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बाबा विश्वनाथ धाम का प्रसाद भी बनेगा बड़ा ब्रांड, स्वाद और क्वालिटी से होगी पहचान - काशी विश्वनाथ धाम

बाबा विश्वनाथ के धाम को चमकाने के साथ ही यहां के प्रसाद को भी अलग पहचान देने की तैयारी हो रही है. चलिए जानते हैं इसके बारे में.

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Published : Dec 26, 2022, 5:33 PM IST

वाराणसी: देवाधिदेव महादेव श्री काशी विश्वनाथ धाम (Vishwanath Dham) को भव्य रूप देने के साथ ही यहां आने वाले भक्तों को सुविधाओं के विस्तार का तोहफा देने में लगातार सरकार के प्रयास जारी है. इस क्रम में अब बाबा का प्रसाद (Prasad) भी देश-दुनिया में एक ब्रांड (brand) के रूप में अलग तरीके से डेवलप किया जाएगा. मंदिर के प्रसाद का अपना ब्रांड होगा और संभव है कि बनारस के स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रसाद बनने का जिम्मा मिले.

दरअसल, श्री काशी विश्वनाथ धाम में आने वाले भक्तों को बेहतर क्वालिटी और बाबा विश्वनाथ के धाम के नाम का ही प्रसाद देने की प्लानिंग की जा रही है. अभी 2 वेंडर्स की मदद से स्वयं सहायता समूह की कुछ महिलाओं के जरिए लाल पेड़ा और मेवे का लड्डू तैयार करके विश्वनाथ धाम के अंदर इसकी बिक्री की जाती है, लेकिन बेहतर गुणवत्ता और अन्य चीजों को लेकर कई बार सवाल उठते रहते हैं. इसके अलावा मंदिर के बाहर भी दुकानों पर प्रसाद बिकने की वजह से क्वॉलिटी मेंटेन करना संभव नहीं हो पा रहा है.

बाबा विश्वनाथ धाम के प्रसाद को मिलेगी बड़ी पहचान.
इस बारे में श्री विश्वनाथ मंदिर प्रशासन नए साल पर नए तरीके से प्रसाद की ब्रांडिंग की तैयारी कर रहा है. मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉक्टर सुनील कुमार वर्मा का कहना है कि इस दिशा में प्रयास शुरू किए जा रहे हैं और भक्तों को बेहतर क्वालिटी के साथ अपने ही ब्रांड और यूनिक तरीके का प्रसाद देने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए न्यास के साथ भी बातचीत की जा रही है और देश के बड़े तीर्थ स्थलों और धार्मिक स्थलों के प्रसाद का सर्वे भी करवाया गया है.

इसमें तिरुपति बालाजी, शिर्डी साईं नाथ समेत पटना के महावीर मंदिर में भक्तों को दिए जाने वाले नैवेद्यम प्रसाद का सर्वे हुआ है. महावीर मंदिर के ट्रस्टी की तरफ से भी प्रसाद को लेकर मीटिंग की गई है. पटना के महावीर मंदिर में तैयार होने वाला नैवेद्यम आंध्र प्रदेश की कंपनी के द्वारा तैयार किया जाता है और उसका स्वाद भी बिल्कुल दक्षिण भारत के ही जायके का होता है. इस दिशा में कार्य चल रहा है और कहीं बाहर की कंपनियों और स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को लेकर इस पर चर्चा हो रही है.

मुख्य कार्यपालक अधिकारी का कहना है कि इसका सबसे बड़ा फायदा स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को होगा जो अपने घर का खर्च चलाने के लिए इस पर निर्भर रहती हैं. प्रसाद का बड़ा काम इन्हीं महिलाओं को सौंपा जाएगा. प्रसाद की क्वालिटी कैसी होगी, प्रसाद में क्या चीजें रखी जाएंगी और प्रसाद किस नाम से होगा इसे लेकर लगातार मंथन चल रहा है. माना जा रहा है कि नए वर्ष के साथ ही बाबा विश्वनाथ के धाम में मिलने वाले प्रसाद को यूनिक और ब्रांड के रूप में प्रस्तुत करते हुए भक्तों के सामने रखा जाएगा. सबसे महत्वपूर्ण होगी. इसकी क्वालिटी और इसका स्वाद अब यह किस रूप में होगा. इसे लेकर अभी चर्चा की जानी बाकी है. अभी लड्डू व पेड़े भक्तों को दिए जा रहे हैं, लेकिन माना जा रहा है कि इससे कुछ अलग और काशी के स्वाद के अनुरूप इसे तैयार किया जाएगा ताकि देश-विदेश से आने वाले पर्यटक इस प्रसाद को यदि ले जाते हैं तो 10 दिनों तक उसके खराब होने की भी संभावना ना हो. इसको ध्यान में रखते हुए भी प्रसाद की क्वालिटी और प्रसाद के रूप को डिसाइड किया जाएगा.

