वाराणसी: धर्म और आस्था की नगरी काशी जहां पर होने वाला हर अनुष्ठान अपने आप में ईश्वर की मौजूदगी का अहसास कराता है. यहां पर होने वाला हर आयोजन काशी की पवित्रता और धार्मिक मान्यताओं को ध्यान में रखकर पूर्ण किया जाता है और आज मौका बेहद खास है मौका है. माता अन्नपूर्णा की उस भव्य प्रतिमा की स्थापना का जो विश्वनाथ धाम में स्थापित की जा रही है.
100 साल से पुरानी प्रतिमा कनाडा से कल देर रात काशी पहुंची है और इसकी स्थापना के लिए खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वाराणसी में मौजूद हैं. इन सबके बीच ईटीवी भारत विश्वनाथ धाम पहुंचा और इस पूजन प्रक्रिया में शामिल होने वाले विद्वानों से बातचीत करके यह जानने की कोशिश की कि आखिर माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा की स्थापना का यह अनुष्ठान कैसे संपन्न होगा और क्या होगी पूजन विधि.
विधि से हुई माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा की स्थापना शुरू हो चुका है विशेष अनुष्ठानहम आपको बता दें कि बाबा विश्वनाथ के धाम में माता अन्नपूर्णा की 100 साल पुरानी बलुआ पत्थर की प्रतिमा की स्थापना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों की जानी है. आज सुबह 6:00 बजे से ही माता अन्नपूर्णा की स्थापना कार्य अनुष्ठान शुरू हो चुका है. 11 अर्चकों की मौजूदगी में सबसे पहले विश्वनाथ मंदिर के गर्भ गृह के बगल में ईशान कोण में माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा की स्थापना प्रक्रिया पूर्ण की जा रही है. यहां पर एक लाल पत्थर का मंदिर भी बनाया गया है जहां पर माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा को स्थापित किया जाना है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सुबह 9:30 बजे माता अन्नपूर्णा की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचेंगे. मंदिर के शास्त्री ने बताया पूरे अनुष्ठान का तरीका यह होगी पूजन विधिहम आपको बता दें कि मंदिर के शास्त्रीय मनोज दुबे ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत की उन्होंने बताया कि माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा की स्थापना किस अनुष्ठान के तहत की जाएगी उनका कहना था कि सुबह 6:00 बजे यहां अनुष्ठान शुरू हो चुका है. इस अनुष्ठान में सबसे पहले गणेश अंबिका का पूजन किया गया है. गणेश अंबिका के पूजन के बाद षोडश मातृका पूजन, सप्त व्रत मातृका, वरुण पूजन सम्पन्न किया जाता है.
कलश में विराजती हैं विश्व भर की नदियां
मनोज दुबे ने बताया कि इन पूजन विधि में वरुण पूजन में कलश स्थापना की जाती है. जिसमें गंगा जमुना सरस्वती समेत देश और विश्व में व्याप्त सभी तरह की नदियों का आवाहन किया जाता है, ताकि या अनुष्ठान शुद्धता के साथ संपन्न हो सके. इसके अतिरिक्त कलश में भगवान विष्णु ब्रह्मा और महेश तीनों का आवाहन किया जाता है. सब की मौजूदगी के साथ वरुण पूजा संपन्न होगी और पंचांग पूजन के बाद माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा की स्थापना की प्रक्रिया शुरू होगी. जिसमें स्थापना पूजन के साथ ही हवन इत्यादि भी संपन्न किया जाएगा.