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काशी में माता पार्वती का गौना लेकर घर को रवाना हुए भोलेनाथ, हुई होली की शुरुआत - mahadev

रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती के गौने के रूप में जाना जाता है. रविवार को काशी में बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती का यह खास पर्व बड़े ही उल्लास के साथ मनाया गया.

भक्तों ने की होली की शुरूआत
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Published : Mar 18, 2019, 12:04 AM IST

वाराणसी : देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में सात वार नौ त्योहार होते हैं और और हर त्योहार को काशी बड़े ही मस्त मौला ढंग से मनाती है. रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती के गौने के रूप में जाना जाता है. रविवार को काशी में बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती का यह खास पर्व बड़े ही उल्लास के साथ मनाया गया.

रंगभरी एकादशी के मौके पर मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ और मां पार्वती की चल रजत प्रतिमा गोद में गणेश को लेकर भक्तों को दर्शन देने के लिए रजत पालकी में निकलती है और काशी के लोग दोनों पर पहला गुलाल अर्पित कर होली की शुरुआत करते हैं. इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए काशी में आज इस महोत्सव को मनाया गया.

भक्तों ने की होली की शुरूआत

लगभग साढ़े तीन सौ साल पुरानी इस परंपरा के तहत माता पार्वती विदाई के बाद अपने मायके जाती हैं और काशी में माता का मायका यानी महाराज हिमालय का घर महंत आवास है. यहीं पर माता पार्वती के गौने की पूरी रस्म अदा होती है और फिर महादेव अपनी अर्धांगिनी को पुत्र गणेश के साथ लेकर अपने घर यानी बाबा विश्वनाथ धाम के लिए रवाना होते हैं.

बाबा विश्वनाथ इस महापर्व में शरीक होने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचे थे. लोगों का कहना था कि आज हम बाबा को पहला गुलाल अर्पित कर अपने होली की शुरूआत करेंगे.

वाराणसी : देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में सात वार नौ त्योहार होते हैं और और हर त्योहार को काशी बड़े ही मस्त मौला ढंग से मनाती है. रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती के गौने के रूप में जाना जाता है. रविवार को काशी में बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती का यह खास पर्व बड़े ही उल्लास के साथ मनाया गया.

रंगभरी एकादशी के मौके पर मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ और मां पार्वती की चल रजत प्रतिमा गोद में गणेश को लेकर भक्तों को दर्शन देने के लिए रजत पालकी में निकलती है और काशी के लोग दोनों पर पहला गुलाल अर्पित कर होली की शुरुआत करते हैं. इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए काशी में आज इस महोत्सव को मनाया गया.

भक्तों ने की होली की शुरूआत

लगभग साढ़े तीन सौ साल पुरानी इस परंपरा के तहत माता पार्वती विदाई के बाद अपने मायके जाती हैं और काशी में माता का मायका यानी महाराज हिमालय का घर महंत आवास है. यहीं पर माता पार्वती के गौने की पूरी रस्म अदा होती है और फिर महादेव अपनी अर्धांगिनी को पुत्र गणेश के साथ लेकर अपने घर यानी बाबा विश्वनाथ धाम के लिए रवाना होते हैं.

बाबा विश्वनाथ इस महापर्व में शरीक होने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचे थे. लोगों का कहना था कि आज हम बाबा को पहला गुलाल अर्पित कर अपने होली की शुरूआत करेंगे.

Intro:वाराणसी: देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में सात वार नौ त्योहार होते हैं और और हर त्योहार को काशी बड़े ही मस्त मौला ढंग से मनाती है और अगर बात रंगभरी एकादशी यानी बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती के गौने की हो तो फिर क्या कहने और आज काशी में बाबा विश्वनाथ का माता पार्वती का यह खास पर्व बड़े ही उल्लास के साथ मनाया गया रंगभरी एकादशी के मौके पर या मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ की चल रजत प्रतिमा और माता पार्वती की चल रजत प्रतिमा गोद में गणेश को लेकर भक्तों को दर्शन देने के लिए रजत पालकी में निकलती है और काशी के लोग बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती पर पहला गुलाल अर्पित कर होली की शुरुआत करते हैं और इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए काशी में आज इस महा उत्सव को मनाया गया और इस उत्सव का साक्षी बनने के लिए देश के कोने-कोने से लोगों की भारी भीड़ काशी में उमड़ी.


Body:वीओ-01 दरअसल साल में एक बार रंगभरी एकादशी के मौके पर बाबा विश्वनाथ की चल रजत प्रतिमा के दर्शन होते हैं या चल रजत प्रतिमा विश्वनाथ मंदिर के ठीक सामने महंत आवास में पूरे साल पूजा पाठ के साथ रखी रहती है और रंगभरी एकादशी के मौके पर बाबा विश्वनाथ की यह प्रतिमा माता पार्वती और गणेश के साथ भक्तों के दर्शन के लिए रजत पालकी में सवार होकर लोगों के कंधे पर निकलती है लगभग साढे तीन सौ साल पुरानी इस परंपरा के तहत महाशिवरात्रि के बाद माता पार्वती विदाई के बाद अपने मायके जाती हैं और काशी में माता का मायका यानी महाराज हिमालय का घर महंत आवास है यहीं पर माता पार्वती के गाने की पूरी रस्म अदा होती है और फिर देवा दी देव महादेव अपनी अर्धांगिनी को पुत्र गणेश के साथ लेकर अपने घर यानी बाबा विश्वनाथ धाम के लिए रवाना होते हैं इसी परंपरा का निर्वहन काशी में आज अद्भुत तरीके से किया गया.

बाईट- कुलपति तिवारी, महंत श्री काशी विश्वनाथ मंदिर


Conclusion:वीओ-02 बाबा विश्वनाथ इस महापर्व में शरीक होने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचे थे जिन लोगों ने भी बाबा के इस पर्व का दर्शन किया वह अपने आपको धन्य समझ रहा था लोगों का कहना था कि आज हम बाबा को पहला गुलाल अर्पित कर अपने होली की शुरूआत करेंगे और हर कोई इस बात को लेकर बेहद खुश था कि वह बहुत सौभाग्यशाली है कि बाबा के इस अद्भुत स्वरूप के दर्शन करने का मौका उनको मिल रहा है.

बाईट- भक्त

पीटीसी- गोपाल मिश्र

9839809074
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