वाराणसी: लखनऊ के लेवाना होटल में हुए अग्निकांड के बाद पूरे प्रदेश में अग्निशमन विभाग के कार्य को लेकर सवाल उठने लगे हैं. सिर्फ अग्निशमन विभाग की नहीं बल्कि अन्य विभागों की मिलीभगत से बड़ी-बड़ी इमारतों के तैयार होने और उसके बाद बिना सुरक्षा मानकों के इनके संचालित होने पर हर विभाग कहीं न कहीं से सवाल के घेरे में हैं.
इन सबके बीच प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में भी बड़ी लापरवाही उजागर हुई है. यहां पर एक आरटीआई कार्यकर्ता के द्वारा मांगी गई जनसूचना में इस बात का खुलासा हुआ है कि बनारस में ऐसी एक दो नहीं, बल्कि 51 से ज्यादा ऐसी इमारतें हैं जो बिना फायर डिपार्टमेंट के एनओसी के 2017 से संचालित हो रही हैं. चौंकाने वाली बात तो यह है इसमें शहर के नामचीन अस्पतालों से लेकर नामचीन पैथोलॉजी सेंटर होटल और बड़ी-बड़ी मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में शामिल हैं.
इन सभी का बिना एनओसी के संचालित होना और बिना जांच-पड़ताल के आज तक इनके ऊपर कोई कार्रवाई न होना अग्निशमन विभाग की क्रिया कलाप पर सवाल खड़ा कर रहा है. वहीं, वाराणसी विकास प्राधिकरण, नगर निगम और जिला प्रशासन की मंशा पर भी प्रश्नचिन्ह लगा रहा है कि आखिर ऐसा क्यों है.
दरअसल, वाराणसी के रहने वाले संजय कुमार सिंह ने 2019-20 में एक जन सूचना मांगी थी. अग्निशमन विभाग की तरफ से इस जनसूचना का जवाब देते हुए लगभग 45 ऐसी इमारतों की जानकारी दी गई थी जो अस्पताल पैथोलॉजी मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के रूप में शहर के अलग-अलग हिस्सों में संचालित हो रही हैं.
पढ़ेंः बिना NOC संचालित हो रहे होटल और गेस्ट हाउस, देखा गया सुरक्षा उपकरणों का अभाव
इन इमारतों में जब विभाग की तरफ से एनओसी जारी किए जाने को लेकर सवाल पूछा गया तो हर कॉलम में जवाब नहीं का मिला. यानी 2019 में पूछे गए सवालों के जवाब में यह क्लियर हो गया था कि बनारस के लगभग दो दर्जन से ज्यादा नामचीन अस्पताल 24 से ज्यादा पैथोलॉजी सेंटर और कई अन्य मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में बिना एनओसी के ही नक्शा पास कर निर्माण किया जा चुका है और लोग उसका लाभ भी ले रहे हैं.
इन सब के बीच 2022 मई के महीने में संजय ने दोबारा से जन सूचना अधिकार के तहत विभाग से फिर से वह लिस्ट मांगी. जिसमें यह बात स्पष्ट हो सके कि शहर में कितनी इमारतें बिना अग्निशमन विभाग के एनओसी के खड़ी हुई हैं और अग्निशमन की व्यवस्थाओं और मानकों के न होने के बाद भी इनको संचालित किया जा रहा है. इस बार जो जानकारी मिली वह और भी चौंकाने वाली थी, क्योंकि इस लिस्ट में बनारस के दो से तीन बड़े होटल एक शॉपिंग मॉल समेत कई बड़ी दुकानें और शोरूम के अलावा बड़े अस्पताल पैथोलॉजी सेंटर और एक रियल स्टेट ग्रुप की 14 मल्टी स्टोरी बिल्डिंग अकेले लिस्ट में शामिल हैं. जिनको तैयार तो किया गया लेकिन मानकों के अनुरूप फायर डिपार्टमेंट की तरफ से अब तक एनओसी जारी नहीं हुआ.
यूपी की राजधानी में आग की घटना के बाद काशी में अलर्ट है. सोता हुआ अग्निशमन विभाग जाग गया है, बहुमंजिला इमारतों में अग्निशमन की व्यवस्था की चेकिंग की जा रही है. कमियां मिल रही हैं लेकिन वाराणसी की गलियों में बनने वाले लाज और होटल कहीं न कहीं व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रहे हैं. वाराणसी की बहुमंजिला ईमारत की अग्निशमन की व्यवस्था को जांचने के लिए इन दिनों पूरा तंत्र जमीन पर उतरा है.
अग्निशमन अधिकारी रामलखन चौहान का कहना है सब ठीक है, लेकिन कड़े नियमो के साथ गलियों के लाज जो कि चल रहे हैं उन्हें एनओसी नहीं मिली है ये इस बात को स्वीकार भी रहे हैं. विभाग के इस बड़ी लापरवाही के पुख्ता सबूत भी हमारे पास मौजूद हैं मई 2022 में आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार अग्निशमन विभाग ने वाराणसी शहर में 34 बहुमंजिला ईमारत और शॉपिंग मॉल हैं, जिन्हें एनओसी नहीं दी है. फिर भी सबकुछ चल रहा है. इसके साथ ही 42 अस्पताल है, जिन्हें अग्निशमन की एनओसी नहीं दी गयी है फिर भी वे चल रहे हैं.
55 पैथोलॉजी लैब डायग्नोस्टिक सेंटर हैं, जिन्हें अग्निशमन की एनओसी नहीं दी गयी है इसके साथ ही कई होटल और लॉज बिना अग्निशमन की एनओसी के चल रहे हैं. फिलहाल लखनऊ की इतनी बड़ी घटना के बाद भी इस दर्जे की लापरवाही निश्चित तौर पर बना वाराणसी में भी किसी आने वाली बड़ी घटना को दावत दे रही है यदि समय रहते विभाग नहीं चेता और बिना एनओसी के चल रही इन इमारतों पर बड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले वक्त में किसी बड़ी घटना के बाद फिर सांप निकल जाने के बाद लाठी पीटने वाली कहावत सच होती दिखाई देगी.
पढ़ेंः लेवाना अग्निकांड : लखनऊ विकास प्राधिकरण की टीम ने होटल किया सील