वाराणसी: संत रविदास की 645 वीं जयंती पूरे देश में धूमधाम से मनाई जा रही है. एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में रविदास मंदिर पहुंचकर मत्था टेका तो वाराणसी में रविदास जन्मस्थली पर पूरे दिन राजनेताओं का तांता लगा रहा. शुरुआत हुई भोर में लगभग 4:00 बजे पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी के आगमन के साथ. चन्नी ने यहां पर लगभग 45 मिनट बिताए और पंजाब के चुनाव का सियासी समीकरण साधने की कोशिश की. इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, फिर प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह के अलावा दलित नेता चंद्रशेखर आजाद भी रविदास धाम पहुंचे.
सतगुरु रविदास ने सभी को जातियों को एकजुट रखने का काम किया. जातिगत बंधनों से ऊपर बड़े-बड़े राजा महाराजा संत रविदास के शिष्य बने. मीराबाई समेत कई बड़े नाम संत रविदास के साथ जुड़े और ध्यान-वैराग्य की अद्भुत मिसाल पेश की. इन सबके बीच वाराणसी के सीर गोवर्धन स्थित संत रविदास जन्म स्थली पर आज सुबह से ही सियासी पारा चढ़ा रहा.
संत के दर पर लगा नेताओं का जमघट पंजाब में होने वाले चुनावों को दृष्टिगत रखते हुए यहां पर संत रविदास धर्म को मानने वाले लाखों श्रद्धालुओं को साधने की कोशिश हर राजनीतिक दल ने की. सबसे महत्वपूर्ण हो गया पंजाब के मुख्यमंत्री का बनारस आना. यह पहला मौका था जब पंजाब का कोई मुख्यमंत्री बनारस में सीर गोवर्धन दर्शन करने पहुंचा था. इस बार यह मौका इसलिए भी खास था क्योंकि पंजाब में चुनाव होने हैं और पंजाब की बड़ी आबादी यानी 70% से ज्यादा हिंदू दलित वोटर बनारस के संत रविदास मंदिर से सीधे जुड़े हुए हैं.
संत के दर पर लगा नेताओं का जमघट पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी ने यहां आकर मत्था टेकने के बाद प्रसाद ग्रहण किया तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी यहां पर दलित वोट बैंक साधने की कोशिश की. मुख्यमंत्री योगी के अलावा कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने संत रविदास मंदिर में दर्शन पूजन तो किया. इसके बाद दोनों भाई-बहन ने यहां प्रसाद ग्रहण करने से पहले सेवा भी की. प्रियंका गांधी ने लोगों को खाना खिलाया. प्रियंका गांधी ने कहा कि यह पहला मौका है जब मैं अपने भाई के साथ यहां आई यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है.आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी यहां पर दर्शन के लिए पहुंचे थे. आम आदमी पार्टी भी पंजाब में इस बार के चुनाव में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है. उत्तर प्रदेश में दलित राजनीति का एक नया चेहरा बनकर उभरे चंद्रशेखर आजाद ने भी यहां पहुंचकर मत्था टेका. उनका कहना था कि संत रविदास भले ही दलित समाज से आते थे, लेकिन उस वक्त जब इस समाज के लोगों को मंदिरों में जाने की अनुमति नहीं थी. उस दौर में कई बड़े राजा महाराजा उनके शिष्य बने.
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चंद्रशेखर ने कहा कि संत रविदास ने अपने ज्ञान के जरिए लोगों को जोड़ने की कोशिश की. यह कहना कि इनके दर पर नेता आए हैं यह गलत है. हम सब उनके भक्त हैं. अनुयाई हैं. चंद्रशेखर का कहना था कि उत्तर प्रदेश में सपा क्या कर रही है, बसपा क्या कर रही है ये उन्हीं से पूछिए बस इतना जानता हूं कि भाजपा साफ होने जा रही है. कुल मिलाकर संत के दर पर धर्म के नाम पर हर नेता ने आज जमकर राजनीतिक दांव खेला है.
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