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बरेका का ऐतिहासिक साल, 1964वें इंजन ने दी नई पहचान - 1964वां इंजन

दुनिया भर में बरेका के विद्युत रेल इंजन की मांग पर अब जिम्बाबवे ने भी बरेका रेल इंजन की मांग की है. महाप्रबंधक अंजलि गोयल ने बताया कि अश्वशक्ति विद्युत रेल इंजन को अमृत शक्ति शहीदों क्रांतिकारी व देश के स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित किया गया है.

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आजादी के अमृत महोत्सव पर बरेका ने 1964वां विद्युत रेल इंजन तैयार किया
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Published : Aug 12, 2022, 10:13 PM IST

वाराणसीः पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव देश मना रहा है. लेकिन बरेका के उस आजादी के महोत्सव ने एक इतिहास को लिख दिया है. इतिहास इस मायने में कि 1964 में बने पहले रेल इंजन के बाद शुक्रवार को 1964वां रेल इंजन तैयार किया गया है. इस अश्वशक्ति विद्युत रेल इंजन को अमृत शक्ति शहीदों क्रांतिकारी व देश के स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित किया गया है.

आजादी का अमृत महोत्सव के तहत बनारस रेल इंजन कारखाने में भी विभिन्न देश भक्ति के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. इस मौके पर रेल इंजन कारखाने में फोटो प्रदर्शनी व लोकार्पण के कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जहां पर बरेका में निर्मित 1964वें 6000 अश्वशक्ति विद्युत रेल इंजन WAG9HC अमृत शक्ति को देश के स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित कर दिया गया है. इस रेलवे इंजन को बरेका द्वारा निर्मित 1964वां इंजन है. रेलवे का पहला ब्रॉडगेज रेल इंजन डब्लूय डीएम 3 जनवरी 1964 को ही लोकार्पित किया गया था.

महाप्रबंधक अंजलि गोयल ने कहा कि बरेका द्वारा निर्मित इस अश्वशक्ति विद्युत रेल इंजन को अमृत शक्ति शहीदों क्रांतिकारी व देश के स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित किया गया है. यह विद्युत रेल इंजन न केवल भारत को अपनी विकासवादी यात्रा लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. जिसकी तस्वीरें भी नजर आने लगी हैं. जहां जिम्बाब्वे से डीजल के लिए ऑर्डर आया है. उन्होंने बताया कि इस अमृत शक्ति को दक्षिण रेलवे के अजनी यार्ड को भेजा गया है.

यह भी पढ़ें-गौकशी मामले में वांछित 25 हजार का इनामी तमंचे के साथ गिरफ्तार
गौरतलब हो कि बीएलडब्ल्यू से रेल इंजन का पहला निर्यात तंजानिया के लिए 1976 में मार्च को किया गया था. उसके बाद अलग-अलग गैर रेलवे ग्राहकों को 630 रेल इंजनों की आपूर्ति की गई है. जिसमें तंजानिया, वियतनाम, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, सेनेगल, सूडान, अंगोला, माली, मोजांबिक और मलेशिया जैसे देशों को निर्यात किए गए 171 रेल इंजन भी शामिल हैं.

वाराणसीः पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव देश मना रहा है. लेकिन बरेका के उस आजादी के महोत्सव ने एक इतिहास को लिख दिया है. इतिहास इस मायने में कि 1964 में बने पहले रेल इंजन के बाद शुक्रवार को 1964वां रेल इंजन तैयार किया गया है. इस अश्वशक्ति विद्युत रेल इंजन को अमृत शक्ति शहीदों क्रांतिकारी व देश के स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित किया गया है.

आजादी का अमृत महोत्सव के तहत बनारस रेल इंजन कारखाने में भी विभिन्न देश भक्ति के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. इस मौके पर रेल इंजन कारखाने में फोटो प्रदर्शनी व लोकार्पण के कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जहां पर बरेका में निर्मित 1964वें 6000 अश्वशक्ति विद्युत रेल इंजन WAG9HC अमृत शक्ति को देश के स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित कर दिया गया है. इस रेलवे इंजन को बरेका द्वारा निर्मित 1964वां इंजन है. रेलवे का पहला ब्रॉडगेज रेल इंजन डब्लूय डीएम 3 जनवरी 1964 को ही लोकार्पित किया गया था.

महाप्रबंधक अंजलि गोयल ने कहा कि बरेका द्वारा निर्मित इस अश्वशक्ति विद्युत रेल इंजन को अमृत शक्ति शहीदों क्रांतिकारी व देश के स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित किया गया है. यह विद्युत रेल इंजन न केवल भारत को अपनी विकासवादी यात्रा लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. जिसकी तस्वीरें भी नजर आने लगी हैं. जहां जिम्बाब्वे से डीजल के लिए ऑर्डर आया है. उन्होंने बताया कि इस अमृत शक्ति को दक्षिण रेलवे के अजनी यार्ड को भेजा गया है.

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गौरतलब हो कि बीएलडब्ल्यू से रेल इंजन का पहला निर्यात तंजानिया के लिए 1976 में मार्च को किया गया था. उसके बाद अलग-अलग गैर रेलवे ग्राहकों को 630 रेल इंजनों की आपूर्ति की गई है. जिसमें तंजानिया, वियतनाम, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, सेनेगल, सूडान, अंगोला, माली, मोजांबिक और मलेशिया जैसे देशों को निर्यात किए गए 171 रेल इंजन भी शामिल हैं.

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