वाराणसी : ज्ञानवापी मंदिर-मस्जिद मामले में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को वाद पक्षकार बनाए जाने को लेकर मामले में सुनवाई शनिवार को भी जारी रही. सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के अधिवक्ता चंद्रशेखर सेठ और स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी के बीच बहस हुई. अंजुमन इंतजामियां मसाजिद और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा भी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को मामले में वाद पक्षकार बनाएं जाने को लेकर आपत्ति दाखिल की गई. मामले में बहस भी की. कोर्ट ने सभी पक्षों की बहस के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए सुनवाई की अगली तिथि 8 मार्च निर्धारित की.
वादमित्र ने दी जानकारी
स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट) में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की तरफ से वाद पक्षकार बनाएं जाने के लिए प्रार्थना पत्र वाद संख्या 610 सन 1991 में प्रस्तुत किया गया था. उस पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के अधिवक्ता चंद्रशेखर सेठ की बहस हुई, फिर उनकी तरफ से भी जवाब दिया गया. विभिन्न कानूनी पहलुओं और उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया.
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वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि कोर्ट ने समक्ष सभी पक्षों की बहस के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए मामले में सुनवाई के लिए 8 मार्च की तिथि तय की है. ज्ञानवापी में मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने को लेकर साल 1991 में मुकदमा दायर किया गया था.