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UP Election 2022: मोदी के किले से प्रियंका ने की पूर्वांचल में सेंधमारी की तैयारी

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Published : Oct 9, 2021, 5:39 PM IST

Updated : Oct 9, 2021, 8:05 PM IST

कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी 10 अक्टूबर को बनारस से चुनावी अभियान का शंखनाद करने जा रही हैं. राजनीतिक विशलेषकों के अनुसार यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) में प्रियंका बनारस की आठों सीटों के साथ पूर्वांचल की 164 विधानसभा सीटों पर जातिगत समीकरणों को साधने के लिए वाराणसी को चुना है.

वाराणसी में प्रियंका गांधी किसान न्याय रैली को करेंगी संबोधित.
वाराणसी में प्रियंका गांधी किसान न्याय रैली को करेंगी संबोधित.

वाराणसी/लखनऊः धर्मनगरी काशी वह महत्वपूर्ण राजनीतिक मैदान है, जहां बड़े-बड़े सूरमा चुनाव आते ही अपनी किस्मत आजमाने के लिए पहुंचने लगते हैं. 2014 के लोकसभा चुनावों से वाराणसी की लोकसभा सीट ने तो अंतरराष्ट्रीय मुकाम हासिल कर लिया, क्योंकि देश में सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाले नेता नरेंद्र मोदी ने बनारस की सीट को चुनाव लड़ने के लिए चुना था. 2014 में बनारस से जीतने के बाद जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो बनारस का महत्व और भी बढ़ गया. इसके बाद से बनारस हर नेता की जोर आजमाइश का सबसे बड़ा सेंटर बन चुका है.

वाराणसी में प्रियंका गांधी किसान न्याय रैली को करेंगी संबोधित.

अब जब यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) नजदीक हैं तो एक बार फिर से बनारस चुनावी रणभूमि बनने जा रहा है और इसकी शुरुआत प्रियंका गांधी 10 अक्टूबर को रोहनिया विधानसभा क्षेत्र के जगतपुर कॉलेज से करने जा रही हैं. किसान न्याय रैली से प्रियंका बनारस की आठों सीटों के साथ पूर्वांचल की 164 विधानसभा सीटों पर जातिगत समीकरणों को साधने में जुट गई है. पूर्वांचल के इस बड़े सेंटर से प्रियंका का यह प्लान कितना कामयाब होता है यह तो देखने वाली बात होगी. रैली के पहले प्रियंका अपनी धार्मिक सियासी यात्रा भी करेंगी, जिसके तहत सबसे पहले वह बाबा विश्वनाथ के दरबार में शीश नवाएंगी और उसके बाद मां कुष्मांडा के दर्शन कर आदिशक्ति का आशीर्वाद लेंगी. आशीर्वाद लेने के बाद प्रियंका जगतपुर मैदान में जनशक्ति का प्रदर्शन करेंगी.

इस मंच से प्रियंका गांधी करेंगी जनता को संबोधित.
इस मंच से प्रियंका गांधी करेंगी जनता को संबोधित.

बनारस से सधता है पूर्वांचल
पूर्वांचल कहने को तो अलग राज्य की मांग के साथ आगे बढ़ रहा है, लेकिन यहां पर होने वाले जातिगत समीकरण हर पार्टी के लिए अपना अलग महत्व रखते हैं. पूरे पूर्वांचल का गढ़ माना जाता है बनारस. बनारस की 8 विधानसभा सीटों पर अलग-अलग जातिगत समीकरणों के साथ पूर्वांचल को साधना हर नेता की ख्वाहिश होती है. यही वजह है कि 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद 2017 के विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस से ही पूरे पूर्वांचल की राजनीति को साधने की कोशिश की थी.

रैली की तैयारियों का जायजा लेते कांग्रेसी.
रैली की तैयारियों का जायजा लेते कांग्रेसी.

