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डाक विभाग ने ओलंपियन ललित उपाध्याय की तस्वीर वाला डाक टिकट किया जारी

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Published : Sep 6, 2021, 8:40 PM IST

वाराणसी के रहने वाले टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम के सदस्य ललित उपाध्याय की फोटो वाला टिकट भारतीय डाक विभाग ने जारी किया है. वाराणसी में एक कार्यक्रम के दौरान ललित उपाध्याय को माई स्टैम्प भेंटकर सम्मानित किया गया.

कांस्य पदक विजेता ललित उपाध्याय
कांस्य पदक विजेता ललित उपाध्याय

वाराणसी: भारतीय डाक विभाग द्वारा टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम के सदस्य ललित उपाध्याय का विशेश्वरगंज स्थित प्रधान डाकघर, वाराणसी में पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव की अध्यक्षता में आयोजित एक कार्यक्रम में सम्मान किया गया. पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने ओलंपियन ललित उपाध्याय को शाल ओढ़ाकर और उनके चित्र वाला माई स्टैम्प भेंटकर सम्मानित किया. इस अवसर पर ललित की मां रीता उपाध्याय, पिता सतीश उपाध्याय और उनके कोच परमानंद मिश्र को भी सम्मानित किया गया. डाक टिकट पर अपना चित्र देखकर ललित और उनके परिजन बेहद खुश नजर आए और डाक विभाग का शुक्रिया अदा किया.

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि वाराणसी की धरा साहित्य, कला, संस्कृति, शिक्षा, अध्यात्म के लिए ही नहीं जानी जाती बल्कि खेल के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय उपलब्धियों के लिए भी जानी जाती है. टोक्यो ओलंपिक में तीन बार की चैम्पियन जर्मनी को हराकर कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य रूप में ललित उपाध्याय ने वाराणसी ही नहीं, अपितु पूरे देश का मान बढ़ाया है. उनकी इस उपलब्धि से युवाओं को प्रेरणा मिलेगी और वह नए आयाम रचने के लिए तत्पर होंगे.

ओलंपियन ललित उपाध्याय की तस्वीर वाला डाक टिकट जारी
ओलंपियन ललित उपाध्याय की तस्वीर वाला डाक टिकट जारी

कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि यह भी एक खूबसूरत संयोग है कि मॉस्को ओलम्पिक (1980) में भारतीय हॉकी टीम को गोल्ड मेडल जिताने में वाराणसी के ही मो. शाहिद ने अहम भूमिका निभाई थी और अब टोक्यो ओलम्पिक में भी वाराणसी के ही ललित उपाध्याय ने हॉकी टीम को कांस्य मेडल जिताने में प्रमुख भूमिका निभाई. इस ऐतिहासिक प्रदर्शन की बदौलत ही ओलम्पिक में 41 वर्ष बाद भारत ने हॉकी में पदक प्राप्त किया. पद्मश्री मो. शाहिद, विवेक सिंह और राहुल सिंह के बाद ललित उपाध्याय वाराणसी के चौथे ऐसे हॉकी खिलाड़ी हैं, जिन्होंने ओलम्पिक में देश का प्रतिनिधित्व कर सभी को गौरवान्वित किया.

ओलंपियन ललित उपाध्याय ने अपने सम्मान से अभिभूत होकर सर्वप्रथम डाक विभाग का आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि दृढ़ इच्छाशक्ति और मेहनत की बदौलत कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है. 41 वर्षों बाद भारतीय हॉकी टीम का ओलम्पिक में पदक जीतना बेहद आनंददायक और उत्साहवर्धक है. जिस तरह से वाराणसी और उत्तर प्रदेश में हॉकी का विकास हो रहा है, निश्चय ही अगले कुछ दिनों में यहां से और अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी निकलेंगे. बनारस के लोगों ने हमेशा मुझे बहुत प्यार और सम्मान दिया. यह पवित्र धरती मुझे सदैव कुछ नया करने की प्रेरणा देती है. ललित ने युवाओं से कहा कि सफलता का कोई शार्टकट नहीं होता. युवा खिलाड़ी बस अपने खेल, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर अच्छे से ध्यान दें, तभी तरक्की के रास्ते भी खुलेंगे.

