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भारत में आयुर्वेद को अभी और प्रोत्साहन देने की जरूरत है: प्रो. देवाशीष बागची - ग्लूकोमा

उत्तर प्रदेश के वाराणसी मे काशी हिंदू विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ न्यूरोलॉजी के तत्वाधान में इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के ऑडिटोरियम में अमेरिका के प्रख्यात वैज्ञानिक प्रोफेसर देवाशीष बागची ने कहा कि भारत आयुर्वेद का जनक है. भारत से चलकर आयुर्वेद पूरे विश्व में फैला है.

आयुर्वेद है प्रकृति का वरदान.
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Published : Sep 4, 2019, 10:33 AM IST

वाराणसी: वर्तमान समय में व्यक्ति विभिन्न गंभीर बीमारियों से ग्रसित है. ऐसे में हम बात करें तो भारत से चलकर आयुर्वेद विश्व पटल पर खुद को साबित करने के लिए संघर्ष कर रहा है. इसके लिए देश ही नहीं विदेश में भी इसके डेवलपमेंट के लिए विभिन्न रिसर्च कार्यक्रम चल रहे हैं. यह बातें मंगलवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ न्यूरोलॉजी के तत्वाधान में इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के ऑडिटोरियम में अमेरिका के प्रख्यात वैज्ञानिक प्रोफेसर देवाशीष बागची ने न्यूट्रीशन और जीर्ण रोग पर अपने व्याख्यान के दौरान कही.

आयुर्वेद है प्रकृति का वरदान.

इसे भी पढ़े:- BHU में मुंशी प्रेमचंद की अंतिम कहानी 'कफन' का मंचन, भावुक हुए दर्शक

शंखपुष्पी है वरदान

  • प्रो. बागची ने बताया कि (huprezia) जो कि एक हर्बल पौधा है.
  • इसके प्रयोग से ग्लूकोमा, पार्किंसन, डिमेंशिया से बचाव किया जा सकता है.
  • प्रो. बागची ने कहा कि शंखपुष्पी बुद्धि के लिए वरदान है.
  • यह स्मरण शक्ति तेज करती है और दिमाग को शांत करती है.
  • इसके प्रयोग से तनाव को कम किया जा सकता है.
  • ज्योतिषमति जो हिमालय, उड़ीसा, अंडमान निकोबार में पाया जाता है.
  • यह गुर्दे के लिए वरदान है और भूलने की बीमारियों में भी इसका प्रयोग मरीज के लिए लाभकारी है.
  • इन सब के मिश्रण से एक हर्बल सप्लीमेंट तैयार हो गया है, जो कि जल्द मरीजों को उपलब्ध होगा. इसका प्रयोग रोगों से निजात दिलाएगा.
  • मेथी के पत्ते और बीज का प्रयोग शरीर के लिए लाभकारी है.
  • इसके प्रयोग से पेट के रोग, डायबीटिज आदि रोगों से निजात मिल सकती है.

हमारा आयुर्वेद आज से 5,000 वर्ष पुराना है. हमारे ऋषि -मुनि जिस जड़ी बूटी का प्रयोग करते थे, हम उसका 5% भी प्रयोग नहीं कर रहे हैं. पूरे विश्व में हमारे आयुर्वेद औषधि पर रिसर्च चल रहा है कि यह कितना और कारगर हो सकता है. इसी के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए थे. इसके बहुत से बेनिफिट हो सकते हैं. भारत में आयुर्वेद और प्रोत्साहित करने की जरूरत है.
-प्रोफेसर देवाशीष बागची निर्देशक, विक्टोरिया न्यूट्रिशन इंटरनेशनल

वाराणसी: वर्तमान समय में व्यक्ति विभिन्न गंभीर बीमारियों से ग्रसित है. ऐसे में हम बात करें तो भारत से चलकर आयुर्वेद विश्व पटल पर खुद को साबित करने के लिए संघर्ष कर रहा है. इसके लिए देश ही नहीं विदेश में भी इसके डेवलपमेंट के लिए विभिन्न रिसर्च कार्यक्रम चल रहे हैं. यह बातें मंगलवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ न्यूरोलॉजी के तत्वाधान में इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के ऑडिटोरियम में अमेरिका के प्रख्यात वैज्ञानिक प्रोफेसर देवाशीष बागची ने न्यूट्रीशन और जीर्ण रोग पर अपने व्याख्यान के दौरान कही.

आयुर्वेद है प्रकृति का वरदान.

इसे भी पढ़े:- BHU में मुंशी प्रेमचंद की अंतिम कहानी 'कफन' का मंचन, भावुक हुए दर्शक

शंखपुष्पी है वरदान

  • प्रो. बागची ने बताया कि (huprezia) जो कि एक हर्बल पौधा है.
  • इसके प्रयोग से ग्लूकोमा, पार्किंसन, डिमेंशिया से बचाव किया जा सकता है.
  • प्रो. बागची ने कहा कि शंखपुष्पी बुद्धि के लिए वरदान है.
  • यह स्मरण शक्ति तेज करती है और दिमाग को शांत करती है.
  • इसके प्रयोग से तनाव को कम किया जा सकता है.
  • ज्योतिषमति जो हिमालय, उड़ीसा, अंडमान निकोबार में पाया जाता है.
  • यह गुर्दे के लिए वरदान है और भूलने की बीमारियों में भी इसका प्रयोग मरीज के लिए लाभकारी है.
  • इन सब के मिश्रण से एक हर्बल सप्लीमेंट तैयार हो गया है, जो कि जल्द मरीजों को उपलब्ध होगा. इसका प्रयोग रोगों से निजात दिलाएगा.
  • मेथी के पत्ते और बीज का प्रयोग शरीर के लिए लाभकारी है.
  • इसके प्रयोग से पेट के रोग, डायबीटिज आदि रोगों से निजात मिल सकती है.

