वाराणसी. रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का असर भारत पर भी पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है. जी हां, इस युद्ध के चलते महंगाई बढ़ती जा रही है जिसकी तस्वीरें भी पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से सामने आईं हैं. कहा जाता है कि दुनिया के बाजार में आने वाले गेहूं में 29 प्रतिशत और मक्के में 19 प्रतिशत की हिस्सेदारी यूक्रेन और रूस की है. वहीं, इस युद्ध से रूस और यूक्रेन से गेहूं का निर्यात प्रभावित हुआ है. इस कारण गेहूं महंगा हो रहा है.
दरअसल, बीते 15 दिनों में आटे के दाम की बात करें तो आटा जहां लगभग 4 से 5 रुपये प्रति किलो महंगा हुआ है तो वहीं गेहूं के दामों में भी 400 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा देखने को मिल रहा है. वहीं, पूर्वांचल की गल्ला मंडी के व्यापारियों का कहना है कि इन दिनों महंगाई का तड़का गेहूं, आटा और अन्य अनाजों में देखने को मिल रहा है.
गेहूं बीते 15 दिनों में 400 से 500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बढ़ा है तो वहीं आटा थोक बाजार में 21 रुपये से बढ़कर 25 रुपये प्रति किलो और खुदरा बाजार में 27 से 28 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है. उन्होंने बताया कि अभी माल में कोई कमी नहीं है. लेकिन दामों में इजाफा हो रहा है. यह इजाफा ऊपर से मिल मालिकों के यहां से ही आ रहा है. इसके कारण ग्राहकों को भी महंगा देना पड़ रहा है.
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आगामी दिनों में और बढ़ सकते हैं गेहूं के दाम
रोलर फ्लोर मिल के उपाध्यक्ष दीपक बजाज का कहना है चीन और भारत के बाद रूस गेहूं का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. रूस गेहूं के निर्यात के मामले में नंबर वन है जबकि यूक्रेन का निर्यातक में पांचवां स्थान है. युद्ध के कारण यह गेहूं का निर्यात नहीं कर पा रहे हैं. अन्य देशों में गेहूं की सप्लाई भारत कर रहा है. इसके कारण गेहूं और अन्य खाद्य पदार्थों की शॉर्टेज हो रही है. हालांकि अभी उत्पाद में कभी नहीं है लेकिन आगामी दिनों में कमी होने की आशंका है. इससे आपूर्ति भी प्रभावित होगी. उन्होंने बताया कि गेहूं का सरकारी दर 2015 रुपये प्रति क्विंटल है और थोक बाजार में गेहूं 2200 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक रहा है.
गौरतलब है कि अमेरिका, लेबनान, नाइजीरिया और हंगरी सहित कई देशों ने रूस से गेहूं, कच्चा तेल सहित अन्य सभी चीजों के निर्यात पर रोक लगा दिया है. ऐसे में दुनिया में गेहूं की किल्लत होने लगी है. भारत ने इस किल्लत को पूरा करने के लिए गेहूं का निर्यात बढ़ा दिया है. इस कारण भारत से हर दिन 2 से 3 लाख क्विंटल गेहूं यूरोप और अफ्रीकी देशों में जा रहा है. इसके कारण स्थानीय बाजार में गेहूं की आवक कम हो रही है.
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