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वाराणसी: कोरोना के मद्देनजर पिशाच मोचन में इस बार नहीं होगा पिंडदान - pitra paksh 2020 latest news

वाराणसी के पिशाच मोचन में इस बार पितृ पक्ष के अवसर पर पिंडदान नहीं किया जाएगा. कोरोना के खतरे को देखते हुए बार पंडों ने आपस में वार्ता कर यह निर्णय लिया है कि इस बार ना ही पिंडदान होगा और ना किसी प्रकार की पूजा पिशाच मोचन में कराई जाएगी.

पिशाच मोचन में नहीं होगा पिंडदान
पिशाच मोचन में नहीं होगा पिंडदान
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Published : Sep 3, 2020, 10:03 AM IST

वाराणसी: 2 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहा है. सनातन धर्म में लोग पितृपक्ष में अपने पूर्वजों की पूजा अर्चना करते हैं. इस बार पितृ पक्ष 2 सितंबर से शुरू होकर 17 सितंबर तक चलेगा. 17 सितंबर को सर्व पितृ विसर्जन अमावस्या है. ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में पितर देव स्वर्ग लोक से धरती पर परिजनों से मिलने आते हैं. मान्यता है कि जिन प्राणियों की मृत्यु के बाद उनका विधि अनुसार तर्पण नहीं किया जाता उनकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है.

  • कोरोना के मद्देनजर काशी के पिशाच मोचन में नहीं होगा पिंडदान.
  • पंडों ने लोगों को घर में रहकर ही पूजा अर्चन की अपील की है.
  • पिशाच मोचन में पितृ पक्ष के अवसर पर पिंडदान करने दूर दराज से आते थे लोग.
    पिशाच मोचन में नहीं होगा पिंडदान


    पिशाचमोचन में नहीं होगा पिंडदान
    पितृपक्ष में जो लोग पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं वह लहसुन, प्याज, मांस मदिरा का सेवन नहीं करते. इस बार वाराणसी के पिशाच मोचन में पितृपक्ष के दौरान किसी भी व्यक्ति को पंडों ने नहीं बुलाया है. उनका कहना है कि इस बार पिंडदान अपने घर से करें. हालांकि लाखों लोग पिंडदान करने के लिए काशी के पिशाच मोचन पहुंचते थे, लेकिन इस बार पंडों ने आपस में वार्ता कर यह निर्णय लिया कि इस बार ना ही पिंडदान होगा और ना पिशाच मोचन में किसी प्रकार की पूजा कराई जाएगी.

    पंडों का कहना है कि कोरोना काल के दौरान पिशाच मोचन में ना जाकर लोग अपने घर पर ही पिंडदान करें. किसी भी दिशा में जल दान करें, अन्नदान करें और घर पर पंडितों को बुलाकर भोजन आदि कराकर पितरों से क्षमा याचना करते हुए यह कहें कि इस बार महामारी की वजह से हम दान नहीं कर पा रहे हैं, पित्र हमें क्षमा करें. वहीं यह भी माना जाता है कि पितृपक्ष में पितरों का तर्पण करना बहुत ही अच्छा होता है.

काशी के पिशाच मोचन में भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी लोग आकर पिंडदान व पूजा पाठ कराते हैं. जिसकी वजह से हम लोगों ने यह निर्णय लिया है कि इस बार हम यहां पर किसी भी प्रकार की पूजा व पिंडदान नहीं कराएंगे और जितना हो सकेगा कोरोनावायरस से रोकथाम करेंगे. यही नहीं पूरे पिशाच मोचन में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है. ना ही किसी प्रकार की पूजा हो रही है और ना ही किसी प्रकार का पिंडदान किया जा रहा है. हालांकि पिंडदान का कोई वैकल्पिक विकल्प नहीं है. जिसकी वजह से हम लोगों को इस बार घरों से निकलने के लिए मना कर रहे हैं और घर पर रहकर ही कुछ सामान पूजा पाठ कर अपने पितरों से क्षमा याचना करने की बात कर रहे हैं.

-मुन्ना लाल, पंडा, पिशाच मोचन

वाराणसी: 2 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहा है. सनातन धर्म में लोग पितृपक्ष में अपने पूर्वजों की पूजा अर्चना करते हैं. इस बार पितृ पक्ष 2 सितंबर से शुरू होकर 17 सितंबर तक चलेगा. 17 सितंबर को सर्व पितृ विसर्जन अमावस्या है. ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में पितर देव स्वर्ग लोक से धरती पर परिजनों से मिलने आते हैं. मान्यता है कि जिन प्राणियों की मृत्यु के बाद उनका विधि अनुसार तर्पण नहीं किया जाता उनकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है.

  • कोरोना के मद्देनजर काशी के पिशाच मोचन में नहीं होगा पिंडदान.
  • पंडों ने लोगों को घर में रहकर ही पूजा अर्चन की अपील की है.
  • पिशाच मोचन में पितृ पक्ष के अवसर पर पिंडदान करने दूर दराज से आते थे लोग.
    पिशाच मोचन में नहीं होगा पिंडदान


    पिशाचमोचन में नहीं होगा पिंडदान
    पितृपक्ष में जो लोग पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं वह लहसुन, प्याज, मांस मदिरा का सेवन नहीं करते. इस बार वाराणसी के पिशाच मोचन में पितृपक्ष के दौरान किसी भी व्यक्ति को पंडों ने नहीं बुलाया है. उनका कहना है कि इस बार पिंडदान अपने घर से करें. हालांकि लाखों लोग पिंडदान करने के लिए काशी के पिशाच मोचन पहुंचते थे, लेकिन इस बार पंडों ने आपस में वार्ता कर यह निर्णय लिया कि इस बार ना ही पिंडदान होगा और ना पिशाच मोचन में किसी प्रकार की पूजा कराई जाएगी.

    पंडों का कहना है कि कोरोना काल के दौरान पिशाच मोचन में ना जाकर लोग अपने घर पर ही पिंडदान करें. किसी भी दिशा में जल दान करें, अन्नदान करें और घर पर पंडितों को बुलाकर भोजन आदि कराकर पितरों से क्षमा याचना करते हुए यह कहें कि इस बार महामारी की वजह से हम दान नहीं कर पा रहे हैं, पित्र हमें क्षमा करें. वहीं यह भी माना जाता है कि पितृपक्ष में पितरों का तर्पण करना बहुत ही अच्छा होता है.

काशी के पिशाच मोचन में भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी लोग आकर पिंडदान व पूजा पाठ कराते हैं. जिसकी वजह से हम लोगों ने यह निर्णय लिया है कि इस बार हम यहां पर किसी भी प्रकार की पूजा व पिंडदान नहीं कराएंगे और जितना हो सकेगा कोरोनावायरस से रोकथाम करेंगे. यही नहीं पूरे पिशाच मोचन में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है. ना ही किसी प्रकार की पूजा हो रही है और ना ही किसी प्रकार का पिंडदान किया जा रहा है. हालांकि पिंडदान का कोई वैकल्पिक विकल्प नहीं है. जिसकी वजह से हम लोगों को इस बार घरों से निकलने के लिए मना कर रहे हैं और घर पर रहकर ही कुछ सामान पूजा पाठ कर अपने पितरों से क्षमा याचना करने की बात कर रहे हैं.

-मुन्ना लाल, पंडा, पिशाच मोचन

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