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वाराणसी: निर्जला एकादशी पर निकाली गई कलश यात्रा, बाबा विश्वनाथ का किया जलाभिषेक

धर्म की नगर काशी में बुधवार को एक बार फिर आस्था का जनसैलाब देखने को मिला. यहां निर्जला एकादशी के अवसर पर हजारों लोगों ने राजेंद्र प्रसाद घाट से बाबा विश्वनाथ तक कलश यात्रा निकाली. इस दौरान पूरा घाट हर हर महादेव और ओम नम: शिवाय के नारों से गूंज उठा.

काशी में निकाली गई कलश यात्रा.
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Published : Jun 13, 2019, 1:56 PM IST

वाराणसी: काशी व्रत और त्योहारों की नगरी है. ऐसे में निर्जला एकादशी के अवसर पर मां गंगा में स्नान करने के बाद हजारों की संख्या में पुरुषों और महिलाएं सिर पर कलश लेकर बाबा विश्वनाथ का अभिषेक करने के लिए निकल पड़े. इस दौरान हर-हर महादेव और ओम नमः शिवाय से पूरा घाट गूंज उठा.

काशी में निकाली गई कलश यात्रा.

कलश यात्रा में उमड़ता है जनसैलाब

  • लाल और केसरिया रंग से पूरा घाट पटा दिखा.
  • निर्जला एकादशी के अवसर पर कलश यात्रा निकाली जाती है, जिसमें लगभग 1100 कलश के साथ भारी संख्या में महिलाएं, पुरुष और बच्चे शामिल होते हैं.
  • यात्रा की खास बात यह थी कि इस तपती धूप में नंगे पांव हाथों में कलश लेकर डमरू की थाप और शहनाई की धुन पर बाबा बर्फानी की झांकी निकाली जाती है.
  • झांकी में लोग शामिल होकर श्रद्धा के साथ बाबा विश्वनाथ का अभिषेक करने के लिए जाते हैं.


यह कलश यात्रा 1999 से निकल रही है. ज्येष्ठ मास के निर्जला एकादशी पर जल के प्रिय देवता भगवान शंकर पर जल चढ़ाना हिंदू जन मानस में बड़ा पुण्य का काम माना जाता है. इसी उद्देश्य के साथ हजारों लोगों को निशुल्क कलश उपलब्ध कराकर कराया जाता है, जिससे वो लोग भगवान विश्वनाथ जी पर जल चढ़ा सकें. यह कलश यात्रा राजेंद्र प्रसाद घाट से बाबा विश्वनाथ तक निकाली जाती है.

-जगदंबा तुलस्यान, संयोजक, कलश यात्रा

वाराणसी: काशी व्रत और त्योहारों की नगरी है. ऐसे में निर्जला एकादशी के अवसर पर मां गंगा में स्नान करने के बाद हजारों की संख्या में पुरुषों और महिलाएं सिर पर कलश लेकर बाबा विश्वनाथ का अभिषेक करने के लिए निकल पड़े. इस दौरान हर-हर महादेव और ओम नमः शिवाय से पूरा घाट गूंज उठा.

काशी में निकाली गई कलश यात्रा.

कलश यात्रा में उमड़ता है जनसैलाब

  • लाल और केसरिया रंग से पूरा घाट पटा दिखा.
  • निर्जला एकादशी के अवसर पर कलश यात्रा निकाली जाती है, जिसमें लगभग 1100 कलश के साथ भारी संख्या में महिलाएं, पुरुष और बच्चे शामिल होते हैं.
  • यात्रा की खास बात यह थी कि इस तपती धूप में नंगे पांव हाथों में कलश लेकर डमरू की थाप और शहनाई की धुन पर बाबा बर्फानी की झांकी निकाली जाती है.
  • झांकी में लोग शामिल होकर श्रद्धा के साथ बाबा विश्वनाथ का अभिषेक करने के लिए जाते हैं.


यह कलश यात्रा 1999 से निकल रही है. ज्येष्ठ मास के निर्जला एकादशी पर जल के प्रिय देवता भगवान शंकर पर जल चढ़ाना हिंदू जन मानस में बड़ा पुण्य का काम माना जाता है. इसी उद्देश्य के साथ हजारों लोगों को निशुल्क कलश उपलब्ध कराकर कराया जाता है, जिससे वो लोग भगवान विश्वनाथ जी पर जल चढ़ा सकें. यह कलश यात्रा राजेंद्र प्रसाद घाट से बाबा विश्वनाथ तक निकाली जाती है.

-जगदंबा तुलस्यान, संयोजक, कलश यात्रा

Intro:काशी व्रत और त्योहारों की नगरी है ऐसे में निर्जला एकादशी के अवसर पर मां गंगा में स्नान करने के बाद हजारों की संख्या में पुरुष और स्त्री ने सिर पर कलश लेकर बाबा विश्वनाथ का अभिषेक करने के लिए निकल पड़े हर हर महादेव और ओम नमः शिवाय से पूरा घाट गूंज उठा।


Body:लाल और केसरिया रंग से पूरा घाट पटा दिखा ऐसे में निर्जला एकादशी के अवसर पर कलश यात्रा निकाली जाती है जिसमें लगभग 1100 कलश के साथ स्त्री पुरुष और बच्चे शामिल होते हैं.


यात्रा की खास बात यह थी कि इस तपती धूप में नंगे पांव हाथों में कलश लेकर डमरु की थाप और शहनाई की धुन पर बाबा बर्फ बानी की झांकी निकाली जाती है और लोग उसमें शामिल होकर श्रद्धा के साथ बाबा विश्वनाथ का अभिषेक करने के लिए गए।


Conclusion:कलश यात्रा के संयोजक जगदंबा तुलस्यान ने बताया यह कलश यात्रा 1999 से निकल रही है जेष्ठ मास के निर्जला एकादशी पर जल के प्रिय देवता भगवान शंकर पर हिंदू जन्म मानस में बड़ा पुण्य का काम है माना जाता है। इसी उद्देश्य के साथ हजारों लोगों को निशुल्क कलश उपलब्ध कराकर वो लोगभगवान विश्वनाथ जी पर जल चढ़ा सकते हैं। राजेंद्र प्रसाद घाट से बाबा विश्वनाथ तक की यात्रा निकाली जाती है।
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