हमारा आयुर्वेद आज से 5,000 वर्ष पुराना है. हमारे ऋषि -मुनि जिस जड़ी बूटी का प्रयोग करते थे, हम उसका 5% भी प्रयोग नहीं कर रहे हैं. पूरे विश्व में हमारे आयुर्वेद औषधि पर रिसर्च चल रहा है कि यह कितना और कारगर हो सकता है. इसी के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए थे. इसके बहुत से बेनिफिट हो सकते हैं. भारत में आयुर्वेद और प्रोत्साहित करने की जरूरत है.
-प्रोफेसर देवाशीष बागची निर्देशक, विक्टोरिया न्यूट्रिशन इंटरनेशनल

Intro:वाराणसी वर्तमान समय में व्यक्ति को विभिन्न गंभीर बीमारियों से ग्रसित है ऐसे में हम बात करें तो भारत से चलकर आयुर्वेद विश्व पटल पर खुद को साबित करने के लिए संघर्ष कर रहा है इसके लिए देश ही नहीं विदेश में भी इसके डेवलपमेंट के लिए विभिन्न रिसर्च कार्यक्रम चल रहे हैं ऐसे में आज काशी हिंदू यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ न्यूरोलॉजी तत्वाधान में इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज के ऑडिटोरियम में अमेरिका के प्रख्यात वैज्ञानिक प्रोफेसर देवाशीष बागची, निर्देशक, विक्टोरिया न्यूट्रिशन इंटरनेशनल, ने न्यूट्रीशन और जीर्ण रोग, पर अपना व्याख्यान दिया,

Body:उन्होंने अपने व्याख्यान में बताया कि huprezia जो कि एक हर्बल पौधा है, उसके प्रयोग से ग्लूकोमा, पार्किंसन , डिमेंशिया से बचाव किया जा सकता है, इसी प्रकार शंखपुष्पी, बुद्धि के लिए वरदान है ,या स्मरण शक्ति तेज करती है तथा दिमाग शांत करती है ,तनाव को भी कम करती है ,नींद ना आने की समस्याओं में शंखपुष्पी रामबाण है, तथा बुद्धि और स्मृति को बढ़ाती है ,ज्योतिषमति जोकि हिमालय, उड़ीसा, अंडमान निकोबार में पाया जाता है, या गुर्दे के लिए वरदान है , और भूलने की बीमारियों में भी इसका बहुत बड़ा उपयोग है , इन सब के मिश्रण से हर्बल सप्लीमेंट तैयार हो गया है जो कि जल्द मरीजों को उपलब्ध होगा तथा विभिन्न प्रकार के रोगों से निजात दिलाएगा, मेथी के पत्ते और बीज का बहुत ज्यादा उपयोग ब्लड शुगर , मोटापे को कम करने में तथा चर्म रोग और महामारी में काम आता है गर्भाशय में सिस्ट बनने पर भी मेथी से बने हर्बल आयुर्वेदिक सप्लीमेंट कारगर साबित हो रहे हैं।

व्यख्यान में मेडिकल सहित विभिन्न क्षेत्रों के प्रोफेसर छात्र-छात्राएं मौजूद रहे और उन्होंने अपने आयुर्वेद को जाना चाहिए कितना पुराना है देश ही नहीं बल्कि विदेशी वैज्ञानिक भी रिसर्च कर रहे हैं और आज भी इस औषधि को सर्वोच्च माना जा रहा है।

आशुतोष उपाध्याय, वाराणासी
9005099684Conclusion:अमेरिका के प्रख्यात वैज्ञानिक प्रोफेसर देवाशीष बागची ने बताया हमारा आयुर्वेद आज से 5000 वर्ष पुराना है हमारे ऋषि मुनि जिस जड़ी बूटी का प्रयोग करते थे हम उसका 5% भी प्रयोग नहीं कर रहे हैं पूरे विश्व में हमारे आयुर्वेद औषधि पर रिसर्च चल रहा है कि यह कितना और कारगर हो सकता है इसी के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। इसके बहुत से बेनिफिट हो सकते हैं आज के देश में लोग बहुत से लोगों से परेशान हैं जैसे क्लीनिक दर्द इन सबके लिए आयुर्वेद सबसे लाभकारी है क्योंकि इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है भारत में आयुर्वेद और प्रोत्साहित करने की जरूरत है।

बाईट :-- प्रोफेसर देवाशीष बागची ,निर्देशक, विक्टोरिया न्यूट्रिशन इंटरनेशनल
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