं कहें धर्म और निर्णय सिंधु क्या आदेश दे रहे हैं और रक्षाबंधन का पर्व कब मनाया जाएगा (raksha bandhan kab manaya jayega 2022), ईटीवी भारत इसकी सटीक जानकारी देगा.
वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित ज्योतिष विभाग (Department of Astrology BHU) के प्रोफेसर और वाराणसी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित सुभाष पांडेय से ईटीवी भारत ने बातचीत की. उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि धर्म और निर्णय सिंधु ग्रंथ रक्षाबंधन के त्यौहार को मनाने के लिए 11 अगस्त का निर्देश दे रहा है. परिस्थितियों के अनुसार, दोनों ग्रंथों में रक्षाबंधन के लिए 11 अगस्त की रात्रि को ही उपयुक्त माना जा रहा है. अगर बात करें 12 अगस्त की, तो 12 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व मनाना कहीं से भी श्रेष्ठ और मान्य नहीं है.
कब है रक्षाबंधन (Raksha Bandhan Kab Hai 2022)
रक्षाबंधन की तारीख को लेकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग (Department of Astrology Banaras Hindu University) के प्रोफेसर सुभाष पांडेय ने कुछ जानकारी दी है. उनका कहना है कि शास्त्रीय विवेचन के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया है कि भद्रा तिथि में किसी भी तरह के कार्य को सनातन धर्म में नहीं किया जा सकता है. चाहे वह रक्षाबंधन का पर्व हो या फिर होलिका दहन या कोई अन्य कार्य. भद्रा अपने आप में वह समय काल होती है, जिसमें कार्यों को निषिद्ध बताया गया है. इसलिए भद्रा काल में रक्षाबंधन किसी भी तरह से मान्य नहीं होता है. चूंकि 11 अगस्त की रात्रि 8:25 पर भद्रा काल समाप्त हो रहा है. इसलिए 8:30 से पूरी रात्रि रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाना श्रेयस्कर माना गया है.
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प्रोफेसर सुभाष पांडेय का कहना है कि धर्म और निर्णय सिंधु के मुताबिक, स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि यदि भद्रा रहित और 3 मुहूर्त से अधिक पूर्णिमा के अपराहन प्रदोष काल मिल रहा है, तो ऐसे में रक्षाबंधन करना उपयुक्त होता है. क्योंकि 11 अगस्त की रात्रि यह तीन मुहूर्त से अधिक अलग-अलग काल में मिल रहे हैं. इसलिए 11 अगस्त की रात्रि ही रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा.
12 अगस्त को रक्षाबंधन मनाना उचित नहीं
हालांकि, कुछ लोग 12 अगस्त को सुबह 7:16 तक रक्षाबंधन मनाए जाने और राखी बांधने को लेकर अपने विचार रख रहे हैं. लेकिन नियम और निर्णय सिंधु के मुताबिक, 12 अगस्त की सुबह 3 मुहूर्त कहीं से प्राप्त नहीं हो रहे हैं. इसलिए 11 अगस्त की रात्रि ही रक्षाबंधन के लिए उपयुक्त और बेहतर है.
पंडित सुभाष पांडेय का कहना है कि कुछ लोग अपने स्वार्थ और अज्ञानतावश यह बातें कह रहे हैं कि 12 अगस्त की सुबह या 12 अगस्त की दोपहर 4:00 बजे तक रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा. जोकि बिल्कुल गलत है. रक्षाबंधन का त्योहार पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. प्रतिपदा के दिन रक्षाबंधन मनाया जाना निषिद्ध किया गया है. शास्त्रों में यह स्पष्ट तौर पर उल्लेख है कि जिस दिन पूर्णिमा का मान हो, रक्षाबंधन उसी दिन मनाना चाहिए. तीन अलग-अलग मुहूर्त मिलने पर ही रक्षाबंधन मनाया जाना श्रेयस्कर है और 12 अगस्त को 7:16 के बाद पूर्णिमा खत्म होकर प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी, इसलिए 12 अगस्त को रक्षाबंधन मनाया जाना कहीं से भी उचित नहीं होगा.
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