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वाराणसी: स्कूल खोले जाने को लेकर अभिभावक हुए लामबंद

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्कूल खोले जाने को लेकर अभिभावकों का कहना है कि सरकार की यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि जो भी बच्चे स्कूल जाएं उनकी कोरोना से बचाव के लिए 100% गारंटी होनी चाहिए. तभी वह अपने बच्चों को विद्यालय भेजेंगे अन्यथा नहीं.

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Published : Oct 8, 2020, 4:18 PM IST

एकजुट हुए अभिभावक.
एकजुट हुए अभिभावक.

वाराणसी: शिक्षण संस्थाओं को खोले जाने की बात प्रशासन कह रहा है. अभिभावकों का मानना है कि अभी तक तो उन्होंने अपने बच्चों को घर में बंद रखकर कोरोना महामारी से बचा रखा है, लेकिन अब जब शिक्षण संस्थान खोल दिए जाएंगे तो सरकार किस तरीके से बच्चों को स्कूल में कोरोना से बचाने में सफल होगी. अभिभावकों को पूरी तरह से इसकी जानकारी होनी चाहिए. अभिभावकों का कहना है कि सरकार की यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि जो भी बच्चे स्कूल जाएं उनकी कोरोना से बचाव के लिए 100% गारंटी होनी चाहिए.

सरकार और विद्यालय लें सुरक्षा की जिम्मेदारी
शिक्षण संस्थान 15 अक्टूबर से खोले जाने हैं, ऐसी दशा में अभिभावकों के आगे सबसे बड़ी समस्या है कि वह अपने बच्चों को किसकी जिम्मेदारी पर घरों से बाहर निकालें. अभी तक बच्चे महामारी में कोविड-19 संक्रमण का शिकार नहीं हो पाये हैं. इसके पीछे एकमात्र कारण यही था कि बच्चे घरों के अन्दर सुरक्षित माहौल में थे. अभिभावकों का कहना है कि अभी भी स्थितियां काफी गंभीर हैं और कहीं भी सामाजिक दूरी और मास्क के अनिवार्य के नियम का पालन समुचित रूप से नहीं हो पा रहा है. ऐसी हालत में बच्चों को बिना वैक्सीन के असुरक्षित माहौल में बाहर भेजना अत्यधिक खतरनाक हो सकता और उनकी जीवन की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है.

अभिभावकों का कहना है कि शिक्षा जीवन की सुरक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है. चूंकि बच्चों की ऑनलाइन शिक्षा जारी है. ऐसी सूरत में अभिभावक अपने बच्चों के जीवन को असुरक्षित माहौल में बाहर भेजकर उन्हें संकट में नहीं डाल सकते हैं. अभिभावकों ने कहा कि अगर बच्चों के जीवन की सुरक्षा और पूर्णरूप से सुरक्षित माहौल की जिम्मेदारी जिला प्रशासन तथा विद्यालय प्रबंधन के द्वारा ली जाए साथ ही इसकी लिखित गारंटी भी दी जाए, तभी वह अपने बच्चों को विद्यालय जाने की अनुमति देंगें, अन्यथा नहीं.

वाराणसी: शिक्षण संस्थाओं को खोले जाने की बात प्रशासन कह रहा है. अभिभावकों का मानना है कि अभी तक तो उन्होंने अपने बच्चों को घर में बंद रखकर कोरोना महामारी से बचा रखा है, लेकिन अब जब शिक्षण संस्थान खोल दिए जाएंगे तो सरकार किस तरीके से बच्चों को स्कूल में कोरोना से बचाने में सफल होगी. अभिभावकों को पूरी तरह से इसकी जानकारी होनी चाहिए. अभिभावकों का कहना है कि सरकार की यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि जो भी बच्चे स्कूल जाएं उनकी कोरोना से बचाव के लिए 100% गारंटी होनी चाहिए.

सरकार और विद्यालय लें सुरक्षा की जिम्मेदारी
शिक्षण संस्थान 15 अक्टूबर से खोले जाने हैं, ऐसी दशा में अभिभावकों के आगे सबसे बड़ी समस्या है कि वह अपने बच्चों को किसकी जिम्मेदारी पर घरों से बाहर निकालें. अभी तक बच्चे महामारी में कोविड-19 संक्रमण का शिकार नहीं हो पाये हैं. इसके पीछे एकमात्र कारण यही था कि बच्चे घरों के अन्दर सुरक्षित माहौल में थे. अभिभावकों का कहना है कि अभी भी स्थितियां काफी गंभीर हैं और कहीं भी सामाजिक दूरी और मास्क के अनिवार्य के नियम का पालन समुचित रूप से नहीं हो पा रहा है. ऐसी हालत में बच्चों को बिना वैक्सीन के असुरक्षित माहौल में बाहर भेजना अत्यधिक खतरनाक हो सकता और उनकी जीवन की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है.

अभिभावकों का कहना है कि शिक्षा जीवन की सुरक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है. चूंकि बच्चों की ऑनलाइन शिक्षा जारी है. ऐसी सूरत में अभिभावक अपने बच्चों के जीवन को असुरक्षित माहौल में बाहर भेजकर उन्हें संकट में नहीं डाल सकते हैं. अभिभावकों ने कहा कि अगर बच्चों के जीवन की सुरक्षा और पूर्णरूप से सुरक्षित माहौल की जिम्मेदारी जिला प्रशासन तथा विद्यालय प्रबंधन के द्वारा ली जाए साथ ही इसकी लिखित गारंटी भी दी जाए, तभी वह अपने बच्चों को विद्यालय जाने की अनुमति देंगें, अन्यथा नहीं.

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