वाराणसी: वर्तमान समय में व्यक्ति विभिन्न गंभीर बीमारियों से ग्रसित है. ऐसे में हम बात करें तो भारत से चलकर आयुर्वेद विश्व पटल पर खुद को साबित करने के लिए संघर्ष कर रहा है. इसके लिए देश ही नहीं विदेश में भी इसके डेवलपमेंट के लिए विभिन्न रिसर्च कार्यक्रम चल रहे हैं. यह बातें मंगलवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ न्यूरोलॉजी के तत्वाधान में इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के ऑडिटोरियम में अमेरिका के प्रख्यात वैज्ञानिक प्रोफेसर देवाशीष बागची ने न्यूट्रीशन और जीर्ण रोग पर अपने व्याख्यान के दौरान कही.
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शंखपुष्पी है वरदान
- प्रो. बागची ने बताया कि (huprezia) जो कि एक हर्बल पौधा है.
- इसके प्रयोग से ग्लूकोमा, पार्किंसन, डिमेंशिया से बचाव किया जा सकता है.
- प्रो. बागची ने कहा कि शंखपुष्पी बुद्धि के लिए वरदान है.
- यह स्मरण शक्ति तेज करती है और दिमाग को शांत करती है.
- इसके प्रयोग से तनाव को कम किया जा सकता है.
- ज्योतिषमति जो हिमालय, उड़ीसा, अंडमान निकोबार में पाया जाता है.
- यह गुर्दे के लिए वरदान है और भूलने की बीमारियों में भी इसका प्रयोग मरीज के लिए लाभकारी है.
- इन सब के मिश्रण से एक हर्बल सप्लीमेंट तैयार हो गया है, जो कि जल्द मरीजों को उपलब्ध होगा. इसका प्रयोग रोगों से निजात दिलाएगा.
- मेथी के पत्ते और बीज का प्रयोग शरीर के लिए लाभकारी है.
- इसके प्रयोग से पेट के रोग, डायबीटिज आदि रोगों से निजात मिल सकती है.
हमारा आयुर्वेद आज से 5,000 वर्ष पुराना है. हमारे ऋषि -मुनि जिस जड़ी बूटी का प्रयोग करते थे, हम उसका 5% भी प्रयोग नहीं कर रहे हैं. पूरे विश्व में हमारे आयुर्वेद औषधि पर रिसर्च चल रहा है कि यह कितना और कारगर हो सकता है. इसी के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए थे. इसके बहुत से बेनिफिट हो सकते हैं. भारत में आयुर्वेद और प्रोत्साहित करने की जरूरत है.
-प्रोफेसर देवाशीष बागची निर्देशक, विक्टोरिया न्यूट्रिशन इंटरनेशनल