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ज्ञानवापी मामले में BHU के प्रश्न पत्र पर पूछे गए इन सवालों ने बढ़ाई सरगर्मी

वाराणसी में बीएचयू का प्रश्न पत्र खासा चर्चा का विषय बना हुआ है. इस प्रश्न पत्र में वही सवाल पूछे गए हैं, जो ज्ञानवापी मामले से जुड़े हुए हैं.

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वाराणसी में बीएचयू
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Published : Sep 28, 2022, 7:15 PM IST

वाराणसी: ज्ञानवापी मामले को लेकर अदालत में हिंदू और मुस्लिम पक्ष अपनी-अपनी दलील दे रहे हैं. हिंदू पक्ष जहां इससे मंदिर बता रहा है तो मुस्लिम पक्ष औरंगजेब को बादशाह मान कर मस्जिद के पक्ष में अपनी दलील दे रहा है. लेकिन इस बीच काशी हिंदू विश्वविद्यालय का एक प्रश्न पत्र खासा चर्चा का विषय बना हुआ है. इस प्रश्न पत्र में वही सवाल पूछे गए है, जो ज्ञानवापी मामले को लेकर पूछा जा रहा है, जिस पर ज्ञानवापी केस का अस्तित्व है.

दरअसल, ज्ञानवापी के बीच चर्चा का विषय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) के इतिहास विभाग का यह प्रश्न पत्र बना हुआ है, जिसे स्नातक प्रथम वर्ष के द्वितीय समेस्टर के सेकेंड पेपर मध्यकालीन भारत और उसके इतिहास के विद्यार्थियों के लिए तैयार किया गया है. बड़ी बात यह है कि इस पेपर में ना सिर्फ आलमगीर मस्जिद बल्कि आदि विशेश्वर का भी जिक्र किया गया है.

इन्हीं प्रश्नों पर मची है खलबली
इतिहास के इस पेपर की परीक्षा 24 सितम्बर को आयोजित की गई थी. इस पेपर में जिस आलमगीर मस्जिद और आदि विशेश्वर का जिक्र किया गया है, वो अब तक के इतिहास के पेपर में पहली बार हुआ है. इस प्रश्न पत्र में बकायदा पूछा गया है कि, "औरंगजेब ने काशी के आदि विशेश्वर मंदिर का विध्वंस किया. इस बात का जिक्र किसने, किस पुस्तक में किया गया है?" वहीं दूसरा सवाल आलमगीर मस्जिद को लेकर पूछा गया है. "मासिर - ए - आलमगीरी के प्रकाश में औरंगजेब की धार्मिक नीति एवं मंदिरों को तोड़ने का वर्णन कीजिए".काशी हिंदू विश्वविद्यालय का ये प्रश्न छात्रों के साथ पूरे शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है.

यह भी पढ़ें- बनारस में इस स्पेशल बाइक से बुझायी जाएगी आग, विदेशी टेक्निक होगी इस्तेमाल

इतिहास में पहली बार बना ऐसा पेपर
ईटीवी भारत ने जब इस प्रश्न पत्र के सवालों को लेकर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर राजीव कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि ऐसा पहली बार है कि जब आदि विशेश्वर और आलमगीर मस्जिद को लेकर ऐसे सवाल पूछा गया है. अब तक औरंगजेब के धार्मिक नीतियों को लेकर के सवाल पूछे जाते गए हैं. उन्होंने कहा कि अब तक कांग्रेस और वामपंथियों के द्वारा इतिहास के एक पक्ष को ही प्रस्तुत किया गया है, परंतु इस बार इतिहास के पेपर में दूसरे पक्ष को भी रखा गया है, जो कि अच्छी बात है, विद्यार्थियों को इतिहास के हर पहलू के विषय में जानकारी होनी चाहिए. यह पेपर बेहतर है और सही बनाया गया है.

आदि विशेश्वर शब्द का पहली बार हुआ प्रयोग
वहीं, दूसरे इतिहासकार और बीएचयू इतिहास विभाग (BHU History Department) के पूर्व प्रोफेसर पीवी राणा ने कहा कि इतिहास में विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी का जिक्र मिलता है, लेकिन आदि विशेश्वर शब्द पहली बार इस्तेमाल किया गया है. यह आदि विशेश्वर वही शब्द है, जिसका प्रयोग ज्ञानवापी के मामले की सुनवाई में कोर्ट में किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें- नकली शराब मामले में सपा नेता समेत छह पर गैंगस्टर की कार्रवाई


सवालों ने बढ़ा दी ज्ञानवापी केस की सरगर्मी
बता दें कि, जिस तरह ज्ञानवापी मामले पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई है, हर ओर इसकी चर्चा है. ऐसे में इस वर्ष के पेपर में यह सवाल क्यों पूछे गए है, इसकी वजह तो स्पष्ट नहीं हो पाई है. लेकिन इसने ज्ञानवापी मामले के बीच सरगर्मी बढ़ा दी है, क्योंकि ज्ञानवापी मस्जिद को किसने तोड़ा इस बात का जिक्र किस किताब में है, यह वही सवाल है जिसके ऊपर ज्ञानवापी केस कोर्ट में चल रहा है.

