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Omprakash Rajbhar बोले, 'पिछड़े और दलित के दो दुश्मन अखिलेश और मायावती' - सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य

सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर (Omprakash Rajbhar) सत्ता से ज्यादा विपक्ष पर हमलावर दिखे. ओमप्रकाश राजभर गुरुवार को सम्मान समारोह में शिरकत करने चन्दौली पहुंचे थे.

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Published : Mar 16, 2023, 10:19 PM IST

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चन्दौली : सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर चन्दौली दौरे पर रहे. इस दौरान चकिया इलाके में आयोजित सम्मान समारोह में शिरकत की. इस दौरान वे सत्ता से ज्यादा विपक्ष पर हमलावर रहे, हालांकि सरकार पर निशाना साधते हुए भू माफिया के नाम पर गरीबों को उजाड़ना बंद होना चाहिए. शिक्षा और मुफ्त स्वास्थ्य समाज में उन्नति और समानता का मार्ग प्रशस्त होगा. गुजरात और बिहार की तर्ज पर यूपी में शराब बंद होना चाहिए. इस दौरान जो जमीन सरकारी है, वह जमीन हमारी है का नारा बुलंद किया.

मंच से संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि 'सरकार बनने पर वे सबके लिए समान शिक्षा की व्यवस्था करेंगे और पढ़ने के लिए बच्चों को स्कूल न भेजने वाले अभिभावकों को भी कानून लागू कर जेल भेजा जाएगा.' उन्होंने कहा कि प्रदेश में सत्तारूढ़ रही भाजपा सपा बसपा और कांग्रेस की सरकारों ने गरीबों के लिए कुछ नहीं किया. जिससे गरीब और अमीर के बीच की खाई चौड़ी हो रही है. उन्होंने संसद में महिलाओं के हितों के लिए कानून बनाने की भी वकालत की.'



इस दौरान मीडिया से बातचीत में सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य को मतलब परस्त नेता करार दिया. कहा कि 'रामचरित्र मानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य व्यक्तिगत फायदे की राजनीति कर रहे थे. जब ये सत्ता में थे तो उन्होंने रामचरित्र मानस का पूजन अर्चन कर खुद बने मंत्री और अपनी बेटी को सांसद बनाया. जिसके बाद अखिलेश शरणम गच्छामि हो गए, लेकिन आज सत्ता से दूर होते ही रामचरित्र मानस की चौपाई पर सवाल उठा रहे हैं.'

इस दौरान उन्होंने नवरात्रि में रामायण वाले मुद्दे पर सत्तासीन भाजपा सरकार को भी निशाने पर लिया. जो पार्टी सत्ता में रहती है, वह अपने हिसाब से राजनीतिक फैसले लेती है. यह कोई नयी परम्परा नहीं है. कहा कि दलितों व पिछड़ों को लेकर यदि किसी को विरोध है तो वह सत्ता में आने का प्रयास करें. उन्होंने कांग्रेस, सपा और बसपा को दलितों व पिछड़ों का दुश्मन करार दिया. कहा जब ये दल सूबे की सत्ता में रहे और उस दरम्यान इन दलों ने क्या किया सभी ने देखा. यहीं नहीं उन्होंने अखिलेश यादव को यूपी में चुनाव जीतने का फार्मूला बताया. अखिलेश यादव और मायावती मिल जाएं तो चुनाव जीत सकते हैं. 12 प्रतिशत वोट बढ़ जाएगा, लेकिन ये ममता बनर्जी से मिलते हैं, केसीआर से मिलते हैं. जो एक वोट नहीं बढ़ा सकते हैं.

ओमप्रकाश राजभर ने राहुल गांधी का बयान औचित्यहीन बताया, वहीं महबूबा मुफ्ती के भगवान शंकर के जलाभिषेक करने के सवाल पर कहा कि मलतब परस्त नेता कभी जल चढ़ाते हैं तो कभी चादर. इनका विरोध करने वाले गैरराजनीतिज्ञ हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव के बाबत तीसरे मोर्चे के गठन पर कहा कि ईडी व सीबीआई से नेता भाग रहे लोगों का गिरोह तीसरा मोर्चा है. साथ ही यह भी कहा कि ईडी व सीबीआई ही भाजपा को ले डूबेगी.


