वाराणसी : देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में सात वार नौ त्योहार होते हैं और और हर त्योहार को काशी बड़े ही मस्त मौला ढंग से मनाती है. रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती के गौने के रूप में जाना जाता है. रविवार को काशी में बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती का यह खास पर्व बड़े ही उल्लास के साथ मनाया गया.
रंगभरी एकादशी के मौके पर मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ और मां पार्वती की चल रजत प्रतिमा गोद में गणेश को लेकर भक्तों को दर्शन देने के लिए रजत पालकी में निकलती है और काशी के लोग दोनों पर पहला गुलाल अर्पित कर होली की शुरुआत करते हैं. इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए काशी में आज इस महोत्सव को मनाया गया.
लगभग साढ़े तीन सौ साल पुरानी इस परंपरा के तहत माता पार्वती विदाई के बाद अपने मायके जाती हैं और काशी में माता का मायका यानी महाराज हिमालय का घर महंत आवास है. यहीं पर माता पार्वती के गौने की पूरी रस्म अदा होती है और फिर महादेव अपनी अर्धांगिनी को पुत्र गणेश के साथ लेकर अपने घर यानी बाबा विश्वनाथ धाम के लिए रवाना होते हैं.
बाबा विश्वनाथ इस महापर्व में शरीक होने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचे थे. लोगों का कहना था कि आज हम बाबा को पहला गुलाल अर्पित कर अपने होली की शुरूआत करेंगे.