ये भी पढ़ेंः सपा विधायक इरफान सोलंकी, उसके भाई सहित कई पर लगा गैंगस्टर एक्ट

वाराणसी: देवाधिदेव महादेव श्री काशी विश्वनाथ धाम (Vishwanath Dham) को भव्य रूप देने के साथ ही यहां आने वाले भक्तों को सुविधाओं के विस्तार का तोहफा देने में लगातार सरकार के प्रयास जारी है. इस क्रम में अब बाबा का प्रसाद (Prasad) भी देश-दुनिया में एक ब्रांड (brand) के रूप में अलग तरीके से डेवलप किया जाएगा. मंदिर के प्रसाद का अपना ब्रांड होगा और संभव है कि बनारस के स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रसाद बनने का जिम्मा मिले.

दरअसल, श्री काशी विश्वनाथ धाम में आने वाले भक्तों को बेहतर क्वालिटी और बाबा विश्वनाथ के धाम के नाम का ही प्रसाद देने की प्लानिंग की जा रही है. अभी 2 वेंडर्स की मदद से स्वयं सहायता समूह की कुछ महिलाओं के जरिए लाल पेड़ा और मेवे का लड्डू तैयार करके विश्वनाथ धाम के अंदर इसकी बिक्री की जाती है, लेकिन बेहतर गुणवत्ता और अन्य चीजों को लेकर कई बार सवाल उठते रहते हैं. इसके अलावा मंदिर के बाहर भी दुकानों पर प्रसाद बिकने की वजह से क्वॉलिटी मेंटेन करना संभव नहीं हो पा रहा है.

बाबा विश्वनाथ धाम के प्रसाद को मिलेगी बड़ी पहचान.
इस बारे में श्री विश्वनाथ मंदिर प्रशासन नए साल पर नए तरीके से प्रसाद की ब्रांडिंग की तैयारी कर रहा है. मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉक्टर सुनील कुमार वर्मा का कहना है कि इस दिशा में प्रयास शुरू किए जा रहे हैं और भक्तों को बेहतर क्वालिटी के साथ अपने ही ब्रांड और यूनिक तरीके का प्रसाद देने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए न्यास के साथ भी बातचीत की जा रही है और देश के बड़े तीर्थ स्थलों और धार्मिक स्थलों के प्रसाद का सर्वे भी करवाया गया है.

इसमें तिरुपति बालाजी, शिर्डी साईं नाथ समेत पटना के महावीर मंदिर में भक्तों को दिए जाने वाले नैवेद्यम प्रसाद का सर्वे हुआ है. महावीर मंदिर के ट्रस्टी की तरफ से भी प्रसाद को लेकर मीटिंग की गई है. पटना के महावीर मंदिर में तैयार होने वाला नैवेद्यम आंध्र प्रदेश की कंपनी के द्वारा तैयार किया जाता है और उसका स्वाद भी बिल्कुल दक्षिण भारत के ही जायके का होता है. इस दिशा में कार्य चल रहा है और कहीं बाहर की कंपनियों और स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को लेकर इस पर चर्चा हो रही है.

मुख्य कार्यपालक अधिकारी का कहना है कि इसका सबसे बड़ा फायदा स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को होगा जो अपने घर का खर्च चलाने के लिए इस पर निर्भर रहती हैं. प्रसाद का बड़ा काम इन्हीं महिलाओं को सौंपा जाएगा. प्रसाद की क्वालिटी कैसी होगी, प्रसाद में क्या चीजें रखी जाएंगी और प्रसाद किस नाम से होगा इसे लेकर लगातार मंथन चल रहा है. माना जा रहा है कि नए वर्ष के साथ ही बाबा विश्वनाथ के धाम में मिलने वाले प्रसाद को यूनिक और ब्रांड के रूप में प्रस्तुत करते हुए भक्तों के सामने रखा जाएगा. सबसे महत्वपूर्ण होगी. इसकी क्वालिटी और इसका स्वाद अब यह किस रूप में होगा. इसे लेकर अभी चर्चा की जानी बाकी है. अभी लड्डू व पेड़े भक्तों को दिए जा रहे हैं, लेकिन माना जा रहा है कि इससे कुछ अलग और काशी के स्वाद के अनुरूप इसे तैयार किया जाएगा ताकि देश-विदेश से आने वाले पर्यटक इस प्रसाद को यदि ले जाते हैं तो 10 दिनों तक उसके खराब होने की भी संभावना ना हो. इसको ध्यान में रखते हुए भी प्रसाद की क्वालिटी और प्रसाद के रूप को डिसाइड किया जाएगा.

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