2017 के विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक-दो दिन नहीं बल्कि 3 दिनों तक बनारस में रुक कर शहर के अलग-अलग विधानसभा सीटों के समीकरणों पर अपनी रणनीति बनाकर काम किया था. जिसका नतीजा यह हुआ था कि 2017 के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी और उनके सहयोगी दलों ने 8 विधानसभा सीटों पर कब्जा कर लिया था. वहीं, पूर्वांचल की 164 सीटों में से अधिकांश बीजेपी के खाते में आईं थी. पूर्वांचल से महज 2 सीट ही कांग्रेस को मिल पाई थी. शायद यही वजह है कि अपनी सियासी जमीन खो चुकी कांग्रेस अब पूर्वांचल में अपने आपको मजबूत कर के उत्तर प्रदेश में वापसी की कोशिशों में जुट गई है. इसकी शुरुआत प्रियंका गांधी बनारस से करने जा रही हैं.


कांग्रेस के लिए लकी है जगतपुर कॉलेज का मैदान
पूर्वांचल को साधने के लिए कांग्रेस अपने पुराने ढर्रे पर लौटने के साथ ही अपने लकी मैदान को हथियार बना रही है. यदि बात की जाए जगतपुर कॉलेज की तो 2002 में सोनिया गांधी ने इसी मैदान से जनसंवाद का कार्यक्रम पूरा किया था और 2004 में कांग्रेस को अच्छी खासी बढ़त मिलने के बाद बनारस की लोकसभा सीट से कांग्रेस के ही प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी. यूपी में भी कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा था. इसके पहले भी कई बार कांग्रेस ने जगतपुर के मैदान को ही चुना और राहुल गांधी की जनसभा भी यहां हो चुकी है. कुल मिलाकर बनारस का मैदान कांग्रेस के लिए बेहतर रहा है और प्रियंका का चुनावी बिगुल इसी मैदान से फूंका जा रहा है.

28 जिलों का अपना महत्व
बता दें कि पूर्वांचल में 28 जिले आते हैं. इनमें वाराणसी, जौनपुर, भदोही, मिर्जापुर, सोनभद्र, प्रयागराज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, संतकबीरनगर, बस्ती, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, बलिया, सिद्धार्थनगर, चंदौली समेत कई अन्य जिले शामिल हैं. इन जिलों में कुल 164 विधानसभा सीट शामिल हैं.

जिसका पूर्वांचल, उसका यूपी
दरअसल पूर्वांचल का महत्व यूपी की राजनीति में इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जिसने पूर्वांचल को साथ लिया उसने उत्तर प्रदेश की गद्दी पर कब्जा कर लिया, क्योंकि 33% से ज्यादा विधानसभा सीटें उत्तर प्रदेश के अकेले पूर्वांचल से आती हैं और बीजेपी ने 2017 के चुनाव में पूर्वांचल की 164 में से 115 सीट पर कब्जा जमाया था, जबकि सपा ने 17, बसपा ने 14, कांग्रेस को 2 और अन्य को 16 सीटें मिली थी. ऐसे ही 2012 के चुनाव में सपा ने 102 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी को 17, बसपा को 22, कांग्रेस को 15 और अन्य को 8 सीटें मिली थीं.

पूर्वांचल का जातिगत आंकड़ा.
पूर्वांचल का जातिगत आंकड़ा.



बड़े के साथ छोटे दलों का जातीय समीकरण
पूर्वांचल की 164 विधानसभा सीटों पर एक तरफ जहां बड़ी पार्टियों की नजर है. वही छोटी पार्टियां यहां निर्णायक भूमिका में दिखाई दे रही हैं. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी निषाद पार्टी अपना दल समेत कई छोटे दल पूर्वांचल की राजनीति में बड़ा फेरबदल करने की तैयारी किए बैठे हैं. ऐसे में कांग्रेस के लिए अपनी जमीन को मजबूत कर पाना निश्चित तौर पर थोड़ा मुश्किल हो सकता है. हालांकि पूर्वांचल की इस राजनीति में प्रियंका कितना सफल होंगी यह रैली होने के बाद ही पता चल पाएगा.

