वाराणसी: महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के विवादों में कोई कमी नहीं आ रही है. बीते दिनों चीफ प्रॉक्टर की फर्जी नियुक्ति का मामला शांत हुआ ही था कि फिर शारीरिक शिक्षा विभाग में संविदा अध्यापक की नियुक्ति पर सवाल उठने लगे हैं. आरोप है कि विभाग में नियुक्त संविदा अध्यापक एक साथ दो संस्थानों में नियुक्त हैं. यही नहीं उन्होंने दोनों संस्थानों का वेतन भी उठाया है. शिकायत पत्र को शासन ने गंभीरता से लेते हुए धोखाधड़ी की जांच विजिलेंस को सौंपी है.
दो संस्थानों में एक साथ नियुक्ति का आरोप
मिली जानकारी के अनुसार, बिहार निवासी सुधांशु कुमार सिंह ने इस संबंध में कुलपति संग राजभवन में शिकायत की है. उसमें यह दावा किया गया है कि विद्यापीठ के सार्वजनिक विभाग में संविदा पर कार्यरत बालरूप यादव नंदिनी नगर पीजी कॉलेज गोंडा में भी कार्य कर रहे हैं. दोनों स्थानों पर नियुक्ति होने का उन्होंने दस्तावेज भी संलग्न किया है.
उन्होंने यह भी दावा किया है कि नियुक्ति के दौरान उन्होंने दोनों संस्थाओं से वेतन भी लिया है. शिकायत पत्र में उन्होंने कहा है कि डॉ. बालरूप विद्यापीठ में 2008 से 2013 तक संविदा शिक्षक के पद पर नियुक्त थे और डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय पीजी कॉलेज के प्राचार्य की ओर से 29 मार्च 2014 को जारी परिपत्र में भी डॉक्टर बालरूप को 28 जनवरी 2010 तक शारीरिक शिक्षा विभाग में संविदा अध्यापक बताया गया है. एक साथ दो स्थानों पर नियुक्ति नियम संगत नहीं है. शिकायतकर्ता सुधांशु ने इस संबंध में विश्वविद्यालय प्रशासन से कार्रवाई का अनुरोध किया है. हालांकि डॉक्टर बालरूप ने इन सभी आरोपों को खारिज किया है.
नहीं मिला कोई भी पत्र
इस बारे में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलसचिव डॉक्टर साहब लाल मौर्या ने बताया कि अभी तक हमें विजिलेंस की जांच में कोई भी पत्र प्राप्त नहीं हुआ है. यदि ऐसा कोई प्रकरण होगा तो न्यायोचित कार्रवाई की जाएगी.