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काशी में 51 दिनों के लिए श्री लक्षचंडी महायज्ञ का आयोजन - धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी

धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में 51 दिवसीय श्री लक्षचंडी महायज्ञ का विराट आयोजन किया जा रहा है. 19 जनवरी से शुरू होकर 9 मार्च तक ये महायज्ञ चलेगा.

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श्री लक्षचंडी महायज्ञ का आयोजन
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Published : Jan 14, 2022, 6:05 PM IST

वाराणसीः धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में 51 दिवसीय श्री लक्षचंडी महायज्ञ का विराट आयोजन किया जा रहा है. 19 जनवरी से प्रारंभ होकर 9 मार्च तक ये महायज्ञ चलेगा. काशी के प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर परिसर और संकुलधारा पोखरे पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भारत को दोबारा विश्व गुरु के रूप में स्थापित करना है. भारत की आंतरिक सुरक्षा और सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है.

वैश्विक महामारी कोरोना का समूल नाश के साथ महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हितार्थ संकल्प के साथ ये महायज्ञ किया जाएगा. लक्षचंडी महायज्ञ को पूर्ण करने के लिए एक विशाल यज्ञ कुंड बनाया गया है. इसके साथ ही मंडप बनाया गया है. प्रसिद्ध शंकुधारा कुंड पर विभिन्न प्रकार के आयोजन के लिए पंडाल बनाए गए हैं. कार्यक्रम की तैयारी पिछले 1 महीने से चल रही है. आयोजकों का यह भी मानना है कि काशी के केदारखंड में इस तरह का महायज्ञ पहली बार हो रहा है.

श्री लक्षचंडी महायज्ञ
श्री लक्षचंडी महायज्ञ
स्वामी प्रखर जी महाराज ने बताया कि लक्षचंडी महायज्ञ का आयोजन 500 विद्वान ब्राह्मणों द्वारा 51 दिन में सपन्न होगा. इस कार्यक्रम के द्वारा शक्तिशाली आध्यात्मिक ऊर्जा उत्पन्न होगी. उस उर्जा से वायरस का खात्मा होगा. इसके साथ ही राष्ट्र की सीमा सुरक्षित होगी. आंतरिक सुरक्षा को बल मिलेगा. भारत एक बार फिर राष्ट्रीय गुरु बनेगा. इस महायज्ञ में एक लाख दुर्गा सप्तशती पाठ के साथ आहुति दी जाएगी. इसमें 10,000 दुर्गा सप्तशती के मंत्र पढ़े जाएंगे.
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श्री लक्षचंडी महायज्ञ

इसे भी पढ़ें- अयोध्या से योगी आदित्यनाथ की संभावित उम्मीदवारी से संतों में खुशी की लहर

स्वामी ने बताया कि यह कार्यक्रम अनोखा है. इसमें श्रद्धालुओं के बड़ी रूचि है, जिसमें 50 लाख तो काशी के रहने वाले लोग हैं. वैश्विक महामारी को देखते हुए यज्ञ के अलावा बाकी अन्य कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया है. 31 जनवरी तक बाकी अन्य सार्वजनिक कार्यक्रम स्थगित रहेंगे. शासन जैसे चाहेगा वैसे करेगा. जिसको आने देगा वह आएगा जिस को नहीं आने देगा वह भी इसके पुण्य का भागी बनेगा. लाखों लोग आएंगे, यज्ञ का दर्शन करने के लिए लोगों को आना भी चाहिए.

वाराणसीः धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में 51 दिवसीय श्री लक्षचंडी महायज्ञ का विराट आयोजन किया जा रहा है. 19 जनवरी से प्रारंभ होकर 9 मार्च तक ये महायज्ञ चलेगा. काशी के प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर परिसर और संकुलधारा पोखरे पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भारत को दोबारा विश्व गुरु के रूप में स्थापित करना है. भारत की आंतरिक सुरक्षा और सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है.

वैश्विक महामारी कोरोना का समूल नाश के साथ महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हितार्थ संकल्प के साथ ये महायज्ञ किया जाएगा. लक्षचंडी महायज्ञ को पूर्ण करने के लिए एक विशाल यज्ञ कुंड बनाया गया है. इसके साथ ही मंडप बनाया गया है. प्रसिद्ध शंकुधारा कुंड पर विभिन्न प्रकार के आयोजन के लिए पंडाल बनाए गए हैं. कार्यक्रम की तैयारी पिछले 1 महीने से चल रही है. आयोजकों का यह भी मानना है कि काशी के केदारखंड में इस तरह का महायज्ञ पहली बार हो रहा है.

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स्वामी प्रखर जी महाराज ने बताया कि लक्षचंडी महायज्ञ का आयोजन 500 विद्वान ब्राह्मणों द्वारा 51 दिन में सपन्न होगा. इस कार्यक्रम के द्वारा शक्तिशाली आध्यात्मिक ऊर्जा उत्पन्न होगी. उस उर्जा से वायरस का खात्मा होगा. इसके साथ ही राष्ट्र की सीमा सुरक्षित होगी. आंतरिक सुरक्षा को बल मिलेगा. भारत एक बार फिर राष्ट्रीय गुरु बनेगा. इस महायज्ञ में एक लाख दुर्गा सप्तशती पाठ के साथ आहुति दी जाएगी. इसमें 10,000 दुर्गा सप्तशती के मंत्र पढ़े जाएंगे.
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स्वामी ने बताया कि यह कार्यक्रम अनोखा है. इसमें श्रद्धालुओं के बड़ी रूचि है, जिसमें 50 लाख तो काशी के रहने वाले लोग हैं. वैश्विक महामारी को देखते हुए यज्ञ के अलावा बाकी अन्य कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया है. 31 जनवरी तक बाकी अन्य सार्वजनिक कार्यक्रम स्थगित रहेंगे. शासन जैसे चाहेगा वैसे करेगा. जिसको आने देगा वह आएगा जिस को नहीं आने देगा वह भी इसके पुण्य का भागी बनेगा. लाखों लोग आएंगे, यज्ञ का दर्शन करने के लिए लोगों को आना भी चाहिए.

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