वहीं, 2022 में बीजेपी पूर्वांचल में पूरी ताकत झोंकना चाहती है, इसलिए केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में इस बार पूर्वी यूपी से 2 चेहरों अनुप्रिया पटेल और पंकज चौधरी को जगह दी गई. जबकि पूर्वी यूपी से महेंद्रनाथ पाण्डेय, राजनाथ सिंह केंद्र सरकार में पहले से मंत्री हैं. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी पूर्वांचल के गोरखपुर से आते हैं और पीएम मोदी भी पूर्वांचल के वाराणसी से सांसद हैं. उत्तर प्रदेश में सरकार बनने के बाद योगी मंत्रिमंडल में पूर्वांचल से कई विधायकों को मंत्री बनाया गया. जिसमें बनारस की दक्षिणी विधानसभा के विधायक नीलकंठ तिवारी, उत्तरी विधानसभा से विधायक रविंद्र जायसवाल, शिवपुर विधानसभा से विधायक अनिल राजभर समेत कई अन्य पूर्वांचल के नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह दी गई.

कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता पंकज तिवारी.

प्रियंका की जनसभा में दांव पर होगी कई कांग्रेसी नेताओं की साख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है बनारस और इसीलिए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए प्रियंका गांधी ने इस क्षेत्र को चुना है. कांग्रेस पार्टी का मानना है कि पीएम के क्षेत्र से पूरी ताकत के साथ कांग्रेस पार्टी चुनावी आगाज करेगी और इसका संदेश पूरे प्रदेश में जाएगा. कांग्रेस के बड़े नेताओं को जनसभा को सफल बनाने के लिए पहले से ही बनारस भेज दिया गया है, क्योंकि प्रियंका की यह पहली बड़ी जनसभा होगी. लिहाजा, यहां पर भीड़ भी दिखे इसके लिए नेता पसीना बहाने में जुट गए हैं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, वरिष्ठ नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी के अलावा सीनियर लीडर राजेश मिश्रा, अजय राय और प्रदेश उपाध्यक्ष विश्वविजय सिंह की जिम्मेदारी है. इन सभी नेताओं की साख दांव पर लगी हुई है.

इसे भी पढ़ें-काशी में शक्ति प्रदर्शन से पहले प्रियंका करेंगी शक्ति पूजन

कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता पंकज तिवारी का कहना है प्रियंका गांधी की सक्रियता ने कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया है. बनारस की रैली ऐतिहासिक रैली होगी. इसमें प्रदेश भर से कार्यकर्ताओं की ऐतिहासिक भीड़ जुटेगी. किसी भी नेता की साख दांव पर नहीं लगी है और न ही किसी की साख दांव पर लगने वाली कोई बात नहीं है. इस रैली में प्रदेश भर से कार्यकर्ता बड़ी संख्या में पहुंचेंगे. भूतो ना भविष्यति वाली यह रैली होगी, बड़ी संख्या में यहां पर भीड़ जुटेगी.

कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी से खास बातचीत.

प्रियंका के दौरे से पहले कांग्रेसी नेताओं ने वाराणसी में डाला डेरा

10 अक्टूबर को प्रियंका गांधी वाराणसी आ रही हैं. जिसको लेकर कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेताओं ने वाराणसी में डेरा डाल दिया है. कांग्रेस की किसान न्याय रैली में शामिल होने के लिए शनिवार को ही पूर्व राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी, यूपीसीसी मीडिया प्रभारी नसीमुद्दीन सिद्दीकी, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अल्पसंख्यक मोर्चा इमरान प्रतापगढ़ी, पूर्व सांसद राजेश मिश्रा, राष्ट्रीय सचिव कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव एवं सह प्रभारी उत्तर प्रदेश राजेश तिवारी तथा राष्ट्रीय सचिव बाजीराव खाडे, प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव गांधी पंचायती राज संगठन उत्तर प्रदेश पूर्वी जोन नरसिंह नारायण त्रिपाठी प्रदेश उपाध्यक्ष विश्व विजय सिंह वाराणसी पहुंच गए है. सभी नेताओं ने प्रियंका गांधी के कार्यक्रमों का जायजा लिया. इस दौरान प्रमोद तिवारी ने कहा कि लखीमपुर की घटना में सरकार ने बेहद शर्मनाक हरकत की है और 2022 के चुनाव में जनता इसका जवाब उन्हें देगी. उन्होंने बताया कि कल प्रियंका गांधी गरीबों मजदूरों के हक की आवाज बनेंगी. उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी मार्गदर्शन में कार्यकर्ता जी जान से लगे हुए हैं और 2022 के चुनाव में उसका परिणाम भी बेहतर देखने को मिलेगा. ब्राह्मण मुख्यमंत्री चेहरे के सवाल पर प्रमोद तिवारी ने कहा कि चुनाव परिणाम के बाद सभी नेताओं की सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री के चेहरे का चयन किया जाता है और इस बार भी होगा.