यह भी पढ़ें : बीएचयू के शोधार्थियों को मिलेगा विश्व के शीर्ष 500 संस्थानों में शोध का मौका

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चन्दौली : सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर चन्दौली दौरे पर रहे. इस दौरान चकिया इलाके में आयोजित सम्मान समारोह में शिरकत की. इस दौरान वे सत्ता से ज्यादा विपक्ष पर हमलावर रहे, हालांकि सरकार पर निशाना साधते हुए भू माफिया के नाम पर गरीबों को उजाड़ना बंद होना चाहिए. शिक्षा और मुफ्त स्वास्थ्य समाज में उन्नति और समानता का मार्ग प्रशस्त होगा. गुजरात और बिहार की तर्ज पर यूपी में शराब बंद होना चाहिए. इस दौरान जो जमीन सरकारी है, वह जमीन हमारी है का नारा बुलंद किया.

मंच से संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि 'सरकार बनने पर वे सबके लिए समान शिक्षा की व्यवस्था करेंगे और पढ़ने के लिए बच्चों को स्कूल न भेजने वाले अभिभावकों को भी कानून लागू कर जेल भेजा जाएगा.' उन्होंने कहा कि प्रदेश में सत्तारूढ़ रही भाजपा सपा बसपा और कांग्रेस की सरकारों ने गरीबों के लिए कुछ नहीं किया. जिससे गरीब और अमीर के बीच की खाई चौड़ी हो रही है. उन्होंने संसद में महिलाओं के हितों के लिए कानून बनाने की भी वकालत की.'



इस दौरान मीडिया से बातचीत में सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य को मतलब परस्त नेता करार दिया. कहा कि 'रामचरित्र मानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य व्यक्तिगत फायदे की राजनीति कर रहे थे. जब ये सत्ता में थे तो उन्होंने रामचरित्र मानस का पूजन अर्चन कर खुद बने मंत्री और अपनी बेटी को सांसद बनाया. जिसके बाद अखिलेश शरणम गच्छामि हो गए, लेकिन आज सत्ता से दूर होते ही रामचरित्र मानस की चौपाई पर सवाल उठा रहे हैं.'

इस दौरान उन्होंने नवरात्रि में रामायण वाले मुद्दे पर सत्तासीन भाजपा सरकार को भी निशाने पर लिया. जो पार्टी सत्ता में रहती है, वह अपने हिसाब से राजनीतिक फैसले लेती है. यह कोई नयी परम्परा नहीं है. कहा कि दलितों व पिछड़ों को लेकर यदि किसी को विरोध है तो वह सत्ता में आने का प्रयास करें. उन्होंने कांग्रेस, सपा और बसपा को दलितों व पिछड़ों का दुश्मन करार दिया. कहा जब ये दल सूबे की सत्ता में रहे और उस दरम्यान इन दलों ने क्या किया सभी ने देखा. यहीं नहीं उन्होंने अखिलेश यादव को यूपी में चुनाव जीतने का फार्मूला बताया. अखिलेश यादव और मायावती मिल जाएं तो चुनाव जीत सकते हैं. 12 प्रतिशत वोट बढ़ जाएगा, लेकिन ये ममता बनर्जी से मिलते हैं, केसीआर से मिलते हैं. जो एक वोट नहीं बढ़ा सकते हैं.

ओमप्रकाश राजभर ने राहुल गांधी का बयान औचित्यहीन बताया, वहीं महबूबा मुफ्ती के भगवान शंकर के जलाभिषेक करने के सवाल पर कहा कि मलतब परस्त नेता कभी जल चढ़ाते हैं तो कभी चादर. इनका विरोध करने वाले गैरराजनीतिज्ञ हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव के बाबत तीसरे मोर्चे के गठन पर कहा कि ईडी व सीबीआई से नेता भाग रहे लोगों का गिरोह तीसरा मोर्चा है. साथ ही यह भी कहा कि ईडी व सीबीआई ही भाजपा को ले डूबेगी.


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