वाराणसी: ज्ञानवापी मामले को लेकर अदालत में हिंदू और मुस्लिम पक्ष अपनी-अपनी दलील दे रहे हैं. हिंदू पक्ष जहां इससे मंदिर बता रहा है तो मुस्लिम पक्ष औरंगजेब को बादशाह मान कर मस्जिद के पक्ष में अपनी दलील दे रहा है. लेकिन इस बीच काशी हिंदू विश्वविद्यालय का एक प्रश्न पत्र खासा चर्चा का विषय बना हुआ है. इस प्रश्न पत्र में वही सवाल पूछे गए है, जो ज्ञानवापी मामले को लेकर पूछा जा रहा है, जिस पर ज्ञानवापी केस का अस्तित्व है.

दरअसल, ज्ञानवापी के बीच चर्चा का विषय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) के इतिहास विभाग का यह प्रश्न पत्र बना हुआ है, जिसे स्नातक प्रथम वर्ष के द्वितीय समेस्टर के सेकेंड पेपर मध्यकालीन भारत और उसके इतिहास के विद्यार्थियों के लिए तैयार किया गया है. बड़ी बात यह है कि इस पेपर में ना सिर्फ आलमगीर मस्जिद बल्कि आदि विशेश्वर का भी जिक्र किया गया है.

इन्हीं प्रश्नों पर मची है खलबली
इतिहास के इस पेपर की परीक्षा 24 सितम्बर को आयोजित की गई थी. इस पेपर में जिस आलमगीर मस्जिद और आदि विशेश्वर का जिक्र किया गया है, वो अब तक के इतिहास के पेपर में पहली बार हुआ है. इस प्रश्न पत्र में बकायदा पूछा गया है कि, "औरंगजेब ने काशी के आदि विशेश्वर मंदिर का विध्वंस किया. इस बात का जिक्र किसने, किस पुस्तक में किया गया है?" वहीं दूसरा सवाल आलमगीर मस्जिद को लेकर पूछा गया है. "मासिर - ए - आलमगीरी के प्रकाश में औरंगजेब की धार्मिक नीति एवं मंदिरों को तोड़ने का वर्णन कीजिए".काशी हिंदू विश्वविद्यालय का ये प्रश्न छात्रों के साथ पूरे शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है.

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इतिहास में पहली बार बना ऐसा पेपर
ईटीवी भारत ने जब इस प्रश्न पत्र के सवालों को लेकर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर राजीव कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि ऐसा पहली बार है कि जब आदि विशेश्वर और आलमगीर मस्जिद को लेकर ऐसे सवाल पूछा गया है. अब तक औरंगजेब के धार्मिक नीतियों को लेकर के सवाल पूछे जाते गए हैं. उन्होंने कहा कि अब तक कांग्रेस और वामपंथियों के द्वारा इतिहास के एक पक्ष को ही प्रस्तुत किया गया है, परंतु इस बार इतिहास के पेपर में दूसरे पक्ष को भी रखा गया है, जो कि अच्छी बात है, विद्यार्थियों को इतिहास के हर पहलू के विषय में जानकारी होनी चाहिए. यह पेपर बेहतर है और सही बनाया गया है.

आदि विशेश्वर शब्द का पहली बार हुआ प्रयोग
वहीं, दूसरे इतिहासकार और बीएचयू इतिहास विभाग (BHU History Department) के पूर्व प्रोफेसर पीवी राणा ने कहा कि इतिहास में विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी का जिक्र मिलता है, लेकिन आदि विशेश्वर शब्द पहली बार इस्तेमाल किया गया है. यह आदि विशेश्वर वही शब्द है, जिसका प्रयोग ज्ञानवापी के मामले की सुनवाई में कोर्ट में किया जा रहा है.

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सवालों ने बढ़ा दी ज्ञानवापी केस की सरगर्मी
बता दें कि, जिस तरह ज्ञानवापी मामले पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई है, हर ओर इसकी चर्चा है. ऐसे में इस वर्ष के पेपर में यह सवाल क्यों पूछे गए है, इसकी वजह तो स्पष्ट नहीं हो पाई है. लेकिन इसने ज्ञानवापी मामले के बीच सरगर्मी बढ़ा दी है, क्योंकि ज्ञानवापी मस्जिद को किसने तोड़ा इस बात का जिक्र किस किताब में है, यह वही सवाल है जिसके ऊपर ज्ञानवापी केस कोर्ट में चल रहा है.

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