वाराणसी/लखनऊः धर्मनगरी काशी वह महत्वपूर्ण राजनीतिक मैदान है, जहां बड़े-बड़े सूरमा चुनाव आते ही अपनी किस्मत आजमाने के लिए पहुंचने लगते हैं. 2014 के लोकसभा चुनावों से वाराणसी की लोकसभा सीट ने तो अंतरराष्ट्रीय मुकाम हासिल कर लिया, क्योंकि देश में सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाले नेता नरेंद्र मोदी ने बनारस की सीट को चुनाव लड़ने के लिए चुना था. 2014 में बनारस से जीतने के बाद जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो बनारस का महत्व और भी बढ़ गया. इसके बाद से बनारस हर नेता की जोर आजमाइश का सबसे बड़ा सेंटर बन चुका है.

वाराणसी में प्रियंका गांधी किसान न्याय रैली को करेंगी संबोधित.

अब जब यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) नजदीक हैं तो एक बार फिर से बनारस चुनावी रणभूमि बनने जा रहा है और इसकी शुरुआत प्रियंका गांधी 10 अक्टूबर को रोहनिया विधानसभा क्षेत्र के जगतपुर कॉलेज से करने जा रही हैं. किसान न्याय रैली से प्रियंका बनारस की आठों सीटों के साथ पूर्वांचल की 164 विधानसभा सीटों पर जातिगत समीकरणों को साधने में जुट गई है. पूर्वांचल के इस बड़े सेंटर से प्रियंका का यह प्लान कितना कामयाब होता है यह तो देखने वाली बात होगी. रैली के पहले प्रियंका अपनी धार्मिक सियासी यात्रा भी करेंगी, जिसके तहत सबसे पहले वह बाबा विश्वनाथ के दरबार में शीश नवाएंगी और उसके बाद मां कुष्मांडा के दर्शन कर आदिशक्ति का आशीर्वाद लेंगी. आशीर्वाद लेने के बाद प्रियंका जगतपुर मैदान में जनशक्ति का प्रदर्शन करेंगी.

इस मंच से प्रियंका गांधी करेंगी जनता को संबोधित.
इस मंच से प्रियंका गांधी करेंगी जनता को संबोधित.

बनारस से सधता है पूर्वांचल
पूर्वांचल कहने को तो अलग राज्य की मांग के साथ आगे बढ़ रहा है, लेकिन यहां पर होने वाले जातिगत समीकरण हर पार्टी के लिए अपना अलग महत्व रखते हैं. पूरे पूर्वांचल का गढ़ माना जाता है बनारस. बनारस की 8 विधानसभा सीटों पर अलग-अलग जातिगत समीकरणों के साथ पूर्वांचल को साधना हर नेता की ख्वाहिश होती है. यही वजह है कि 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद 2017 के विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस से ही पूरे पूर्वांचल की राजनीति को साधने की कोशिश की थी.

रैली की तैयारियों का जायजा लेते कांग्रेसी.
रैली की तैयारियों का जायजा लेते कांग्रेसी.

2017 के विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक-दो दिन नहीं बल्कि 3 दिनों तक बनारस में रुक कर शहर के अलग-अलग विधानसभा सीटों के समीकरणों पर अपनी रणनीति बनाकर काम किया था. जिसका नतीजा यह हुआ था कि 2017 के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी और उनके सहयोगी दलों ने 8 विधानसभा सीटों पर कब्जा कर लिया था. वहीं, पूर्वांचल की 164 सीटों में से अधिकांश बीजेपी के खाते में आईं थी. पूर्वांचल से महज 2 सीट ही कांग्रेस को मिल पाई थी. शायद यही वजह है कि अपनी सियासी जमीन खो चुकी कांग्रेस अब पूर्वांचल में अपने आपको मजबूत कर के उत्तर प्रदेश में वापसी की कोशिशों में जुट गई है. इसकी शुरुआत प्रियंका गांधी बनारस से करने जा रही हैं.