वाराणसी: भारतीय डाक विभाग द्वारा टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम के सदस्य ललित उपाध्याय का विशेश्वरगंज स्थित प्रधान डाकघर, वाराणसी में पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव की अध्यक्षता में आयोजित एक कार्यक्रम में सम्मान किया गया. पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने ओलंपियन ललित उपाध्याय को शाल ओढ़ाकर और उनके चित्र वाला माई स्टैम्प भेंटकर सम्मानित किया. इस अवसर पर ललित की मां रीता उपाध्याय, पिता सतीश उपाध्याय और उनके कोच परमानंद मिश्र को भी सम्मानित किया गया. डाक टिकट पर अपना चित्र देखकर ललित और उनके परिजन बेहद खुश नजर आए और डाक विभाग का शुक्रिया अदा किया.

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि वाराणसी की धरा साहित्य, कला, संस्कृति, शिक्षा, अध्यात्म के लिए ही नहीं जानी जाती बल्कि खेल के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय उपलब्धियों के लिए भी जानी जाती है. टोक्यो ओलंपिक में तीन बार की चैम्पियन जर्मनी को हराकर कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य रूप में ललित उपाध्याय ने वाराणसी ही नहीं, अपितु पूरे देश का मान बढ़ाया है. उनकी इस उपलब्धि से युवाओं को प्रेरणा मिलेगी और वह नए आयाम रचने के लिए तत्पर होंगे.

ओलंपियन ललित उपाध्याय की तस्वीर वाला डाक टिकट जारी
ओलंपियन ललित उपाध्याय की तस्वीर वाला डाक टिकट जारी

कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि यह भी एक खूबसूरत संयोग है कि मॉस्को ओलम्पिक (1980) में भारतीय हॉकी टीम को गोल्ड मेडल जिताने में वाराणसी के ही मो. शाहिद ने अहम भूमिका निभाई थी और अब टोक्यो ओलम्पिक में भी वाराणसी के ही ललित उपाध्याय ने हॉकी टीम को कांस्य मेडल जिताने में प्रमुख भूमिका निभाई. इस ऐतिहासिक प्रदर्शन की बदौलत ही ओलम्पिक में 41 वर्ष बाद भारत ने हॉकी में पदक प्राप्त किया. पद्मश्री मो. शाहिद, विवेक सिंह और राहुल सिंह के बाद ललित उपाध्याय वाराणसी के चौथे ऐसे हॉकी खिलाड़ी हैं, जिन्होंने ओलम्पिक में देश का प्रतिनिधित्व कर सभी को गौरवान्वित किया.

ओलंपियन ललित उपाध्याय ने अपने सम्मान से अभिभूत होकर सर्वप्रथम डाक विभाग का आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि दृढ़ इच्छाशक्ति और मेहनत की बदौलत कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है. 41 वर्षों बाद भारतीय हॉकी टीम का ओलम्पिक में पदक जीतना बेहद आनंददायक और उत्साहवर्धक है. जिस तरह से वाराणसी और उत्तर प्रदेश में हॉकी का विकास हो रहा है, निश्चय ही अगले कुछ दिनों में यहां से और अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी निकलेंगे. बनारस के लोगों ने हमेशा मुझे बहुत प्यार और सम्मान दिया. यह पवित्र धरती मुझे सदैव कुछ नया करने की प्रेरणा देती है. ललित ने युवाओं से कहा कि सफलता का कोई शार्टकट नहीं होता. युवा खिलाड़ी बस अपने खेल, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर अच्छे से ध्यान दें, तभी तरक्की के रास्ते भी खुलेंगे.

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