वाराणसी: जेलों में बंद खूंखार अपराधियों को सुधारने और बाहर निकलने के बाद उनको एक अच्छी जिंदगी जीने का तरीका सिखाने के लिए जिलों में तमाम सुधार कार्यक्रमों को संचालित किया जाता है. इसी क्रम में जेल में फर्नीचर बनाए जाने का काम भी लंबे वक्त से चल रहा है, लेकिन बदलते वक्त के साथ अब लकड़ी की जगह स्टेनलेस स्टील के बने फर्नीचर की डिमांड भी अच्छी खासी है.
यही वजह है कि अब जेलों में स्टील के फर्नीचर तैयार कराने की तैयारी की जा रही है, जिसकी शुरुआत पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की सेंट्रल जेल से की गई है. यहां एक बड़ी कंपनी बंद खूंखार अपराधियों को स्टील के फर्नीचर बनाने की विशेष ट्रेनिंग दे रही है, ताकि बाजार में इनके तैयार फर्नीचर्स को बेचा जा सके.
दरअसल, कैदियों के पुनर्वास के लिए उपयुक्त भारत सरकार की योजना के अनुरूप वाराणसी केंद्रीय कारागार में एक स्टेनलेस स्टील निर्माण प्रशिक्षण वर्कशॉप चल रहा है. जिसमें भारत के सबसे बड़े स्टेनलेस स्टील निर्माता जिंदल स्टेनलेस ने मदद की है. जिंदल स्टेनलेस के फेब्रिकेशन विशेषज्ञों के द्वारा वाराणसी केंद्रीय कारागार के वरिष्ठ अधीक्षक अम्बरीष गौड़ और उनकी टीम की मौजूदगी में 20 बंदियों को स्टेनलेस स्टील के फर्नीचर तैयार करने की ट्रेनिंग दी जा रही है.
वरिष्ठ जेल अधीक्षक का कहना है कि इस कार्यक्रम से कैदियों को अपनी सज़ा पूरी करने के बाद एक सम्मानित एवं आत्मनिर्भर जीवन जीने में मदद मिलेगी. कारागार में निर्मित स्टेनलेस स्टील वस्तुओं का उपयोग वाराणसी स्मार्ट सिटी एवं काशी विश्वनाथ मंदिर प्रोजेक्ट में करने की योजना है.
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इस स्टेनलेस स्टील फेब्रिकेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम को इस प्रकार तैयार किया गया है, जिससे प्रशिक्षुओं को स्टेनलेस स्टील की वेल्डिंग, कटाई और पॉलिशिंग जैसी प्रमुख प्रक्रियाएं सिखाई जा सकें. इससे उन्हें कईं प्रकार के स्टेनलेस स्टील उत्पाद मसलन रेलिंग, गेट, उपकरण और छोटे फर्नीचर आदि बनाने में मदद मिलेगी. प्रशिक्षण के बाद चुनिंदा प्रशिक्षु जेल अधिकारियों के साथ उत्तर प्रदेश के अन्य जेलों में इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे.
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भारत में कैदियों के पुनर्वास कार्यक्रम के तहत कई जेल प्रशासन उन्हें नए कौशल सीखने के लिए संसाधन और मदद प्रदान कर रहे हैं. ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम उन्हें कैद के दौरान आय का स्रोत और उसके बाद रोजगार के मौके मुहैया कराने में मदद करते हैं.