कांग्रेस के लिए लकी है जगतपुर कॉलेज का मैदान
पूर्वांचल को साधने के लिए कांग्रेस अपने पुराने ढर्रे पर लौटने के साथ ही अपने लकी मैदान को हथियार बना रही है. यदि बात की जाए जगतपुर कॉलेज की तो 2002 में सोनिया गांधी ने इसी मैदान से जनसंवाद का कार्यक्रम पूरा किया था और 2004 में कांग्रेस को अच्छी खासी बढ़त मिलने के बाद बनारस की लोकसभा सीट से कांग्रेस के ही प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी. यूपी में भी कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा था. इसके पहले भी कई बार कांग्रेस ने जगतपुर के मैदान को ही चुना और राहुल गांधी की जनसभा भी यहां हो चुकी है. कुल मिलाकर बनारस का मैदान कांग्रेस के लिए बेहतर रहा है और प्रियंका का चुनावी बिगुल इसी मैदान से फूंका जा रहा है.

28 जिलों का अपना महत्व
बता दें कि पूर्वांचल में 28 जिले आते हैं. इनमें वाराणसी, जौनपुर, भदोही, मिर्जापुर, सोनभद्र, प्रयागराज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, संतकबीरनगर, बस्ती, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, बलिया, सिद्धार्थनगर, चंदौली समेत कई अन्य जिले शामिल हैं. इन जिलों में कुल 164 विधानसभा सीट शामिल हैं.

जिसका पूर्वांचल, उसका यूपी
दरअसल पूर्वांचल का महत्व यूपी की राजनीति में इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जिसने पूर्वांचल को साथ लिया उसने उत्तर प्रदेश की गद्दी पर कब्जा कर लिया, क्योंकि 33% से ज्यादा विधानसभा सीटें उत्तर प्रदेश के अकेले पूर्वांचल से आती हैं और बीजेपी ने 2017 के चुनाव में पूर्वांचल की 164 में से 115 सीट पर कब्जा जमाया था, जबकि सपा ने 17, बसपा ने 14, कांग्रेस को 2 और अन्य को 16 सीटें मिली थी. ऐसे ही 2012 के चुनाव में सपा ने 102 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी को 17, बसपा को 22, कांग्रेस को 15 और अन्य को 8 सीटें मिली थीं.

पूर्वांचल का जातिगत आंकड़ा.
पूर्वांचल का जातिगत आंकड़ा.



बड़े के साथ छोटे दलों का जातीय समीकरण
पूर्वांचल की 164 विधानसभा सीटों पर एक तरफ जहां बड़ी पार्टियों की नजर है. वही छोटी पार्टियां यहां निर्णायक भूमिका में दिखाई दे रही हैं. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी निषाद पार्टी अपना दल समेत कई छोटे दल पूर्वांचल की राजनीति में बड़ा फेरबदल करने की तैयारी किए बैठे हैं. ऐसे में कांग्रेस के लिए अपनी जमीन को मजबूत कर पाना निश्चित तौर पर थोड़ा मुश्किल हो सकता है. हालांकि पूर्वांचल की इस राजनीति में प्रियंका कितना सफल होंगी यह रैली होने के बाद ही पता चल पाएगा.

वहीं, 2022 में बीजेपी पूर्वांचल में पूरी ताकत झोंकना चाहती है, इसलिए केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में इस बार पूर्वी यूपी से 2 चेहरों अनुप्रिया पटेल और पंकज चौधरी को जगह दी गई. जबकि पूर्वी यूपी से महेंद्रनाथ पाण्डेय, राजनाथ सिंह केंद्र सरकार में पहले से मंत्री हैं. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी पूर्वांचल के गोरखपुर से आते हैं और पीएम मोदी भी पूर्वांचल के वाराणसी से सांसद हैं. उत्तर प्रदेश में सरकार बनने के बाद योगी मंत्रिमंडल में पूर्वांचल से कई विधायकों को मंत्री बनाया गया. जिसमें बनारस की दक्षिणी विधानसभा के विधायक नीलकंठ तिवारी, उत्तरी विधानसभा से विधायक रविंद्र जायसवाल, शिवपुर विधानसभा से विधायक अनिल राजभर समेत कई अन्य पूर्वांचल के नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह दी गई.

कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता पंकज तिवारी.

प्रियंका की जनसभा में दांव पर होगी कई कांग्रेसी नेताओं की साख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है बनारस और इसीलिए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए प्रियंका गांधी ने इस क्षेत्र को चुना है. कांग्रेस पार्टी का मानना है कि पीएम के क्षेत्र से पूरी ताकत के साथ कांग्रेस पार्टी चुनावी आगाज करेगी और इसका संदेश पूरे प्रदेश में जाएगा. कांग्रेस के बड़े नेताओं को जनसभा को सफल बनाने के लिए पहले से ही बनारस भेज दिया गया है, क्योंकि प्रियंका की यह पहली बड़ी जनसभा होगी. लिहाजा, यहां पर भीड़ भी दिखे इसके लिए नेता पसीना बहाने में जुट गए हैं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, वरिष्ठ नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी के अलावा सीनियर लीडर राजेश मिश्रा, अजय राय और प्रदेश उपाध्यक्ष विश्वविजय सिंह की जिम्मेदारी है. इन सभी नेताओं की साख दांव पर लगी हुई है.

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कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता पंकज तिवारी का कहना है प्रियंका गांधी की सक्रियता ने कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया है. बनारस की रैली ऐतिहासिक रैली होगी. इसमें प्रदेश भर से कार्यकर्ताओं की ऐतिहासिक भीड़ जुटेगी. किसी भी नेता की साख दांव पर नहीं लगी है और न ही किसी की साख दांव पर लगने वाली कोई बात नहीं है. इस रैली में प्रदेश भर से कार्यकर्ता बड़ी संख्या में पहुंचेंगे. भूतो ना भविष्यति वाली यह रैली होगी, बड़ी संख्या में यहां पर भीड़ जुटेगी.

कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी से खास बातचीत.

प्रियंका के दौरे से पहले कांग्रेसी नेताओं ने वाराणसी में डाला डेरा

10 अक्टूबर को प्रियंका गांधी वाराणसी आ रही हैं. जिसको लेकर कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेताओं ने वाराणसी में डेरा डाल दिया है. कांग्रेस की किसान न्याय रैली में शामिल होने के लिए शनिवार को ही पूर्व राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी, यूपीसीसी मीडिया प्रभारी नसीमुद्दीन सिद्दीकी, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अल्पसंख्यक मोर्चा इमरान प्रतापगढ़ी, पूर्व सांसद राजेश मिश्रा, राष्ट्रीय सचिव कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव एवं सह प्रभारी उत्तर प्रदेश राजेश तिवारी तथा राष्ट्रीय सचिव बाजीराव खाडे, प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव गांधी पंचायती राज संगठन उत्तर प्रदेश पूर्वी जोन नरसिंह नारायण त्रिपाठी प्रदेश उपाध्यक्ष विश्व विजय सिंह वाराणसी पहुंच गए है. सभी नेताओं ने प्रियंका गांधी के कार्यक्रमों का जायजा लिया. इस दौरान प्रमोद तिवारी ने कहा कि लखीमपुर की घटना में सरकार ने बेहद शर्मनाक हरकत की है और 2022 के चुनाव में जनता इसका जवाब उन्हें देगी. उन्होंने बताया कि कल प्रियंका गांधी गरीबों मजदूरों के हक की आवाज बनेंगी. उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी मार्गदर्शन में कार्यकर्ता जी जान से लगे हुए हैं और 2022 के चुनाव में उसका परिणाम भी बेहतर देखने को मिलेगा. ब्राह्मण मुख्यमंत्री चेहरे के सवाल पर प्रमोद तिवारी ने कहा कि चुनाव परिणाम के बाद सभी नेताओं की सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री के चेहरे का चयन किया जाता है और इस बार भी होगा.

Last Updated : Oct 9, 2021, 8:05 PM IST
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