वाराणसीः भारतीय डाक विभाग ने काशी में नई पहल की शुरुआत की है. डाक विभाग विभाग-समय समय पर काशी की कला को लेकर विशेष आवरण जारी कर उन्हें नई पहचान दे रहा है. इसी क्रम विभाग द्वारा पुनः तीन नए (Geographical Indication) जीआई उत्पादों को लेकर विशेष आवरण का भी विमोचन किया है.विभाग अब तक कुल 11 से ज्यादा जीआई उत्पादों पर विशेष आवरण जारी कर चुका हैं.
पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि वाराणसी देश भर में जीआई उत्पादों पर सबसे ज्यादा विशेष आवरण जारी करके अग्रणी रहा है. डाक विभाग के माध्यम से जीआई उत्पादों को सीधे उत्पादकों से लेकर उपभोक्ताओं तक डाकिया द्वारा पहुंचाया जा रहा है. इससे अर्थव्यवस्था को भी काफी फायदा हो रहा है. उन्होंने कहा कि स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से जीआई उत्पादों को आगे बढ़ाने की पहल की है, उससे इसे 'वोकल फ़ॉर लोकल' और 'लोकल टू ग्लोबल' रूप में नए आयाम मिल रहे हैं.
पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि वाराणसी के जीआई उत्पाद विश्व भर में अनोखी पहचान रखते हैं और इस कला को यहां के कारीगरों ने पुश्त दर पुश्त सदियों से सहेज रखा है. इन विशेष आवरण के माध्यम से बनारस की पारम्परिक हस्तशिल्प, कारीगरी और यहाँ की संस्कृति देश -विदेश में प्रचार-प्रसार पायेगी. उन्होंने बताया कि वतर्मान में बनारस जरदोज़ी, बनारस हैण्ड ब्लॉक प्रिंट और बनारस लकड़ी की नक्काशी पर विशेष आवरण जारी किया है.
इससे पूर्व भी वाराणसी जिले से संबंधित बनारस ब्रोकेड और साड़ी, बनारस गुलाबी मीनाकारी क्रॉफ्ट, वाराणसी सॉफ्ट स्टोन जाली वर्क, वाराणसी लकड़ी के लाख और खिलौने, बनारस मेटल रिपोज क्रॉफ्ट और वाराणसी ग्लास बीड्स पर विशेष आवरण और विशेष विरूपण जारी किया जा चुका है. चूंकि डाक विभाग की पहुंच सर्वत्र है, ऐसे में इसके माध्यम से जीआई उत्पाद भी घर-घर पहुंच सकेंगे. इंटरनेशनल बिजनेस सेंटर के माध्यम से जहां जीआई उत्पाद विदेशों में भेजे जा रहे हैं, वहीं अब पार्सल पैकेजिंग यूनिट की स्थापना कर इनका प्रेषण और भी सुचारू बनाया जा रहा है.
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बता दें कि उत्तर प्रदेश के 34 में से 18 जीआई उत्पाद वाराणसी और इसके आसपास के जिलों से हैं. जिनका सालाना कारोबार करीब 22,500 करोड़ रूपये का है. जीआई उत्पादों से वाराणसी और आसपास के लगभग 20 लाख कारीगर जुड़े हुए हैं. अभी वाराणसी के 10 और उत्पादों को जीआई टैग मिलने की प्रक्रिया चल रही है. आने वाले दिनों में बनारस के एग्रो उत्पाद, हॉर्टिकल्चर उत्पाद, विशिष्ट चावल और मिठाईयों को भी जीआई टैग में शामिल किया जाएगा.